रावलपिंडी तक सुनाई दी है भारतीय सेना के शौर्य की धमक : राजनाथ सिंह

लखनऊ। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को कहा कि ऑपरेशन सिंदूर भारत की राजनीतिक, सामाजिक और सामरिक इच्छाशक्ति का प्रतीक बना। भारतीय सेना की कार्रवाई सीमा से सटे ठिकानों तक सीमित नहीं रही, बल्कि इसकी धमक पाकिस्तानी सेना के हेडक्वार्टर रावलपिंडी तक सुनाई दी।

रक्षामंत्री ने ब्रह्मोस एयरोस्पेस इंटीग्रेशन एवं टेस्टिंग फैसिलिटी का वर्चुअल माध्यम से उद्घाटन किया और नई दिल्ली से जुड़कर उन्होंने इस ऐतिहासिक अवसर पर आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई और ऑपरेशन सिंदूर की सफलता का भी जिक्र किया। रक्षामंत्री ने ऑपरेशन सिंदूर को भारत की राजनीतिक, सामाजिक और सामरिक इच्छाशक्ति का प्रतीक बताया।

उन्होंने कहा कि जिन भारत विरोधी और आतंकी संगठनों ने भारत माता के मस्तक पर हमला करके कई परिवारों के सिंदूर मिटाए थे, उन्हें भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से इंसाफ दिलाने का काम किया है। भारतीय सेना ने साहस, संयम और शौर्य का परिचय देते हुए पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर करारा जवाब दिया।

भारतीय सेना की कार्रवाई सीमा से सटे ठिकानों तक सीमित नहीं रही, बल्कि इसकी धमक पाकिस्तानी सेना के हेडक्वार्टर रावलपिंडी तक सुनाई दी। हमने दिखा दिया है कि आतंकवाद के खिलाफ भारत जब भी कोई कार्रवाई करेगा तो आतंकवादियों और उनके आकाओं के लिए सरहद पार की जमीन भी सुरक्षित नहीं रहेगी।

उन्होंने स्पष्ट किया कि यह ऑपरेशन केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ भारत की दृढ़ संकल्प शक्ति का प्रदर्शन है। सिंह ने कहा कि भारतीय सेना ने पाकिस्तान में मौजूद आतंकी ढांचे को नष्ट करने के लिए इस ऑपरेशन को अंजाम दिया, जिसमें आम नागरिकों को निशाना नहीं बनाया गया। इसके विपरीत, पाकिस्तान ने भारत के नागरिक क्षेत्रों, मंदिरों, गुरुद्वारों और गिरजाघरों को निशाना बनाने का प्रयास किया।

उन्होंने उरी, पुलवामा और हाल की पहलगाम की घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि भारत ने सर्जिकल स्ट्राइक, बालाकोट एयरस्ट्राइक और अब मल्टिपल स्ट्राइक के जरिए आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति को स्पष्ट कर दिया है। उन्होंने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्पष्ट संदेश दिया है कि यह नया भारत है, जो आतंकवाद के खिलाफ सरहद के इस पार और उस पार दोनों तरफ प्रभावी कार्रवाई करेगा।

राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस के अवसर पर ब्रह्मोस एयरोस्पेस इंटीग्रेशन एवं टेस्टिंग फैसिलिटी के उद्घाटन को रक्षामंत्री ने ऐतिहासिक बताया। उन्होंने कहा कि यह दिन 1998 में पोखरण में हुए परमाणु परीक्षण की याद दिलाता है, जब अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में भारत ने अपनी सामरिक ताकत का प्रदर्शन किया था।

ब्रह्मोस एयरोस्पेस इंटीग्रेशन एवं टेस्टिंग फैसिलिटी परियोजना का शिलान्यास उन्होंने स्वयं किया था और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसे मात्र 40 महीनों में पूरा कर दिखाया है। उन्होंने इसके लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की सराहना की।

उन्होंने कहा कि मैंने अपने लखनऊ को लेकर सपना देखा था कि मेरा शहर भारत के डिफेंस इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने में योगदान दे। वह सपना अब पूरा हो रहा है। ब्रह्मोस मिसाइल को दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक मिसाइलों में से एक बताते हुए उन्होंने इसे न केवल एक हथियार, बल्कि भारत की सैन्य ताकत, प्रतिरोधक क्षमता और सीमा सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक बताया।

रक्षामंत्री ने उत्तर प्रदेश डिफेंस कॉरिडोर को भारत के रक्षा उत्पादन का केंद्र बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। यह कॉरिडोर लखनऊ, कानपुर, झांसी, चित्रकूट, आगरा और अलीगढ़ से होकर गुजरता है। ये सभी नोड्स भविष्य में विकास के नए केंद्र बनकर उभरेंगे।

उन्होंने कानपुर का उदाहरण देते हुए कहा कि यह क्षेत्र कभी मैनचेस्टर ऑफ द ईस्ट के नाम से जाना जाता था, लेकिन आजादी के बाद यह पिछड़ गया। डिफेंस कॉरिडोर के माध्यम से कानपुर और अन्य नोड्स को फिर से विकास की ऊंचाइयों तक ले जाया जाएगा। यूपी डिफेंस कॉरीडोर के साथ एक बार फिर कानपुर विकास की उन ऊंचाइयों को छुएगा कि जो पूरी दुनिया के लिए अनुकरणीय होगा। कल को वेस्ट में कोई शहर बहुत अधिक प्रगति करेगा तो उसे कानपुर ऑफ दि वेस्ट कहा जाएगा।

रक्षामंत्री ने बताया कि डिफेंस कॉरिडोर में विमान निर्माण, यूएवी, ड्रोन्स, गोला-बारूद, कंपोजिट सामग्री, छोटे हथियार, टेक्स्टाइल और पैराशूट जैसे क्षेत्रों में बड़े निवेश किए गए हैं। लखनऊ में पीटीसी इंडस्ट्रीज द्वारा टाइटेनियम और सुपर अलॉय सामग्री संयंत्र की शुरुआत की जा रही है, साथ ही सात अन्य महत्वपूर्ण परियोजनाओं की नींव रखी गई है।

उन्होंने कहा कि हमारा सपना है कि उत्तर प्रदेश दुनिया के शीर्ष रक्षा उत्पादन केंद्रों में से एक के रूप में जाना जाए। अब तक कॉरिडोर में 34 हजार करोड़ रुपये के लगभग 180 एमओयू साइन किए जा चुके हैं और 4 हजार करोड़ रुपए का निवेश हो चुका है।

रक्षामंत्री ने राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि आज के दौर में सिविल और रक्षा क्षेत्रों में तकनीकी क्रांति तेजी से बदलाव ला रही है। ब्रह्मोस भारत और रूस की उच्च रक्षा प्रौद्योगिकी का संगम है। जैसे यूपी में प्रयाग अपने संगम के लिए दुनिया में जाना जाता है, वैसे ही लखनऊ तकनीकी के संगम के रूप में स्थापित होने जा रहा है।

उन्होंने कहा कि यह सुविधा रोजगार के अवसर पैदा करेगी और छोटे एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को मजबूती देगी। भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार की ‘मेक इन इंडिया, मेक फॉर वर्ल्ड’ नीति के तहत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दिया जा रहा है।