कश्मीर को मनोरंजन नहीं, रोजगार चाहिए

उमर रफ़ीक
श्रीनगर। कश्मीर को लंबे समय से रंग-बिरंगे त्योहारों, सेलिब्रिटी विज़िट्स, कॉन्सर्ट्स और बड़े-बड़े आयोजनों के ज़रिये एक चमकदार तस्वीर में दिखाने की कोशिश की जाती रही है, स्टेज सजते हैं, रोशनी जगमगाती है, भीड़ उमड़ती है, और कैमरों के सामने कुछ घंटों के लिए माहौल खुशनुमा दिखाई देता है। लेकिन जैसे ही लाइटें बंद होती हैं और संगीत थमता है, सच्चाई वहीं की वहीं रह जाती है-कश्मीर के युवाओं को मनोरंजन नहीं, रोजगार चाहिए।

कुपवाड़ा से लेकर श्रीनगर तक, हर ज़िले में युवा अपने भविष्य को लेकर गहरी अनिश्चितता से जूझ रहे हैं। पढ़े-लिखे, हुनरमंद और सपनों से भरे इन युवाओं को अपने कौशल के अनुरूप अवसर नहीं मिल रहे। डिग्रियाँ हैं, पर नौकरियाँ नहीं। प्रतिभा है, पर मंच नहीं। उम्मीदें हैं, पर सही दिशा नहीं। मनोरंजन कुछ समय के लिए मन बहला सकता है, लेकिन एक नौकरी जीवन को स्थिरता, सम्मान और उद्देश्य देती है।

हर तरफ निराशा का माहौल है। कोचिंग सेंटर भरे हुए हैं, जॉब फेयर्स पर लंबी कतारें लगी रहती हैं, और कई युवा सालों तक उन भर्तियों का इंतज़ार करते हैं जो या तो टलती रहती हैं या फिर रद्द हो जाती हैं। घर-परिवार भावनात्मक और आर्थिक बोझ तले दब रहे हैं। माता-पिता, जिन्होंने अपने बच्चों के लिए बड़े सपने देखे थे, अब चिंता में हैं कि क्या उनके बच्चे अपने ही वतन में एक स्थायी रोजगार पा सकेंगे।

अनंतनाग के एक युवा का दर्द झलकता है कि मैं भीड़ में नाचना नहीं चाहता, मुझे अपने परिवार को संभालने वाली नौकरी चाहिए। बारामूला की एक लड़की कहना है कि ये शो आते-जाते रहते हैं, लेकिन हर रात हम अपने भविष्य के बारे में सोचते हैं जो अब भी थमा हुआ है। ये केवल दो आवाज़ें नहीं-ये पूरी पीढ़ी की खामोश पुकार है, जो अक्सर बड़े आयोजनों के शोर में दब जाती है।

कश्मीर कला, संस्कृति और उत्सव का विरोध नहीं करता; इसकी पहचान ही कविता, संगीत, हस्तशिल्प और सूफ़ियाना परंपराओं से बनी है। लेकिन कश्मीर इस बात का विरोध करता है कि वास्तविक, दीर्घकालिक समाधान की जगह कुछ घंटों का मनोरंजन युवा समस्याओं का जवाब बनकर पेश किया जाए। लोग प्रतीकात्मक कदमों से आगे बढ़ना चाहते हैं, उन्हें ज़मीन पर वास्तविक बदलाव चाहिए।

युवाओं को स्टार्टअप सहायता, इंडस्ट्रियल हब, आईटी पार्क, स्वास्थ्य क्षेत्र में नौकरियां, व्यावसायिक प्रशिक्षण और पारदर्शी भर्ती प्रक्रियाएं चाहिए। मज़दूरों को रोज़गार की स्थिरता, कारीगरों को बाज़ार तक पहुंच और कलाकारों को पहचान चाहिए। हर घर को आर्थिक सुरक्षा चाहिए।

प्रतिभा की कभी कमी नहीं रही-कमी हमेशा अवसरों की

अगर विकास को वास्तविक रूप देना है, तो निवेश को स्टेज, शो और आयोजनों की जगह उद्योगों, शिक्षा, कौशल विकास और रोजगार सृजन पर केंद्रित करना होगा। असली शांति चमकदार कार्यक्रमों से नहीं, बल्कि आर्थिक समृद्धि और सुरक्षित भविष्य से पैदा होती है।

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार जनवरी 2025 तक जम्मू-कश्मीर में 3,70,811 शिक्षित बेरोज़गार युवा दर्ज हैं। इनमें से 2,13,007 कश्मीर संभाग और 1,57,804 जम्मू संभाग से संबंधित हैं। कुल बेरोज़गारी दर (15 वर्ष और उससे अधिक उम्र) 2023–24 में 6.1% रही, जो 2019–20 की 6.7% की तुलना में थोड़ी कम है। श्रम शक्ति भागीदारी दर (LFPR) 64.3% और कार्यकर्ता जनसंख्या अनुपात (WPR) 60.4% तक बढ़ा है-यानी अधिक युवा रोज़गार की तलाश में सक्रिय हैं, लेकिन अवसर अभी भी पर्याप्त नहीं हैं।

सरकारी प्रयासों के बावजूद रोजगार सृजन एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। पिछले कुछ वर्षों में PMEGP, तेजस्विनी, मुमकिन और अन्य योजनाओं के माध्यम से 9.58 लाख स्व-रोज़गार अवसर उपलब्ध कराए गए हैं। वहीं, सरकारी नौकरियों में पिछले दो वर्षों में JKPSC और JKSSB के माध्यम से केवल 11,526 उम्मीदवारों का चयन हुआ है-जो उन लाखों युवाओं के लिए बेहद कम है जो स्थिर रोजगार की प्रतीक्षा कर रहे हैं।