शिक्षा का भगवाकरण नहीं भारत का प्रकटीकरण : सुधांशु त्रिवेदी

जयपुर। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं सांसद डा सुधांशु त्रिवेदी ने कांग्रेस के शिक्षा के पाठ्यक्रम में परिवर्तन (भगवाकरण) को लेकर उठाए जा रहे सवाल पर पलटवार करते हुए कहा है कि यह भगवाकरण नहीं, भारत का प्रकटीकरण है। डा त्रिवेदी शुक्रवार को यहां भाजपा की प्रदेश स्तरीय मीडिया कार्यशाला को संबोधित करते हुए यह बात कही।

उन्होंने कहा कि वर्ष 1947 में अंग्रेजों से आजादी मिली, वर्ष 1977 में हम राजनीतिक रूप से आजाद हुए, 1990 के दशक में हम सांस्कृतिक रूप से आजाद हुए और आज हम वैचारिक लोकतंत्र के रूप में स्थापित हुए है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस और वामपंथी लोगों ने पाठ्यक्रमों में इस तरह की विषय वस्तु शामिल करवाई, जिससे भारतीय होने पर ग्लानि और हिन्दू होने पर शर्म महसूस होती हो। क्या कारण है कि महाराणा प्रताप को हारा हुआ पढ़ाया जाता रहा, क्या महाराणा प्रताप युद्ध क्षेत्र में वीर गति को प्राप्त हो गए थे, क्या उन्हें बंदी बना लिया गया था, क्या उन्होंने टैक्स देना स्वीकार किया था, तो फिर कैसे महाराणा प्रताप की पराजय का इतिहास हमारी युवा पीढ़ी को पढ़ाया गया। राणा सांगा के बारे में लुटेरों के लिखें झूठ को इतिहास बनाकर क्यों पढ़ाया गया। आज कांग्रेस के लोग शिक्षा के पाठ्यक्रम में परिवर्तन को लेकर सवाल उठा रहे है कि भगवाकरण हो रहा है, यह भगवाकरण नहीं, भारत का प्रकटीकरण है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस शासन में गुलामी की मानसिकता को स्वीकार करने एवं उसे पुष्पित पल्लवित करने का काम हुआ वहीं भाजपा की सरकारों में भारतीय विचार से प्रेरित ‘स्व का तंत्र’ स्थापित कर देश का गौरव बढ़ाने का काम किया गया। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद स्थापना से लेकर प्रेरणा तक भारतीय होने वाली भाजपा के शासन को विदेशी समाचार पत्र संडे गार्जियन ने भी भारत का नियति से दूसरी बार साक्षात्कार बताया है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कुशल नेतृत्व ही है कि भारत आज अर्थव्यवस्था और स्टॉक एक्सेंज में चौथे नंबर पर है, आटोमोबाइल एवं एयरलाइंस में तीसरे नंबर पर है, मोबाइल निर्माण पर दूसरे नंबर पर है और डिजिटल पेमेंट के मामले में केवल पहले नंबर पर ही नहीं है बल्कि दुनिया का 48 प्रतिशत पेमेंट जो अमरीका तथा चीन को मिलाकर भी ज्यादा होता है।

उन्होंने कहा कि यह वामपंथी मानसिकता ही है जिसने व्यापारियों को बेईमान कहा और लुटेरों को सम्मान दिया। इन विदेशी मानसिकता के इतिहासकारों ने आर्य से लेकर आलू, गोभी, मिर्च -टमाटर तक बाहर से आया बता दिया। उन्होंने देश में जो अच्छा था उसे बाहर से आया हुआ, जो बुरा था उसे हमारी मानसिकता करार दिया। बुराइयों के लिए हम ही जिम्मेदार हो गए, जब आक्रांताओं के अत्याचार प्रमाण सहित सामने रखे जाते है तो झूठ फैलाया जाता है कि आक्रांताओं को हमने ही बुलाया था। उन्होंने कहा कि बप्पा रावल तुर्की तक गए, हमें नहीं पढ़ाया गया, पृथ्वीराज चौहान ने मोहम्मद गजनी को 17 बार हराया, वह नहीं पढ़ाया गया।

उन्होंने कहा कि यह देश का दुर्भाग्य है कि डिस्कवरी आफ इंडिया में गजनी की मथुरा यात्रा का जिक्र करते हुए नेहरू ने उसे कला प्रेमी बता दिया, वहीं महमूद गजनी के दरबारी इतिहासकार अल उतबी ने ‘तारीख-ए-यामिनी’ नामक पुस्तक में लिखा है कि गजनी ने मथुरा की इमारतों एवं मंदिरों की भव्यता को देखकर कहा था कि ये इंसान की बनाई नहीं हो सकती, इसे देवताओं ने बनाया है, इसलिए इन्हें जमीदोज कर दिया जाए। क्यों देश से नेहरू ने यह सच छुपाया और आक्रांताओं का महिमा मंडन किया।

त्रिवेदी ने कहा कि राहुल गांधी और कांग्रेस नेता हिन्दू धर्म पर असहिष्णुता के आरोप लगाते है, 2001 में जब महाकुंभ हुआ, तब सोनिया गांधी ने कुंभ में स्नान किया, केंद्र में अटलजी की सरकार, उत्तर प्रदेश में राजनाथ सिंह मुख्यमंत्री थे किसी ने भी उन्हें नहीं रोका था। इस वर्ष महाकुंभ में 60 लाख विदेशी आए और स्नान किया। श्रद्धा से महाकुंभ को देखा, उनसे किसी ने नहीं पूछा कि तुम्हारा धर्म क्या है, पर राहुल गांधी एक बार बिना धर्म परिवर्तन किए हज यात्रा करके दिखा दें। उनको सहिष्णुता और असहिष्णुता में अंतर पता चल जाएगा।