Home India City News मानव तस्करी के 4 दोषियों को 10-10 साल का कठोर कारावास

मानव तस्करी के 4 दोषियों को 10-10 साल का कठोर कारावास

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मानव तस्करी के 4 दोषियों को 10-10 साल का कठोर कारावास
4 man gets 10 years in jail Terms for human trafficking
4 man gets 10 years in jail Terms for human trafficking
4 man gets 10 years in jail Terms for human trafficking

बैतूल। समाज में मानव तस्करी से गंदा दूसरा कृत्य नहीं हो सकता है लेकिन चंद रुपयों के लालच में लोग यह घणिृत कार्य करने से भी बाज नहीं आते हुए नाबालिग बालिकाओं को हवस के दरिंदों के हवाले कर देते हैं।

ऐसे कृत्य करने वाले दरिंदों पर अंकुश लगाने के लिए और समाज को एक संदेश देने के लिए विशेष एवं सत्र न्यायाधीश हिृदेश ने मानव तस्करी के प्रकरण में अहम फैसला देते हुए चार आरोपियों को 10-10 साल की सजा से दंडित किया है। इसके साथ ही आरोपियों पर जुर्माना भी ठोंका है। जुर्माना नहीं देने पर अतिरिक्त सजा भुगताए जाने का भी फैसले में उल्लेख किया है।

दो नाबालिग का किया था अपहरण

शासकीय अधिवक्ता शशिकांत नागले ने बताया कि 18 फरवरी 2011 को झल्लार थाना क्षेत्र के ग्राम चूनालोमा आरोपी रमेश पिता दुकलू, अनिता पत्नी रमेश, रामरती उर्फ गुड्डी पत्नी लल्लू सोनी, गड्डू उर्फ विनय पिता कुंदन सोनी पहुंचे। यहां पर अनिता की बहन बबीता व रंगोबाई ने दो नाबालिग बालिकाओं को मेला घुमाने का लालच देकर बालाजीपुरम दिखाने के बहाने अपहरण कर बैतूल रेलवे स्टेशन से बीना ले गए। बीना में एक विक्की नाम का लडक़ा आरोपीगण को मिला और मिलनकर उसने आगे की योजना बनाई और सवाई मधोपुर राजस्थान ले गए।

लॉज में किया बेचने का सौदा

आरोपियों ने दोनों नाबालिगों को राजस्थान के एक लॉज में रूकवाया और दोनों बालिकाओं को बेचने ग्राहकों की तलाश शुरू कर दी। आरोपियों ने नाबालिग का विवाह किसी दामोदर नाम के व्यक्ति से करा दिया। इसका किसी रामकिशोर नाम के युवक ने विरोध भी किया लेकिन उसकी एक भी नहीं सुनी। इधर लडक़ी के पिता गुमशुदगी की रिपोर्ट झल्लार थाने में दर्ज कराते ही पुलिस ने तलाश शुरू कर दी। पुलिस ने राजस्थान से लडक़ी को बरामद कर आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।

पीडि़ता ने बताई व्यथा

विशेष एवं सत्र न्यायाधीश हिृदेश के समक्ष पीडि़ता ने अपनी पीड़ा बयां की। इस दौरान डॉक्टरी रिपोर्ट में भी लडक़ी के नाबालिग और दुराचार होने की पुष्टि हुई। प्रकरण की सुनवाई के दौरान तक दूसरी लडक़ी नहीं मिल पाई थी जो कि आरोपीगण साथ लेकर गए थे। वह लडक़ी कहां और किस हालत में है इसका पुलिस को भी कोई पता नहीं चल पाया है।

समाज में जाना चाहिए संकेत

दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद न्यायाधीश हिृदेश ने यह भी माना कि कि आरोपीगणों ने एक राय होकर नाबालिग बच्चियों को व्यपहृत कर उन्हें दूसरे प्रदेशों में ले जाकर विक्रय कर रहे हैं। यह एक बहुत ही घृणित कृत्य है। ऐसे मामलों में किसी भी प्रकार की उदारता नहीं बरती जानी चाहिए। इस प्रकार का दंड दिया जाना चाहिए कि जिससे समाज में संकेत जाए कि भविष्य में लोग इस प्रकार के कृत्य करने के संबंध में सोचे भी नहीं।

सरकारी वकील ने दिया तर्क

शासकीय अधिवक्ता शशिकांत नागले सजा के प्रश्र पर तर्क दिया कि आरोपीगण गिरोह के रूप में काम करते हैं और नाबालिग बच्चों को ले जाकर उनको बेच देते हैं। इस प्रकार के अपराध पर रोक लगना चाहिए जिससे समाज में संदेश जाए और आरोपी इस तरह के कृत्य करने से बचे। इस अपराध के लिए कठोर से कठोर दंड दिया जाए।

न्यायाधीश ने ठोंकी सजा

विशेष एवं सत्र न्यायाधीश हिृदेश ने मामले की पूरी सुनवाई के पश्चात रिकार्ड पर आए साक्ष्य का सूक्ष्म विशलेषण करने के बाद चारों आरोपीगणों को धारा 363, 366, 366 ए में 10-10 वर्ष का कठोर कारावास एवं 10-10 हजार रुपए जुर्माना। धारा 372 आईपीसी में 10-10 वर्ष का कठोर कारावास और 10-10 हजार रुपए जुर्माना की सजा से दंडित किया।