नेशनल हेराल्ड मामले में 2 से 8 जुलाई के बीच ईडी अदालत करेगी नियमित सुनवाई

नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दिल्ली की एक विशेष अदालत में नेशनल हेराल्ड धन शोधन मामले में कांग्रेस के दो वरिष्ठ नेताओं सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अन्य के विरुद्ध बुधवार को सुनवाई के दौरान दावा किया कि इस प्रकरण में किए गए सौदों में 2000 करोड़ रुपए की सम्पत्ति को हड़पने के लिए आपराधिक साजिश की गई।

अदालत में आज ईडी की ओर से मामला रखा गया जबकि अभियुक्तों की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी ने मामले से संबंधित दस्तावेजों की मांग की। अदालत ने इस मामले पर दो से आठ जुलाई के बीच नियमित रूप से सुनवाई करने का फैसला किया है।

धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) संबंधी मामलों की सुनवाई करने वाली अदालत के न्यायाधीश विशाल गोगने के समक्ष ईडी की ओर से अतिरिक्त सालिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि यह मामला स्पष्ट तौर पर धन शोधन का है। इसमें अधराध के जरिए कमाई की गई। ऐसी कमाई के लिए आपराधिक गतिविधयां परिचालित की जाती रहीं। यह पीएमएलए के तहत अपराध का मामला बनता है।

यह मामला नेशनल हेराल्ड अखबार समूह को चलाने वाली कंपनी एसोसिएटेड जनरल्स लि. (एजेएल) को कांग्रेस पार्टी से मिले 90.25 करोड़ रुपए के ऋण को वसूलने या उसपर निर्णय करने का अधिकार 2010 में गठित कंपनी यंग इंडियन को 50 लाख रुपए में हस्तांतरित करने संबंधी कथित गड़बड़ियों से जुड़ा है।

राजू ने कहा कि इस मामले में धोखा करने के लिए यंग इंडियन नाम से फर्म बनाई गई और इसे सार्वजनिक सम्पत्ति को निजी सम्पत्ति बनाने प्रयोजन के लिए इस्तेमाल किया गया। उल्लेखनीय है कि यंग इंडियन में सोनिया गांधी और राहुल गांधी मुख्य शेयरधारक हैं। ईडी की ओर से अदालत में कहा गया है कि अभियुक्तों को अपराध से हुई कमाई में 142 करोड़ रुपए की किराए की आय भी शामिल है।

सुनवाई के दौरान न्यायाधीश गोगने ने ईडी से कुछ सवाल किए जिसमें यह पूछा गया कि एजीएल की सम्पत्तियों का असली मालिक कौन है और क्या उसके शेयरधाकरों को मालिक माना जा सकता है। न्यायाधीश ने सवाल किया कि सीधा प्रश्न है कि यदि ‘ए’ की सम्पत्ति ‘बी’ ने हड़प ली है तो क्या वह अपराध की कमाई कही जा सकती है जबकि वह जब एक के पास थी तो वह उसके पास बेदाग थी।