Home Rajasthan Ajmer जन्नती दरवाजा खुला और रात को फिर बंद हो गया

जन्नती दरवाजा खुला और रात को फिर बंद हो गया

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जन्नती दरवाजा खुला और रात को फिर बंद हो गया
803th urs celebrations ajmer sharif 2015
803th urs celebrations  ajmer sharif 2015
803th urs celebrations ajmer sharif 2015

अजमेर। सूफी संत हजरत ख्वाजा मोइनुददीन हसन चिश्ती के 803वें उर्स के मौके पर रविवार को चांद दिखाई नहीं दिया। लिहाजा उर्स की मजहबी रसूमात अब 20 अप्रेेल से शुरू होगी। इस बीच रविवार को तडक़े 4.45 बजे जन्नती दरवाजा खोल दिया गया था।

जन्नती दरवाजे से गुजरने के लिए जायरीन की भीड़ उमड़ी। जिसे शाम को फिर अल सुबह तक के लिए बंद कर दिया गया। इधर, कलंदरों और मलंगों का जुलूस दरगाह शरीफ पहुंचा जिसका जोरदार स्वागत किया गया। कलंदरों ने हैरत अंगेज कारनामें दिखाए।


उर्स को लेकर पुलिस व प्रशासन पूरी तरह से जुटा हुआ है। प्रशासन जायरीन को सुविधा देने के लिए मुस्तैद है, तो पुलिस प्रशासन जायरीन की सुरक्षा को लेकर सचेत है। उर्स के चलते इंटेलीजेंस एजेंसियां भी सतर्कता बरते हुए है।

वहीं विश्राम स्थलियों पर जायरीन की सुविधा के लिए प्रशासनिक स्तर पर कदम उठाए जा रहे हैं। दरगाह में जायरीन की भीड़ भी उमडऩे लगी है। 22अप्रैल को आने वाले पाक जत्थे को लेकर भी तैयारियां जोरशोर से चल रही हैं।


कंलदरों ने दिखाये हैरतअगेंज करतब, पेश की छड़ी

 सूफी सत ख्वाजा गरीब नवाज के 803वें सालाना उर्स के मौके पर दिल्ली से पैदल चलकर आए देशभर के कंलदरों ने रविवार को गरीब नवाज की दरगाह में छड़ी पेश कर वर्षों से चली आ रही इस रस्म को अदा की। उस्मानी चिल्ले से दरगाह तक मलंगों ने हैरतअंगेज करतब दिखाकर लोगों को दांतों तले अंगुली दबाने को मजबूर कर दिया।

कलंदरों का दल रविवार दोपहर ऋषि घाटी स्थित उस्मानी चिल्ले पर पहुंचा जहां के गद्दीनशीन डॉक्टर इनाम साहब ने उनकी अगुवानी कर इस्ताकबाल किया। दोपहर का खाना खाकर सभी मलंग छड़ी लेकर रवाना हुए। जुलूस में मौजूद करीब दो हजार मलंग पुरुष महिलाएं हाथों में छड़ी लिए कलंदरी और चिश्तियाई नारे लगाते हुए आगे चल रहे थे।

जुलूस में शामिल जलाली मलंग कोड़ों सहित धारदार हथियारों से खुद पर प्रहार कर शरीर से खून बहाते हुए ख्वाजा गरीब नवाज से सच्ची अकीकदत का इजहार कर रहे थे। नारे लगाकर और ढोलताशे बजाकर जलालियों को जोश दिलाया जा रहा था। उनके हैरतअंगेज करतब और छडियों की जियारत के लिए लोगों का हुजूम उमडता हुआ दिखाई दिया। बहुत से लोग सडक़ों पर खड़े होकर उस नजारे को देखते रहे थे।

ऋषि घाटी से दरगाह तक सडक़ के दोनों आेर मकानों, गेस्ट हाऊसों की छतों, खिड़कियों और चौबारों से भी बेहिसाब लोग छड़ी की जियारत कर रहे थे। छड़ी का ये जुलूस ऋषि घाटी से दोपहर करीब चार बजे रवाना होकर गंज, देहली गेट, धानमंड़ी, दरगाह बाजार होता हुआ शाम को दरगाह के निजाम गेट पहुंचा। जहां खादिम समुदाय ने फूलमालाएं पहना दस्तारबंदी कर मंलगों का इस्तकबाल किया।

जुलूस की सिदारत सैयद मासूम अली और उस्मानी चिल्ले के गद्दीनशीन डॉ. इनाम साहब ने की। मंलगों ने ख्वाजा साहब की दरगाह के बुलंद दरवाजे पर छड़ी पेश की। बताया जाता है कि मलंगों के दल द्वारा दिल्ली से लाई जाने वाली छड़ी की रस्म सदियों पुरानी बताई है, जिसकी शुरुआत ख्वाजा गरीब के पहले उत्तराधिकारी ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी ने की थी।

