न्यूयॉर्क। दो देशों की विदेश यात्रा पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने आध्यात्मिक गुरू स्वामी दयानंद गिरी के निधन पर शोक व्यक्त किया है।
स्वामी दयानंद गिरी का लंबी बीमारी के बाद बुधवार रात करीब 10 बजकर 20 मिनट पर ऋषिकेश स्थित अपने शीशमझाडी आश्रम में उन्होंने अंतिम सांस ली। वह 87 वर्ष के थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 87 वर्षीय गुरू स्वामी दयानंद गिरी के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए ट्विटर पर दिए अपने बयान में बताया, “गुरू स्वामी दयानंद गिरी के निधन पर मुझे गहरा दुख हुआ है।”
जानकारी के मुताबिक स्वामी जी का निधन बुधवार देर रात तकरीबन 10 बजकर 20 मिनट पर ऋषिकेश में स्थित उनके आश्रम में हुआ। शुक्रवार को उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
जानकारी हो स्वामी दयानंद गिरी पिछले कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे। तबीयत में तेजी से गिरावट के बाद जौलीग्रांट स्थित निजी हिमालयन अस्पताल के गहन चिकित्सा कक्ष में दस दिनों के उपचार के बाद उन्हें शीशमझाडी स्थित दयानंद आश्रम ले आया गया था। गत 11 सितंबर को प्रधानमंत्री मोदी स्वयं दयानंद आश्रम गए थे और उनके स्वास्थ्य का हालचाल लिया था।
दयानंद ब्रह्मलीन,भक्तों में शोक की लहर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गुरु और दयानंद आश्रम के प्रमुख स्वामी दयानंद सरस्वती बुधवार देर रात ब्रह्मलीन हो गए। ऋषिकेश स्थित आश्रम में देर रात 10.20 मिनट पर उन्होंने अंतिम सांस ली। बुधवार सुबह 11 बजे के करीब उन्हें अस्पताल से आश्रम लाया गया था।स्वामी जी के ब्रह्मलीन होने के समाचार से पूरे प्रदेश में शोक की लहर फैल गई।
बताया जाता है कि डॉक्टरों ने स्वामी जी की हालत को देखते हुए इसमें किसी सुधार से इनकार कर दिया था। इसके बाद स्वामी दयानंद ने आश्रम में ही अंतिम सांस लेने की इच्छा जताई थी। अस्पताल में स्वामी दयानंद की हालत लगातार गिरती जा रही थी। उनके आते ही आश्रम में उनके दर्शन के लिए भक्तों, अनुयायियों का तांता लग गया था।
बता दें कि स्वास्थ्य बिगड़ने पर स्वामी दयानंद सरस्वती को 13 सितंबर को हिमालयन अस्पताल जौलीग्रांट में भर्ती कराया गया था। 11 दिन बाद बुधवार सुबह 11 बजे स्वामी को अस्पताल से आश्रम लाया गया था। सांस लेने में दिक्कत के कारण उन्हें ऑक्सीजन दी जा रही थी। आश्रम सूत्रों ने उनकी हालत को गंभीर बताया था।
बुधवार सुबह स्वामी दयानंद सरस्वती के आश्रम पहुंचते ही परिसर में उनके शुभचिंतकों, भक्तों, शिष्यों एवं अनुयायियों का तांता लग गया। हर कोई उनके दर्शन करने और स्वास्थ्य के बारे में जानने को उत्सुक था।
शुरुआती डेढ़ घंटे तक न तो आश्रम के किसी प्रतिनिधि ने उनके स्वास्थ्य के बारे में कोई जानकारी दी, न ही किसी को उनसे मिलने की अनुमति दी गई। दोपहर 12.30 बजे स्वामी दयानंद की शिष्या साध्वी ब्रह्म प्रकाशानंदा ने बताया कि चिकित्सकों ने स्वामी जी के स्वास्थ्य पर चिंता जताई है।
साध्वी ने जानकारी देते हुए बताया था कि स्वामी दयानंद सरस्वती की इच्छा है कि उनकी अंतिम सांसें गंगा के किनारे अपने आश्रम में निकलें। इस कारण उन्हें आश्रम लाया गया।गौरतलब है कि काफी समय से बीमार चल रहे स्वामी दयानंद सरस्वती की कुशलक्षेम जानने के लिए उनके शिष्य और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ११ सितंबर को मुनिकीरेती शीशमझाड़ी स्थित आश्रम आए थे। उस समय वह आश्रम में ही रह रहे थे। इसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया।
बुधवार को स्वामी दयानंद सरस्वती के आश्रम पहुंचते ही उनके दर्शन के लिए भारी मात्रा में अनुयायी और भक्त शीशमझाड़ी स्थित दयानंद आश्रम आ गए। हर कोई स्वामी के स्वास्थ्य के लिए ईश्वर से प्रार्थना करते रहे। इस दौरान कोई गीता का पाठ कर रहे थे तो, कोई भागवत पुराण पढ़कर अपने गुरु के अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते रहे। इस दौरान स्वामी की गंभीर हालत को देखकर आश्रम में मौजूद उनके कई शिष्यों की आंखों में आंसू छलक आए।