सिरोही जिला कांग्रेस की बैठक में वो हुआ जो डेढ दशक में नहीं दिखा

सिरोही जिला कॉन्ग्रेस की बैठक में मौजूद कॉन्ग्रेस जन।

परीक्षित मिश्रा

सिरोही। जिला कांग्रेस की सिराही जिले की तीनों विधानसभा सीटों के लिए प्रत्याशियों के आवेदन के लिए शनिवार को हुई बैठक में वो हुआ जो पिछले डेढ दशक में देखने को नहीं मिला। 2008, 2013 और 2018 में विधानसभा के टिकिटों के वितरण के लिए सिरोही में आए प्रदेश पर्यवेक्षकों की बैठक में पहली बार किसी भी तरह का हंगामा नही हुआ।

सब कुछ इतना शांतिपूर्ण हुआ कि ये स्पष्ट दिख रहा था कि जिले में कांग्रेस के सारे गुटों में आपस में सुलह हो चुकी है। ये बात अलग है कि कमरों में प्रदेश प्रतिनिधियों से मुलाकात के दौरान जरूर विरोधी गुटों के लोगों ने अपने प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ शिकायतें की।

21 से 25 अगस्त तक जिले की तीनों विधानसभा सीटों के छहों ब्लाॅकों के ब्लाॅक अध्यक्षों ने अपनी अपनी विधानसभाओं में आवेदन प्राप्त किए। प्रदेश कांग्रेस से निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार विधानसभान चुनावों लिए मनोनीत सिरोही जिला प्रभारी गोपालन मंत्री प्रमोद जैन भाया, उद्योग एवं देवस्थान मंत्री शकुंतला रावत, आबू-पिण्डवाडा विधानसभा के प्रभारी हरेन्द्र मिर्धा तथा सिरोही जिले की संगठन प्रभारी अंजना मेघवाल की मौजूदगी में जिला कांग्रेस की बैठक हुई। यहां पर जिला अध्यक्ष और इन प्रभारियों को भी तीनो विधानसभा सीटों से दावेदारी का आवेदन किया। बाद में प्रदेश प्रतिनिधियों ने बंद कमरों में सिरोही अवेदकों के आवेदन भी लिए और आवेदनकर्ताओं के खिलाफ संगठन से दूसरे गुटों की शिकायतें भी सुनी।

सिरोही में जिला कांग्रेस कमेटी की बैठक में मौजुद कांग्रेसजन।

बैनर से गायब रहा कांग्रेस का सिम्बल

ये बैठक जिला कांग्रेस कमेटी ने करवाई थी। लेकिन, जिस मंच पर सभी प्रभारी बैठे हुए थे उसके पीछे लगे हुए बैनर पर कांग्रेस का सिंबल ही नहीं था। सबसे महत्वपूर्ण बात ये थी कि कांग्रेस में नहीं होकर भी इस बैठक का पूरा नियंत्रण सिरोही विधायक संयम लोढा के हाथों में रहा। ये बात अलग है कि मंच संचालन करते हुए उन्होंने प्रोटोकाॅल का पूरा ध्यान रखा और पूर्व जिलाध्यक्षों, पूर्व जिला प्रमुखों, विधानसभा चुनाव के प्रत्याशियों को स्थान दिया और उनसे अतिथियों से अभिनन्दन भी करवाया। लेकिन, कांग्रेस के बागी के रूप में 2018 में कांग्रेस की सिरोही विधानसभा में दुर्गत करवाने के बाद भी इस तरह से कांग्रेस के नेताओं के द्वारा प्रमुखता दिये जाने से लोढा विरोधी खेमे का नागवार गुजरा और इसके बारे में बंद कमरे में वो अपनी आपत्ति भी दर्ज करवाकर आए। उनका अरोप था कि बैठक की बागडोर मूल कांग्रेस की बजाय निर्दलीय कांग्रेस के हाथों में सौप दी गई थी।

इसलिए की जल्दी

कांग्रेस के आंतरिक सर्वे में प्रदेश की जिन 70 सीटों में कांग्रेस वेंटीलेटर पर नजर आई उनमें तीन सीटें सिरोही जिले की भी हैं। ऐसे में चुनाव से तीन महीने पहले ही टिकिटों के लिए रायशुमारी कर लेने वाली सीटों में सिरोही जिले का भी नम्बर आया है। इससे पहले यहां पर चुनाव से एक से डेढ महीने पहले पर्यवेक्षक आकर टिकिटों के लिए आवेदन लेते थे और राशुमारी करते थे। जिस तरह सिरोही की तीनों सीटों और जालोर जिले की सीटों के लिए प्रदेश पर्यवेक्षकों ने इतनी जल्दी रायशुमारी की है। उससे यह प्रतीत हो रहा है कि सिरोही की तीनों सीटों के प्रत्याशी कांग्रेस सितम्बर या अक्टूबर की पहली लिस्ट में ही जारी कर देगी। जिला स्तर पर एकत्रित आवेदन प्रदेश को सौंपा जाएगा। संभवतः जिले से या हो सकता है प्रदेश से ही पैनल बनकर राष्ट्रीय कार्यालय को दिल्ली भेज दिया जाए।

लोढा होंगे सिरोही के प्रत्याशी!

