नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने कहा है कि बिहार में नई मतदाता सूची के मसौदे पर सोमवार अपराह्न तीन बजे तक किसी भी राजनीतिक दल की ओर से नाम काटने या जोड़ने को लेेकर कोई दावा या आपत्ति प्राप्त नहीं हुई है पर मतदाताओं की ओर से तीन दिन में 1900 से अधिक दावे और आपत्तियां दर्ज कराई गई हैं।
आयोग ने आज एक विज्ञप्ति में कहा कि एक अगस्त अपराह्न तीन बजे (मसौदा सार्वजनिक होेने का समय) से चार अगस्त अपराह्न तीन बजे तक राजनीतिक दलों की ओर से एक भी दावा या आपत्ति नहीं दर्ज कारायी गयी है। इस दौरान मसौदे में नामों को जोड़ने और अवैध नाम काटने के संबंध में राज्य भर में मतदाताओं से 1,927 दावे और आपत्तियां मिली हैं।
आयोग ने बताया कि 18 वर्ष या उससे ऊपर की आयु प्राप्त कर चुके नए मतदाताओं की ओर से सूची में नाम दर्ज कराने के लिए फार्म-6 और घोषणा-पत्र सहित अब तक 10,977 प्राप्त हुए हैं।
बिहार में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण के दूसरे चरण में मसौदा सूची की प्रविष्टियों के संंबंध में दावे और आपत्ति मतदाता पंजीकरण अधिकारियों (ईआरओ) और सहायक मतदाता पंजीकरण अधिकारियों (एईआरओ) के पास एक सितंबर से पहले दर्ज कराए जा सकते हैं। अधिकारी दावों और आपत्तियों पर जांच और समुचित सुनवाई कर के सात दिन बात तथ्य एवं व्याख्या सहित निर्णय देंगे। इन निर्णयों पर आगे जिला चुनाव अधिकारी और राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी तक अपील की सकती है।
विपक्षी दल बिहार में मतदाता पुनरीक्षण के मुद्दे पर संसद के अंदर और बाहर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं पर उनकी और से मसौदा सूची में किसी पात्र व्यक्ति के छूटने या अपात्र का नाम दर्ज होने को लेकर अभी तक कोई मामला अधिकारियों के समक्ष नहीं आया है।
आयोग के अनुसार पुनरीक्षण में लोगों की मदद और अधिकारियों के साथ समन्वय के लिए बिहार में मान्यता प्राप्त दलों ने कुल 160813 बूथ स्तरीय एजेंट लगा रखे हैं। इनमें विपक्षी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के 47506, कांग्रेस पार्टी के 17549, सत्तारुढ जनता दल यूनाइटेड (जद-यू) के 36550 और भाजपा के 53339 बूथ स्तरीय एजेंट हैं। बिहार में मतदाता सूचियों के पुनरीक्षण का मामला उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन है।