आबूरोड की डूबी सड़कों ने उगला 50 लाख खर्चे का सच!

आबूरोड में बुधवार को हुई बारिश के बाद सोशल मीडिया पर वायरल जलभराव की तस्वीर।

सबगुरु न्यूज-आबूरोड। नगर पालिका क्षेत्र में 16 अगस्त की रात को और उसके बाद बुधवार दोपहर को कुछ मिनट के लिए ही सही लेकिन, मूसलाधार बारिश हुई। इस बारिश ने आबूरोड नगर पालिका पर लगाए गए कांग्रेस पार्षद शामशाद अली अब्बासी के आरोपों की तस्दीक सी कर दी। शमशाद अली ने आबूरोड नगर पालिका पर मानसून से पहले नाले सफाई के नाम पर जमकर भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाया था। उनका आरोप था कि नालों की सफाई करवाए बिना ही नगर पालिका ने भुगतान कर दिया।

दो दिनों की कुछ मिनटों की मूसलाधार बारिश में आबूरोड के पारसीचाल और आसपास के हुए जलभराव ने नालों की सफाई व्यवस्था के लिए किए गए लाखों के भुगतान की पोल खोल दी। आबूरोड के सोशल मीडिया ग्रुपोें में आबूरोड शहर में थोडी देर की बारिश में ही जलभराव होने की फोटोज वायरल होने लगी और लोग नगर पालिका सफाई व्यवस्था को आडे हाथों लेने लगे।

आबूरोड में बुधवार को हुई बारिश के बाद सोशल मीडिया पर वायरल जलभराव की तस्वीर।

– आखिर गए कहां पचास लाख?

मीडिया रिपोट्र्स के अनुसार पलिकाध्यक्ष मगनदान चारण ने बताया है कि नगर पालिका ने सिर्फ नालों की सफाई के लिए नियमित सफाई ठेके के अलावा पचास लाख का ठेका अलग से किया था। जबकि सफाई के मुख्य ठेके में भी नाले-नालियों की सफाई का क्लाॅज षामिल था। पालिकाध्यक्ष के अनुसार आबूरोड नगर पालिका क्षेत्र में करीब 12 बडे नाले हैं जिनमें प्रत्येक की लम्बाई करीब पांच किलोमीटर है। उनकी मानें तो शहर में बडे नालों की कुल लम्बाई करीब 60 किलोमीटर के आसपास होती है। लेकिन, गुगल अर्थ में आबूरोड नगर पालिका क्षेत्र की सडकों की लम्बाई नापने पर ही वो करीब चालीस से पैंतालीस किलोमीटर से ज्यादा नहीं आती। ऐसे में पालिकाध्यक्ष के दावे के अनुसार हर गली में बडे नाले होने चाहिए और यहां पर सडकों से ज्यादा लम्बाई नालों की होनी चाहिए।

 

 आबूरोड में बुधवार को हुई बारिश के बाद जगदीश चौराहा रोड पर नालों बाहर निकलता पानी।

– प्रति किलोमीटर एक लाख खर्च?

आबूरोड में जलभराव का आलम बता रहा है कि यहां पर बडे नालों की सफाई सही नहीं हुई है या हुई ही नहीं है। पालिकाध्यक्ष के आकडों के अनुसार ही नालों की लम्बाई मान ली जाए तो आबूरोड नगर पालिका ने प्रति किलोमीटर नाले की सफाई में करीब एक लाख रुपये खर्च कर दिए। शमशाद अली ने जो आरोप लगाए उसके अनुसार नगर पालिका ने नाले सफाई को लेकर जेसीबी और लेबर दोनों की दरें बढाकर लगाई है। उनकी दलील ये है कि अगर कचरे की सफाई और इसके परिवहन की दरें भी जोडी जाएं तो भी इतनी नहीं बैठती जितने का ठेका दिया गया है।

गणित की समान्य संक्रिया के हिसाब से साठ किलोमीटर के नालों की कुल लम्बाई करीब एक लाख 96 हजार फीट होती है। इनकी चौ डाई करीब तीन फीट हो और में दो फीट तक कचरा भरा हो तो इन साठ किलोमीटर लम्बाई के नाले में कुल 12 लाख क्यूबिक फीट कचरा हो सकता है। जेसीबी संचालकों के अनुसार जेसीबी प्रति घंटा 450 क्यूबिक फीट मिट्टी की खुदाई प्रति घंटा कर सकती है, नाले सफाई में तो हजार क्यूबिक फीट काम कर सकती है। सिर्फ इसी को आधार रखें तो 12 लाख क्यूबिक फीट कचरा निकालने का काम करने में 12 सौ से पंद्रह सौं घंटे लगेंगे।

आबूरोड में जेसीबी की प्रतिघंटा दर 1200 से 1500 रुपये हैं ऐसे में आबूरोड के साठ किलोमीटर नाले में 12 लाख क्यूबिक फीट कचरा जेसीबी से निकालने का खर्च करीब साढे 22 लाख रुपये आता है। इसमें सफाई कर्मी और कचरा परिवहन भी जोड लिया जाए तो पैंतीस लाख तक पहुंच सकता है। वो भी तब जब हर तरह से आकडों को बढाकर लिया गया है। यूं देखा जाए तो आबूरोड में न तो नालों की कुल लम्बाई 60 किलोमीटर है और न ही ये हर जगह पर खुले हुए हैं। ऐसे में नालों की सफाई का एस्टीमेट इससे भी कम आनी चाहिए।