प्रयागराज। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को सोमवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय से बड़ी राहत मिली, जब उनकी शैक्षणिक डिग्री को चुनौती देने वाली याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया।
अधिवक्ता दिवाकर नाथ त्रिपाठी ने आपराधिक पुनरीक्षण याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि केशव प्रसाद मौर्य ने चुनाव लड़ने और पेट्रोल पंप का लाइसेंस पाने के लिए फर्जी डिग्री प्रमाणपत्र प्रस्तुत किया था।
न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह की एकल पीठ ने 25 मई को सुरक्षित रखे गए आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता दिवाकर नाथ त्रिपाठी द्वारा दायर पुनरीक्षण याचिका में लगाए गए आरोपों में कोई आधार नहीं है। याचिकाकर्ता ने अपनी पुनरीक्षण याचिका में आरोप लगाया था कि केशव प्रसाद मौर्य को पेट्रोल पंप आवंटित किया गया था और उन्होंने अवैध डिग्री पर चुनाव में हलफनामा प्रस्तुत किया था।
पुनर्विचार याचिका दायर करने वाले दिवाकर नाथ त्रिपाठी ने तर्क दिया कि मौर्य ने प्रयागराज स्थित हिंदी साहित्य सम्मेलन से डिग्री प्राप्त की थी, जिसे यूजीसी ने ‘फर्जी’ विश्वविद्यालय घोषित किया है। इसलिए उपमुख्यमंत्री के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर मामले की जांच होनी चाहिए।
इससे पहले जिला न्यायालय ने भी इस याचिका को खारिज कर दिया था। बाद में दिवाकर नाथ त्रिपाठी ने हाईकोर्ट से याचिका खारिज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को मामले की दोबारा सुनवाई करने का निर्देश दिया और अब इसे फिर से खारिज कर दिया गया।
हाईकोर्ट के इस फैसले को उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के लिए बड़ी राहत के तौर पर देखा जा रहा है। गौरतलब है कि इससे पहले भी केशव प्रसाद मौर्य के खिलाफ कई याचिकाएं दाखिल की गई थीं, जिसमें उनकी डिग्री को फर्जी बताया गया था।