मंच से अपने उद्बोधन में प्रदेश से आए प्रतिनिधियों ने सिरोही के विधायक संयम लोढा के कार्यों की जिस तरह से सराहना की और उनके जैसे जनप्रतिनिधियों का साथ देने की बात कही उससे ये लगा कि संयम लोढा कांग्रेस से चुनाव लडेंगे और उनका नाम सिरोही विधानसभा से पैनल में सुरक्षित हो गया है। बाद में पत्रकारों से बात करते हुए मंत्री शकुंतला रावत ने हर किसी के संयम लोढा का नाम लेने पर उनका टिकिट सिरोही विधानसभा से फाइनल होने के सवाल पर कहा कि अब वो आइडिया आप क्या लगा सकते हैं! लेकिन, सिरोही विधानसभा से कांग्रेस के पूर्व प्रत्याशी जीवाराम आर्य, पुखराज गहलोत, हरीश परिहार और अंकुर रावल ने भी दावेदारी जताई है।

गलतफहमी में नहीं रहें

बैठक में मौजूद पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को संबंोधित करते हुए गोपालन मंत्री प्रमोद जैन भाया ने कहा कि ये समझ लीजिए कि आज ही कांग्रेस ने सिरोही जिले में चुनावी बिगुल फूंक दिया है। सभी लोग अब अपने अपने क्षेत्रों में चुनाव की तैयारियों में लग जाएं। उन्होंने कहा कि कार्यकर्ताओं को गहलोत सरकार के कामों को एक एक व्यक्ति तक पहुंचाना है।

भाया ने कहा कि भाजपा देश और प्रदेश में काम नहीं करती, लेकिन उनके कार्यकर्ताओं के द्वारा जनता को झूठ बोलकर प्रचार करने में महारथ हासिल है इसलिए वो बाजी मार जाते हैं और कांग्रेस जनता के लिए बेहिसाब काम करती है लेकिन, हमारे कार्यकर्ता इस सच को जनता तक नहीं पहुंचा पाते इसलिए कांग्रेस चुनाव में पिछड जाती है। उन्होंने कहा कि इस बार राजस्थान को इस मिथक को तोडना है कि किसी यहां के लोग हर बार सत्ता पलट देते हैं।उन्होंने कहा कि किसी भी तरह की गलतफहमी पाले बिना अंतिम व्यक्ति तक को कांग्रेस के किए कार्यों से अवगत करवाना है।

वहीं प्रदेश मंत्री शकुंतला रावत ने कहा कि कांग्रेस को फिर से सत्ता में काबिज करने के लिए सिरोही की तीनों सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशी को जिताकर भेजना है। उन्होंने कहा कि हो सकता है कि दावेदारी करते हुए हम एक दूसरे के खिलाफ दावेदारी कर रहे हों। लेकिन, संवैधानिक मजबूरी ये है कि हर विधानसभा से पार्टी एक ही व्यक्ति को अपना अधिकृत उम्मीदवार घोषित कर सकती है। ऐसे में ये मानकर चलिए कि जिस भी व्यक्ति को टिकिट मिले उसके समर्थन में सबको कांग्रेस के बैनर के तले आकर जीत हासिल करनी है। अंजना मेघवाल ने प्रदेश सरकार द्वारा राजस्थान में अशोक गहलोत के द्वारा लागू की गई महत्वाकांक्षी योजनाओं के बारे में लोगों को बताने का आहवान किया।

वहीं हरेन्द्र मिर्धा ने कहा कि संगठन ने इस बार टिकिट वितरण के लिए जो प्रक्रिया अपनाई है उसमें पूरी तरह से पारदर्शिता अपनाई गई है। इसमें कार्यकर्ता को अपने संवैधानिक अधिकारों का प्रयोग करते हुए आवेदन करने और जिला व विधानसभा में संगठन को लेकर कोई शिकायत हो उसे भी सुनने की पूरी व्यवस्था की गई है।

इस अवसर पर जिला अध्यक्ष आनंद जोशी ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया। इस दौरान प्रदेश महासचिव हरीश चैधरी, पालिका अध्यक्ष वजींगराम घांची,स भापति महेन्द्र मेवाडा, ब्लॉक अध्यक्ष शैलेष पटेल, अचल सिंह बालिया,रा मसिंह सिसोदिया, तेजाराम मेघवाल, रताराम देवासी, अन्नाराम बोराणा,गंगाबेन गरासिया, गुमानसिंह देवडा, अनिता बाकोलिया, लालाराम गरासिया,लीलाराम गरासिया, निम्बाराम गरासिया, राजेन्द्र सांखला, जीवाराम आर्य आदि मौजूद थे।

नेताप्रतिपक्ष कांतिलाल परिहार, नरगिस कायमखानी, शमशाद अली अब्बासी, मोहन सिंह निबज, केपी सिंह दमानी, देवेंद्र सिंह, मोती राम कोली, लखमा राम कोली, मुकेश जोशी, रमेश चैधरी, अजीत चैधरी, मुख्तियार खान, पूर्व प्रधान छगन लाल सोलंकी, महिपाल पुरोहित, देवीदान, इब्राहिम भाई मंडार, भूराराम, हमीद कुरैशी, राकेश रावल, साजिद अली, निकेश रावल,सुरेश मेवाड़ा, जेठाराम मेघवाल, संजय परमार जायकेश अग्रवाल, छगन टांक, बाबूलाल,अशोक ग्रसिया, दिलसेर खान, जुहारमाल प्रजापत, सवाराम डांगी, विष्णु परमार, जवाना राम, नारायण परमार आसिफ खान, बालवंत सिरवी सहित जन प्रतिनिधि व कार्यकर्ता मौजूद रहे।