जयपुर। राज्य सरकार राजस्थान गवर्नमेंट हैल्थ स्कीम (आरजीएचएस) के सुदृढ़ीकरण एवं सुचारू संचालन के लिए प्रतिबद्ध है और योजना में अनियमितताओं में संलिप्त मामलों में 11 प्राथमिकी दर्ज हो चुकी है तथा 23 कार्मिकों को निलंबित किया जा चुका है और 58 मेडीकल स्टोर्स को योजना से असंबद्व किया गया है जबकि इस सप्ताह पांच निजी अस्पतालों को योजना से निलंबित करने की कार्यवाही की गई।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर ने बताया कि योजना में रही खामियों को दूर कर इसे और बेहतर बनाया जा रहा है। योजना के तहत क्लेम यूनिट एवं क्लेम रिव्यू कमेटी का हाल में गठन किया गया है, जिनके द्वारा कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। इसी प्रकार आरजीएचएस में एंटी फ्रॉड यूनिट का गठन किया गया है, जो गडबडियों की जांच एवं अनियमितताओं के विरूद्ध कार्यवाही करेगी।
उन्होंने कहा कि यह देखने में आया है कि कुछ ऐसे अस्पताल जिन्होंने योजना में अनियमितताएं की हैं और उनकी जांच एवं आडिट चल रही है, वे अनुचित दबाव बनाकर भुगतान प्राप्त करने का प्रयास कर रहे हैं और योजना के संचालन को लेकर भ्रम फैला रहे हैं। ऐसे अस्पतालों का चिह्रनीकरण कर उनके विरूद्व सख्त एक्शन लिया जाएगा।
खींवसर ने कहा कि ज्यादातर अस्पताल योजना की प्रक्रिया और संचालन तथा योजना में किये जा रहे सुधारों की कार्यवाही से संतुष्ट हैं। आमतौर पर योजना में प्रतिदिन औसतन 520 अस्पताल संचालित होते हैं। 25 एवं 26 अगस्त को 350-400 निजी अस्पतालों द्वारा योजनान्तर्गत रोगियों को सेवायें प्रदान की है। इनमें निजी मेडीकल कॉलेज से जुडे समस्त अस्पताल तथा संभाग एवं जिला स्तर पर संचालित प्रमुख मल्टीस्पेशियलिटी अस्पताल शामिल हैं। सेवाएं देने से मना करने वाले अस्पतालों के खिलाफ एमओयू के नियमानुसार कड़ी कार्रवाई की जाएगी। नियमों का उल्लंघन करने वाले अस्पतालों की आरजीएचएस योजना से संबद्धता निरस्त करने जैसे कदम भी उठाए जा सकते हैं।
उन्होंने कहा कि गत अप्रैल से लेकर अब तक आरजीएचएस में अनुमोदित चिकित्सालयों को लगभग 850 करोड़ रूपए का भुगतान आईपीडी, डेकेयर एवं ओपीडी के दावों के विरूद्ध किया जा चुका है। गत मार्च से पहले की अवधि के अधिकांश दावों के भुगतान उन अस्पतालों के बकाया हैं, जिनके खिलाफ अनियमितताएं पाई गई थीं और जिनके सबंध में विभिन्न स्तरों पर जांच, ऑडिट या परीक्षण की कार्यवाही विचाराधीन है। ऐसे 53 अस्पतालों की आईडी वर्तमान में निलंबित है। योजना में अनुमोदित अस्पतालों से संबंधित आईपीडी, ओपीडी, डेकेयर एवं फार्मेसी के 196 करोड़ रूपए के दावे पारित होकर भुगतान की प्रक्रिया में हैं।
विभाग की प्रमुख शासन सचिव गायत्री राठौड़ ने बताया कि सेवाएं देने से मना करने वाले अस्पतालों की सूची तैयार की जा रही है। इन पर नियमों के तहत कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि फिलहाल आरजीएचएस योजना से संबद्ध आधे से ज्यादा अस्पताल सेवाएं दे रहे हैं। योजनान्तर्गत लाभार्थियों को इलाज में किसी तरह की परेशानी न हो, इस दृष्टि से सभी प्रमुख स्थानों पर नए अस्पतालों को एम्पेनल करने पर विचार किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि वर्तमान में 350 से अधिक अस्पतालों के आवेदन योजना के तहत एम्पेनल के लिए विचाराधीन है।