जयपुर। राजस्थान में राजस्थान हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश देते हुए राज्य मानवाधिकार आयोग के पूर्व अध्यक्ष न्यायाधीश प्रकाश टाटिया द्वारा दायर उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें पूर्व संवैधानिक सेवा से मिल रही पेंशन के अतिरिक्त आयोग अध्यक्ष के कार्यकाल की भी अलग पेंशन देने की मांग की गई थी।
न्यायाधीश फरजंद अली और न्यायाधीश अनुरूप सिंघी की खंडपीठ ने शुक्रवार को यह फैसला सुनाया। झारखंड उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रहे प्रकाश टाटिया राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष रहे हैं। न्यायाधीश टाटिया 11 मार्च 2015 से 25 नवम्बर 2019 तक करीब तीन वर्ष आठ महीने तक राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष रहे थे। बाद में उन्होंने निजी कारणों से कार्यकाल पूर्ण होने से पहले ही इस्तीफा दे दिया था।याचिकाकर्ता ने तर्क दिया था कि सेवा के दोनों पद अलग-अलग प्रकृति के हैं, इसलिए उन्हें अलग-अलग पेंशन का अधिकार मिलना चाहिए।
उच्च न्यायालय ने इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि न तो नियमों में दोहरी पेंशन का कोई प्रावधान है और न ही समानता के सिद्धांत के आधार पर इसका दावा किया जा सकता है। एक बार जब याचिकाकर्ता को पूर्व संवैधानिक सेवा से पेंशन मिल रही है, तो आयोग अध्यक्ष पद पर कार्यकाल के लिए अलग से पेंशन का कोई वैधानिक नियम नहीं है। खंडपीठ ने यह कहते हुए याचिका को खारिज कर दिया कि कानून की दृष्टि से यह निराधार और विचारणीय नहीं है।