Home Breaking यकृत दान से मिलेगी 40 साल के मरीज को नई जिंदगी

यकृत दान से मिलेगी 40 साल के मरीज को नई जिंदगी

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यकृत दान से मिलेगी 40 साल के मरीज को नई जिंदगी

नोएडा। नोएडा के जेपी अस्पताल ने रविवार को नेशनल ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लान्ट ऑर्गनाइजेशन के माध्यम से एक यकृत प्राप्त किया, जिसे 42 साल की ब्रेन डैड मरीज रेखा सिंह (बदला हुआ नाम) ने दान किया। अब इसे पिछले साल से गंभीर यकृत रोग से जूझ रहे 40 वर्षीय व्यक्ति में प्रत्यारोपित किया जाएगा, जिससे उसे नई जिंदगी मिलेगी।

अस्पताल की तरफ से जारी बयान के अनुसार रेखा को 10 नवम्बर को सुबह अस्पताल में भर्ती किया गया था, जिसके बाद उनके मस्तिष्क में रक्तस्राव पाया गया, और उन्हें ब्रेन हैमरेज हो गया था।

शनिवार देर रात डॉक्टरों ने उन्हें ब्रेन डैड घोषित कर दिया, जिसके बाद उनके पति ने इच्छा जताई कि उनके शरीर के अंग किसी जरूरतमंद व्यक्ति को दान में दे दिए जाएं।

मृत मरीज का यकृत और दोनों गुर्दे दान में दे दिए गए, जिसमें से यकृत नेशनल ऑर्गन एण्ड ट्श्यिू ट्रांसप्लान्ट ऑर्गनाइजेशन द्वारा जेपी अस्पताल को दिया गया।

अस्पताल के लीवर ट्रांसप्लान्ट विभाग के वरिष्ठ कन्सलटेन्ट डॉ. अभिदीप चौधरी और उनकी टीम के नेतृत्व में यह यकृत आधा घंटे के अंदर जेपी अस्पताल को स्थानांतरित किया गया।

जेपी अस्पताल के सीईओ डॉ. मनोज लूथरा ने कहा कि यह देखकर अच्छा लगता है कि लोग मृत शरीर के अंगदान के बारे में जागरूक हो रहे हैं। मृत व्यक्ति के अंग कम से कम छह-आठ लोगों को नई जिंदगी दे सकते हैं। यह एक नेक कार्य है और हम दानदाता एवं उनके परिवार के प्रति आभारी हैं, जिन्होंने यह कदम उठाकर हम सभी के लिए उदाहरण प्रस्तुत किया है।

डॉ. अभिदीप चौधरी ने कहा कि जेपी अस्पताल में यह यकृत गाजियाबाद से 40 साल के राहुल सिन्हा (बदला हुआ नाम) को दिया जा रहा है, जो पिछले साल से गम्भीर यकृत रोग से पीड़ित हैं। वह पीलिया और लिवर सिरहोसिस के कारण एसाइटिस (पेट में पानी भरना) के शिकार हैं और उन्हें अगस्त से यकृत प्रत्यारोपण (लीवर ट्रांसप्लान्ट) की आवश्यकता है।

उनका परिवार उन्हें यकृत दान में देना चाहता था, लेकिन उनका ब्लड ग्रुप मैच नहीं हुआ, जिसके चलते वे मरीज की मदद नहीं कर सके। लेकिन अब रेखा के इस महान कार्य के चलते वह अब सामान्य जिन्दगी जी सकेंगे।

राहुल सिन्हा की पत्नी ने कहा कि मैं दानदाता और उनके परिवार के प्रति आभारी हूं, जिन्होंने मुश्किल और दुख के इस समय में भी यह फैसला लिया। मैं परिवार के इस सराहनीय प्रयास को कभी नहीं भुला सकती, जिससे मेरे पति को नई जिंदगी मिलेगी।