नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विश्व व्यापार में हिन्द महासागर के नौवहन मार्गों की महत्वपूर्ण स्थिति को रेखांकित करते हुए रविवार को कहा कि इनकी सुरक्षा करते हुए भारतीय नौसेना दुनिया को स्थिर रखने में बड़ी भूमिका निभा रही है।
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि भारत महासागरों को लेकर एक ऐसी सोच के साथ काम कर रहा है जिसके अंतर्गत भारत दूसरे देशों के विकास में सहभागिता के साथ जरूरत पड़ने पर तीव्र गति से मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए भी उपस्थित रहता है।
मोदी ने हर वर्ष दीपावली को सैनिकों के बीच मनाने की परंपरा को जारी रखते हुए इस बार गोवा के तट और कारवार नौसैनिक अड्डे पर स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत का दौरा किया और वहां बहादुर नौसैनिकों के साथ दीपावली मनाई। उन्होंने कल रात इसी पोत पर बिताया और देश में विकसित इस विमानवाहक पोत को मेक-इन- इंडिया का प्रतीक बताया।
मोदी ने कहा कि आज जब परस्पर निर्भर देशों की अर्थव्यवस्था और प्रगति समुद्री रास्तों पर निर्भर है, तब भारत की नेवी ग्लोबल स्थिरता में अहम भूमिका निभा रही है। इस समय दुनिया की 66 प्रतिशत तेल आपूर्ति, कंटेनर में भर कर भेजे जाने वाले 50 प्रतिशत माल की ढुलाई हिंद महासागर से होकर गुजरती है और इनके मार्ग की सुरक्षा में भारतीय नौसेना हिंद महासागर के प्रहरी की तरह तैनात है।
उन्होंने इस काम में नौसेना के जवानों और अधिकारियों की महती भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि इसके अलावा, भारतीय नौसेना विशेष अभियान , समुद्री लुटेरों के बचाव के लिए गश्त और मानवीय सहायता अभियान के माध्यम से वैश्विक सुरक्षा के भागीदार की भूमिका निभाती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि शक्ति और सामर्थ्य को लेकर भारत की परंपरा रही है- ज्ञानाय, दानाय च रक्षणाय! अर्थात्, हमारा विज्ञान, हमारी समृद्धि और हमारी ताकत, मानवता की सेवा और मानवता की सुरक्षा के लिए होती है।
उन्होंने देश के द्वीपों और राष्ट्र की भौगोलिक अखंडता में भी नौसेना की भूमिका को बड़ी भूमिका को रखांकित किया और 26 जनवरी को देश के हर द्वीप पर तिरंगा फहराने के सरकार के निर्णय को लागू करने के लिए नौसेना को बधाई दी। उन्होंने कहा कि मैं नेवी को बधाई देता हूं! आज भारत के हर द्वीप पर नौसेना तिरंगा फहरा रही है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत अपने साथ के दक्षिणी गोलार्द्ध के विकासशील देशों को भी तरक्की करते देखना चाहता है। इसके लिए ‘महासागर मैरिटाइम विज़न’ पर तेज गति से काम किए जा रहे हैं। भारत कई देशों के विकास में सहयोग कर रहा है और जरूरत पड़ती है, तो हम धरती के किसी भी कोने में मानवीय मदद के लिए भी मौजूद रहते हैं। अफ्रीका से लेकर साउथ ईस्ट एशिया तक, आपदा के समय, विपत्ति के समय दुनिया भारत को विश्वबंधु के रूप में देखती है।
मोदी ने इसी संदर्भ में 2014 में मालदीव में पानी के संकट के समय चलाए गए ऑपरेशन नीर, 2017 में श्रीलंका में बाढ़ की विभीषिका, 2018 में इंडोनेशिया में सुनामी की तबाही, हाल में म्यांमार में भूकंप, 2019 में मोज़ाम्बिक और 2020 में मेडागास्कर के संकट का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत हर जगह सेवा की भावना से पहुंचा।
उन्होंने कहा कि यमन से लेकर सूडान तक, जहां-जहां जरूरत पड़ी, आपके शौर्य और साहस ने दुनिया भर में रह रहे भारतीयों को युद्ध के बीच से सुरक्षित निकाल कर उनके भरोसे को बहुत मजबूत किया है। भारत ने सिर्फ भारतीयों का नहीं, उस देश में फंसे हुए कई देश के नागरिकों को भी बचाकर, निकालकर लाया है और उन्हें उनके घर तक पहुंचाया है।
मोदी ने कहा कि हमारे सैन्य बलों ने जल-थल-नभ, हर मोर्चे पर और हर परिस्थिति में देश की सेवा की है, समर्पण भाव से सेवा की है, पूरी संवेदनशीलता के साथ सेवा की है। समंदर में हमारी नेवी देश की समुद्री सीमाओं और व्यापारिक हितों की सुरक्षा के लिए तैनात रहती है। आकाश में हमारी एयरफोर्स भारत की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध रहती है और जमीन पर, तपते रेगिस्तान से लेकर ग्लेशियर्स तक, हमारी सेना, हमारे बीएसएफ के जवान, हमारे भारत तिब्बत सीमा पुलिस के जवान सब मिलकर के चट्टान की तरह खड़े रहते हैं।
उन्होंने कहा कि इसी तरह अलग-अलग मोर्चों पर, सशस्त्र सीमा बल, असम राइफल्स, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल, केंद्रीय औद्योगिकी सुरक्षा बल और इंटेलिजेंस एजेंसीज़ के जवान भी मिल-जुल कर एक इकाई के रूप में हर जवान मां भारती में सेवा में डटा रहता है। उन्होंने समुद्री सीमाओं की सुरक्षा में लगे तटरक्षक बल की भूमिका की भी सराहना की जो नौसेना के साथ समन्वय बनाकर दिन-रात तैनात राष्ट्र रक्षा के महायज्ञ में बड़ा योगदान कर रहा है।