अजमेर। राजस्थान में आगामी 26 अप्रैल को दूसरे चरण में होने वाले लोकसभा चुनाव के तहत अजमेर संसदीय क्षेत्र में सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार सांसद भागीरथ चौधरी और विपक्षी दल कांग्रेस के प्रत्याशी रामचंद्र चौधरी के बीच सीधा मुकाबला होने के आसार हैं।
इस बार चुनाव में भाजपा प्रत्याशी भागीरथ चौधरी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की गारंटी का सहारा है जबकि कांग्रेस प्रत्याशी अजमेर डेयरी में 30 साल से अधिक वर्षों से अध्यक्ष चले आ रहे रामचन्द्र चौधरी को जिले में उनकी मिल्कमैन की छवि का सहारा है। दोनों प्रत्याशी चुनाव प्रचार में लगे हुए है और अपनी अपनी जीत के दावे कर रहे हैं।
भाजपा उम्मीदवार मोदी सरकार की उपलब्धियां और मोदी गारंटी को जनता के बीच रख रहे हैं जबकि कांग्रेस प्रत्याशी लोगों से एक मौका देने का आग्रह कर रहे हैं। इन दोनों प्रमुख दलों ने जाट को अपना उम्मीदवार बनाया हैं और ऐसे में जिस तरफ जाट मतदाता ज्यादा झुकेंगे उसकी स्थिति मजबूत मानी जा रही है लेकिन मोदी गारंटी के चलते मौजूदा सांसद भागीरथ चौधरी अपनी जीत पक्की मान रहे हैं।
इस चुनाव में अजमेर जिले के 19 लाख 85 हजार 960 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकेंगे। जिले की आठ विधानसभा क्षेत्र वाले इस जिले में साढ़े तीन महीने पहले हुए विधानसभा चुनाव में सात पर भाजपा तथा एक पर कांग्रेस का विधायक है। अजमेर लोकसभा क्षेत्र में 14 उम्मीदवार अपना चुनावी भाग्य आजमा रहे है। इनमें भाजपा एवं कांग्रेस सहित विभिन्न दलों के सात तथा इतने ही निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे है।
फील्ड और मीडिया मैनेजमेंट में भाजपा पिछडी
लोकसभा चुनाव प्रचार में वैसे तो भाजपा और कांग्रेस दोनों के ही प्रत्याशी पार्टी परंपरागत वोट बैंक के भरोसे जीत का सपना संजोए है। लेकिन एक ही जाति और स्थानीय होने टक्कर बराबर की होना माना जा रहा है। दोनों ही दल सोशल मीडिया पर भी एक दूसरे के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। मीडिया मैनेजमेंट को लेकर कांग्रेस ने अपनी स्थिति काफी मजबूत कर ली है। उधर बीजेपी इस मामले में लगतार पिछडती जा रही है। चुनाव प्रचार और रणनीति बनाने में कांग्रेस स्थानीय स्तर पर कवायद कर उसे अंजाम दे रही है जबकि भाजपा का अधिकतर चुनाव प्रचार केन्द्र तथा प्रदेश स्तर पर तय निर्देश के अनुरूप हो रहा है। समाचार पत्रों और इंटरनेट पर भाजपा से कही अधिक कांग्रेस की खबरों को स्थान मिलने से कांग्रेस के पक्ष में माहौल बन रहा है। दोनों ही दलों के आईटी सेल चुनावी जंग को धार देने में लगे हैं। पर इसका कोई व्यापक असर फिलहाल नजर नहीं आ रहा। मतदाता का मौन बने रहना दोनों ही दलों के अनुमान और परिणम को पटखनी दे सकता है।





