साहित्य विषयक हुई सार्थक चर्चा
अजमेर। चारण साहित्य शोध संस्थान की ओर से रविवार को चारण साहित्य समारोह 2025 में डिंगल साहित्य पर सार्थक चर्चा होने के साथ ही प्रतिभाओं का सम्मान किया गया।
अखिल भारतीय चारण गढ़वी महासभा के अध्यक्ष सीडी देवल ने कहा कि समाज में टीका तथा दहेज प्रथा बंद होनी चाहिए। नौजवान समाज में सुधार लाएंगे। इससे समाज बिखराव से बचेगा। नई पीढ़ी में भ्रातृत्व का भाव पैदा होगा।
चारण साहित्य शोध संस्थान के अध्यक्ष भंवरसिंह चारण ने कहा कि यह संस्थान समाज की धरोहर है। चारण समाज ने हमेशा समाज की दिशा बदली है। यह शोध संस्थान धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चारों पुरुषार्थों को प्राप्त करने के तीन मार्गों भक्ति, ज्ञान तथा कर्म मार्ग पर कार्य करता है। यह संस्थान धरोहर का संरक्षण कर उसे मजबूत करने का कार्य कर रहा है। महात्मा ईसर दास रचित एवं पद्मश्री सीपी देवल द्वारा संपादित ग्रंथ गुण हरि रस, ओंकार सिंह लखावत द्वारा रचित पुस्तक हिंगलाज शक्तिपीठ तथा डॉ देवेंद्र गढ़वी द्वारा रचित पुस्तक चारण साहित्य रतन माला का विमोचन किया गया।
शिरोमणि भक्त कवि महात्मा ईश्वर दास बारहठ पर केंद्रित साहित्यिक परिचर्चा में पद्मश्री डॉ चंद्र प्रकाश देवल ने बताया कि ईश्वर दास जी के साहित्य को सुरक्षित और संरक्षित रखने की वर्तमान परिपेक्ष में आवश्यकता है। ईश्वर दास जी को जानना आवश्यक है। भक्त कवि के साथ उनकी दार्शनिकता का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि ईश्वर दास न केवल भक्त थे बाकी महान दार्शनिक भी थे। भक्त को पढ़ना, जानना और प्रेम करना चाहिए।
शिरोमण भक्त कवि महात्मा ईसर दास बारहट पर केंद्रित साहित्यिक परिचर्चा में श्री अंबादान रोहड़िया ने कहा कि महात्मा ईसर दास बारहठ का ग्रंथ हरि रस भगवत गीता का सार सरल भाषा में प्रस्तुत करता है। इसे द्वारकाधीश को समर्पित किया गया था। ईसर दास जी के पुरोहित द्वारिका में स्वयं को ईसराणी कहलाना पसंद करते हैं। ईसर दास जी की भक्ति का गुजरात में व्यापक प्रभाव है। इस कारण चैत्र सुदी नवमी को गुजरात में ईसर नवमी भी कहते हैं।
राजस्थान धरोहर संरक्षण प्राधिकरण के अध्यक्ष ओंकार सिंह लखावत ने हमारे यशस्वी पुरखे एवं परंपरागत बहियां विषय पर प्रतिपादन उदबोधन में कहा कि चारण साहित्य ऊर्जा दायक है। चारणों की पुरखों की बहियां मेंटेन करना समय के साथ रावल समाज के लिए दुष्कर हो रहा था। इन बहियों को चारण साहित्य शोध संस्थान द्वारा प्राप्त कर डिजिटलीकरण किया जा रहा है। इससे यह अनमोल विरासत आने वाली पीढ़ियों को एक क्लिक पर उपलब्ध हो जाएगी। रावल समाज द्वारा संजोई गई यह वंशावली चारण साहित्य का एक महत्वपूर्ण अंग है।
चारण साहित्य और उसकी चुनौतियां विषय पर साहित्यिक परिचय का आयोजन किया गया। इसमें प्रोफेसर गजादान चारण में कहा कि पीढ़ियों के मध्य संवाद की कमी के कारण चारण साहित्य अगली पीढ़ी तक नहीं पहुंच पा रहा है। पुरानी पीढ़ियों द्वारा तैयार की गई पांडुलिपियां समाज के लिए एक धरोहर है। चारण साहित्य को पढ़ना और लिखना सब की आदत में शामिल होना चाहिए।
