जगदलपुर। छत्तीसगढ़ के बस्तर अंचल में विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक बस्तर दशहरा पर्व की दूसरी प्रमुख रस्म डेरी गड़ाई शुक्रवार को पूरे धार्मिक उत्साह और पारंपरिक विधि-विधान के साथ संपन्न हुई। इस रस्म के साथ ही मां दंतेश्वरी के रथ निर्माण की औपचारिक शुरुआत हो गई, जो पर्व की तैयारियों में एक अहम पड़ाव माना जाता है।
बिरिंगपाल गांव से लाई गई साल की पवित्र टहनियों को सिरहासार में मंत्रोच्चार और पारंपरिक वाद्य यंत्रों की धुनों के बीच स्थापित किया गया। इस अवसर पर सांसद एवं बस्तर दशहरा समिति के अध्यक्ष महेश कश्यप, विधायक किरण देव, महापौर संजय पांडे, बस्तर कमिश्नर डोमन सिंह, कलेक्टर हरिस एस, जिला पंचायत सीईओ प्रतीक जैन सहित जनप्रतिनिधि और परंपरागत समितियों के सदस्य बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
रस्म के दौरान महिलाओं ने हल्दी खेलने की परंपरा निभाई, जो सामुदायिक एकता और उत्सव की जीवंतता का प्रतीक है। इसी के साथ झाड़ उमरगांव और बेड़ा उमरगांव के संवरा जाति के कारीगरों द्वारा पारंपरिक औजारों और तकनीकों से रथ निर्माण का कार्य प्रारंभ कर दिया गया।
कलेक्टर हरिस एस ने शुक्रवार को कहा कि बस्तर दशहरा केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक पहचान का जीवंत प्रतीक है। डेरी गड़ाई रस्म हमारी परंपराओं और सामुदायिक एकजुटता को मजबूत करती है।
आगामी दिनों में रथ का निर्माण पूर्ण होने पर मां दंतेश्वरी की शोभायात्रा निकाली जाएगी। यह रथ उत्सव का केंद्रीय आकर्षण होता है, जिसमें हजारों श्रद्धालु और देश-विदेश से आए पर्यटक भाग लेकर इस अद्वितीय सांस्कृतिक धरोहर के साक्षी बनते हैं।