Home India City News मुंबई में गणपति विसर्जन के गवाह बने 300 विदेशी पर्यटक

मुंबई में गणपति विसर्जन के गवाह बने 300 विदेशी पर्यटक

0
मुंबई में गणपति विसर्जन के गवाह बने 300 विदेशी पर्यटक
300 foreigners witness Ganeshotsav immersions in Mumbai
300 foreigners witness Ganeshotsav immersions in Mumbai
300 foreigners witness Ganeshotsav immersions in Mumbai

मुंबई। दुनिया के विभिन्न हिस्सों से आए 300 से ज्यादा पर्यटकों ने ‘महागणेश उत्सव-2017’ के समापन पर्व गणपति विसर्जन का बुधवार तड़के तक मुंबई के गिरगाम चौपाटी में भव्य नजारा देखा।

राज्य के सबसे बड़े उत्सव को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से महाराष्ट्र पर्यटन विकास निगम ने पर्यटन विभाग के साथ मिलकर ‘महागणेश उत्सव-2017’ का आयोजन किया था। यह उत्सव राज्य में पिछले 125 वर्षो से धूमधाम से मनाया जा रहा है।

बारह दिवसीय गणेशोत्सव की समाप्ति के बाद विहंगम विसर्जन का दृश्य देखने के लिए बृह्न्मुंबई नगर निगम के सहयोग से लगभग 100 विदेशी पर्यटकों के लिए विशेष मंच की व्यवस्था की गई थी।

विशेष मंडप में विसर्जन का गवाह बनने के लिए राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, पर्यटन मंत्री जयकुमार रावल, पर्यटन राज्य मंत्री मदन येरावर, महाराष्ट्र पर्यटन विकास निगम(एमटीडीसी) के प्रबंध निदेशक विजय वाघमारे, संयुक्त प्रबंध निदेशक आशुतोष राठौर अन्य शीर्ष अधिकारी और विभिन्न देशों के राजनयिक मौजूद थे।

विसर्जन देखने वालों में अमेरिका, यूरोप, जापान, थाईलैंड एवं अन्य देशों के पर्यटक शामिल थे। इन लोगों ने लालबाग-चा राजा, फोर्ट-चा राजा एवं सायन-चा राजा के विहंगम विदाई एवं विसर्जन को देखा।

एमटीडीसी के एक प्रवक्ता ने कहा कि इस बार गणेशोत्सव की सबसे बड़ी खासियत थाईलैंड के 55 पर्यटकों द्वारा होटल ट्राइडेंट में स्थित अपने कमरे में 12 दिनों तक गणपति बप्पा की पूजा करना था।

इन लोगों ने मंच पर मौजूद गणमान्य लोगों की मौजूदगी में गिरगाम चौपाटी में अपने छोटे गणपति का विसर्जन बड़े ही धूमधाम से किया। इस दौरान सभी गणपति बप्पा मोरया के नारे लगाकर खुशी से झूम रहे थे।

पर्यटन मंत्री रावल ने कहा कि यह हमारा सौभाग्य है कि हमें मूर्ति विसर्जन समारोह आयोजित करने और विदेशी पर्यटकों के लिए अलग मंच प्रदान करने का मौका मिला।

मुंबई में 200,000 से ज्यादा संगठन और समूह हैं, जो हर वर्ष गणेशोत्सव का आयोजन करते हैं, जबकि 50,000 से ज्यादा ऐसे संगठन हैं, जो अमरीका, यूरोप, उत्तर अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में यह उत्सव मनाते हैं।