नई दिल्ली। केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के उपभोक्ता मामले विभाग ने विधिक माप विज्ञान नियम, 2013 में संशोधन किया है जिससे देश में माप-तौल सत्यापन के बुनियादी ढांचे के विस्तार और व्यापार में पारदर्शिता, सटीकता और निष्पक्षता सुनिश्चित होगी।
मंत्रालय ने आज बताया कि उपभोक्ता मामले विभाग ने विधिक माप विज्ञान (सरकार द्वारा अनुमोदित परीक्षण केंद्र) नियम, 2013 में महत्वपूर्ण संशोधनों को अधिसूचित किया है। ये संशोधन देश में माप-तौल सत्यापन के बुनियादी ढांचे के विस्तार और व्यापार में पारदर्शिता, सटीकता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। संशोधित नियमों का उद्देश्य उपभोक्ता संरक्षण को मज़बूत करना, व्यापार में सुगमता को बढ़ावा देना और देश की सत्यापन प्रणाली को अंतर्राष्ट्रीय तौर-तरीकों के अनुरूप बनाना है।
उन्होंने कहा कि संशोधित नियमों ने सरकारी अनुमोदित परीक्षण केंद्रों (जीएटीसी) के दायरे को काफ़ी व्यापक बना दिया है और अब इसमें 18 प्रकार के माप-तोल उपकरण, जल मीटर, ऊर्जा मीटर, गैस मीटर, नमी मीटर, प्रवाह मीटर, स्फिग्मोमैनोमीटर और गैर-स्वचालित माप-तोल उपकरण शामिल हैं।
केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री प्रल्हाद जोशी ने हाल ही में गोवा में आयोजित राष्ट्रीय नियंत्रक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा था कि विधिक माप विज्ञान (सरकार द्वारा अनुमोदित परीक्षण केंद्र) नियमों में संशोधन देश के विधिक माप विज्ञान इको-सिस्टम के आधुनिकीकरण की दिशा में एक बड़ा कदम है।
यह उद्योग जगत की भागीदारी को सशक्त बनाता है, उपभोक्ताओं के लिए सटीक माप सुनिश्चित करता है और हमारे प्रवर्तन अधिकारियों की कार्यप्रणाली को सुदृढ़ बनाता है। इस सुधार के साथ देश माप सत्यापन की एक पारदर्शी, प्रौद्योगिकी-संचालित और आत्मनिर्भर प्रणाली का निर्माण कर रहा है। इससे व्यापार में निष्पक्षता को बढ़ावा मिलता है और उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा होती है।