इसी विषय पर गिरधर दान दासोड़ी ने कहा कि चारण साहित्य डिंगल भाषा में सामान्यतः उपलब्ध है। डिंगल भाषा के सरलीकरण पर भी कार्य हो रहा है। डिंगल साहित्य जाति विशेष से जुड़ा हुआ नहीं है। इसकी कई विधाएं हैं। समस्त विधाओं पर कार्य होना चाहिए। पुरानी पीढ़ी के विद्वानों की पांडुलिपियों उनके वंशजों के पास विद्यमान है। इन समस्त पांडुलिपियों का संरक्षण तथा सार्वजनीकरण आवश्यक है।
माहूरकर ने कहा कि वर्तमान समय में सनातन संस्कृति के पतन का कारण इंटरनेट पर उपलब्ध अश्लील कंटेंट है। इससे बचने के लिए प्रत्येक स्तर पर प्रयास होने चाहिए। चारण समाज में गौरव की भावना है। डिंगल साहित्य समाज में देशभक्ति की भावना में वृद्धि करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
राजेंद्र रत्नू में कहा कि नव उपनिवेशवाद भाषा के माध्यम से नई पीढ़ी में आ रहा है। इससे हमारी संस्कृति दूषित हो रही है। एचडी चारण ने कहा कि यह कार्यक्रम चारण की पहचान को स्थापित करने वाला है।
चारण साहित्य समारोह 2025 में डिंगल साहित्य में श्रेष्ठ कार्य करने पर डॉ. शक्ति दान कविया स्मृति डिंगल साहित्य सम्मान डॉ. गिरधर दान रत्नू दासोड़ी को प्रदान किया गया। इन्हें सम्मान स्वरूप सम्मान पत्र तथा 31 हजार रुपए नगद राशि प्रदान की गई। इसी प्रकार चारण साहित्य पर शोध करने वाले व्यक्तियों का भी सम्मान किया गया। इनमें डॉ नरेंद्र सिंह मेहडु, डॉ दिनेश कुमार, डा भंवर सिंह चारण, डॉक्टर कुलदीप बारहठ, डॉ बलबीर सिंह, डॉ प्रवीण आशिया का सम्मान किया गया साथ ही चारण साहित्य में शोध कार्य संग्रहण, शोध व प्रशासन के विलक्षण कार्यकर्ता रतु दान रोहड़िया पर शोध पत्र का वाचन डॉ. तीर्थंकर रोहड़िया ने किया।
समारोह में चार पुस्तकों का विमोचन भी हुआ। इनमें पदमश्री डॉ. चंद्र प्रकाश देवल के संपादन में गुण हरी रस, ओंकार सिंह लखावत की पुस्तक हिंगलाज शक्तिपीठ, डॉ. देवेंद्र गढवी की पुस्तक चारण रत्न माला एवं महादन सिंह बारहठ मधु कवि भादरेस की पुस्तक चारण जाती रो धरती माथे आगमन अर देन शामिल रही।
समारोह में भारतीय प्रशासनिक सेवा में चयनित अवधेश सिंह तथा राजस्थान प्रशासनिक सेवा में चयनित विक्रम सिंह खिड़ीया, अंजनी कुमार लखावत, राजेंद्र लालस, मुकेश दान, वीरेंद्र चारण, मोहन कंवर, भरत सिंह, भूपेंद्र सिंह, सुमेर दान, दिव्य राज सिंह देवल तथा खॆत दान को सम्मानित किया गया साथ ही रावल समाज के महानुभावों को भी सम्मानित किया गया। गत 6 नवंबर को आयोजित चारण को जानो प्रतियोगिता के विजेताओं को पारितोषिक प्रदान किया गया।
इस अवसर पर गुजरात से आए हुए पुष्पदान गढवी, अंबा दान रोहड़िया, राजेंद्र रतनू, कल्याण सिंह कविया, करणी मंदिर निजी प्रन्यास देशनोक के अध्यक्ष बादल सिंह, शेखावाटी चारण महासभा के जय सिंह किडियां, मेवाड़ चारण महासभा के अध्यक्ष भैरू सिंह सौदा, जयपुर चारण महासभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह कविया, मंडलीय चारण सभा अध्यक्ष भंवर दान देपावत सहित समाज के गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन संस्थान की महामंत्री डॉक्टर सरोज लखावत ने किया।