छड़ी का मतलब उर्स शुरू होने का एेलान है। काकी अपने मुरीदों के साथ छडिय़ां लेकर दिल्ली से पैदल रवाना होकर गांवगांव उर्स का एेलान करते हुए अजमेर पहुंचकर बुलंद दरवाजे पर छड़ी पेश करते थे।


सूफी संत के 803 वें सालाना उर्स मजहबी रसूमात आज से -सूफी संत हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के 803 वें सालना उर्स की मजहबी रसूमात अब 20 अप्रेल से शुरू हो जाएंगी जिनकी सदारत ख्वाजा साहब के वंशज दरगाह दीवान सैय्यद जैनुअल आबेदीन अली खान परम्परागत रूप से करेंगे।


दरगाह दीवान के सचिव सैय्यद अलाउद्दीन अलीमी आरिफ के अनुसार सोमवार को चांद दिखने पर दरगाह स्थित महफिल खाने में उर्स की पहली महफिल होगी। महफिल खाने में आयोजित यह रस्म उर्स में होने वाली प्रमुख धार्मिक रस्मों में से एक है। इसमें देश की विभिन्न खानकाहों के सज्जादानशीन, सूफी, मशायख सहित खासी तादाद में जायरीन ख्वाजा मौजूद रहेंगे। इसके अलावा देशभर से आए कव्वाल फारसी व हिन्दी में सूफीमत के प्रर्वतकों द्वारा लिखे गए कलाम पेश करेंगे।


महफिल के दौरान मध्य रात्रि सज्जादानशीन दीवान सैय्यद जैनुअल आबेदीन अली खान, ख्वाजा साहब के मजार पर आयोजित होने वाली गुस्ल की प्रमुख रस्म करने आस्ताना शरीफ में जाएंगे जहां उनके द्वारा मजार शरीफ को केवड़ा व गुलाब जल से गुस्ल दिया जाकर चंदन पेश किया जाएगा। गुस्ल की यह धार्मिक रस्म 5 रजब तक निरंतर जारी रहेगी। इसी प्रकार महफिल खाने में महफिले समा छह: रजब यानी कुल के दिन तक बदस्तूर जारी रहेगी।


5 रजब को दीवान साहब की सदारत में ही खानकाह शरीफ (ख्वाजा साहब के जीवन काल में उनके बैठने का स्थान) में दोपहर 3 बजे कदीमी महफिले समा होगी जो शाम 6 बजे तक चलेगी जिसमें देशभर की विभिन्न प्रमुख दरगाहों के सज्जादानशीन एवं धर्म प्रमुख भाग लेंगे महफिल के बाद यहां विशेष दुआ होगी और सज्जादनशीन साहब दस्तूर के मुताबिक देश के समस्त सज्जाद्गान की मोजूद्गी में गरीब नवाज के 803 वें उर्स की पूर्व संध्या पर खानकाह शरीफ से मुल्क की अवाम व जायरीन ए ख्वाजा के नाम संदेश जारी करेंगे।


उर्स के समापन की रस्म कुल की रस्म के रूप में 6 रजब को होगी जिसके तहत प्रात: महफिल खानें में कुरआन ख्वानी की जाकर कुल की महफिल का आगाज होगा और कव्वालों द्वारा रंग और बधावा पढ़ा जाएगा तथा दोपहर मोरूसी फातेहाखां द्वारा फातेहा पढ़ी जाएगी जहांदरगाह दीवान साहब को खिलत पहनाया जाकर दस्तारबंदी की जाएगी।


महफिल खाने से दीवान अपने परिवार के साथ आस्ताने शरीफ में कुल की रस्म अदा करने जाएंगे वे जन्नती दरवाजे से आस्ताना शरीफ में प्रवेश करेंगे उनके दाखिल होने के बाद जन्नती दरवाजा बंद कर दिया जाएगा। आस्ताने में कुल की रस्म होगी जिसमें फातेहा होगी आेर दरगाह दीवान साहब की दस्तारबंदी की जाएगी।

कदीम रस्म के मुताबिक अमला शाहगिर्द पेशां ( मौरूसी अमले ) सहित देश भर की दरगाहों से आए सज्जाद्गान एवं धर्म प्रमुखों की दस्तारबंदी करेंगे। कुल की रस्म के बाद देशभर से आए फुकरा (फकीर) दागोल की रस्म अदा कर दीवान साहब द्वारा की जाएगी। कुल की रस्म के साथ गरीब नवाज के 803 वें उर्स का औपचारिक रूप से समापन हो जाएगा।