Home Bihar मुंगेर में शराब परोसने वाली महिलाएं पिला रहीं चाय

मुंगेर में शराब परोसने वाली महिलाएं पिला रहीं चाय

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मुंगेर में शराब परोसने वाली महिलाएं पिला रहीं चाय
alcohol serving women are now selling tea in bihar
alcohol serving women are now selling tea in bihar
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मुंगेर। बिहार में शराबबंदी के बाद पुलिस ने अवैध शराब कारोबारियों को पकड़ने के लिए कई तरीके इजाद किए लेकिन मुंगेर पुलिस ने शराबबंदी के बाद अवैध रूप से महुआ शराब बनाने वाली आदिवासी महिलाओं को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए एक अनूठी पहल की है।

पुलिस की इसी पहल का नतीजा है कि जो महिलाएं कल तक ‘मयखाने’ में शराब परोसती थीं, अब वे लोगों को चाय पिला रही हैं। पुलिस ने इन महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए चाय की दुकान खुलवाई तथा मुर्गी पालन के लिए प्रोत्साहित किया।

पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि बरियारपुर थाना के उनभीवनवर्षा आदिवासी गांव की 15 महिलाएं पिछले दिनों झारखंड से देशी शराब बनाने के लिए महुआ लाने के क्रम में पुलिस द्वारा पकड़ी गई थीं और इन्हें अदालत के आदेश के बाद जेल भेज दिया गया था। अदालत में न्यायिक प्रक्रिया से गुजरने और जमानत मिलने के बाद अब ये महिलाएं जेल से बाहर हैं।

इन महिलाओं ने पुलिस को बताया था कि आर्थिक तंगी के कारण और आदिवासी इलाकों में रोजगार के अभाव के कारण ये सभी शराब बनाने का कार्य कर रही हैं। यह सुनकर मुंगेर के पुलिस अधीक्षक आशीष भारती ने इन महिलाओं के लिए अनूठी पहल की।

पुलिस अधीक्षक ने जिला प्रशासन के सहयोग से उनभीवनवर्षा गांव को ही गोद ले लिया। इन महिलाओं के रोजगार के लिए चाय दुकान खोलने से लेकर मुर्गी पालन तक के लिए सामान और मुर्गियां मुहैया करवाईं। भारती का उद्देश्य इन महिलाओं को स्वावलंबी बनाना है, जिससे आर्थिक कमजोरी के कारण फिर से ये महिलाएं शराब बनाने का धंधा न अपना लें।

भारती कहते हैं कि वर्तमान समय में गांव की 15 महिलाओं को स्वरोजगार के साधन उपलब्ध कराए गए हैं। उनकी योजना यहां की महिलाओं को स्वरोजगार के क्षेत्र में जैसे मोमबत्ती बनाने, अगरबती, पापड़ बनाने के लिए प्रशिक्षण दिलवाने की है। उन्होंने बताया कि इसके लिए वे खुद कई संस्थाओं से बात कर रहे हैं।

पुलिस ने इन महिलाओं को सर्वाजनिक रूप से शराब व्यापार से ‘तौबा’ करने की शपथ भी दिलवाई। इधर, इस पहल से महिलाएं भी खुश हैं। यहां महिलाएं अब न केवल दुकान खोलकर लोगों को चाय पिला रही हैं, बल्कि आर्थिक रूप से मजबूत भी हो रही हैं।

कमली देवी जिन्हें मुर्गी पालन के लिए प्रशासन द्वारा मुर्गियां दी गई हैं, ने आईएएनएस को बताया कि किसी को भी अवैध धंधा करना अच्छा नहीं लगता परंतु पेट के लिए सबकुछ करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि अब वह कभी भी शराब के धंधे की ओर नहीं जाएंगी। वह कहती हैं, कि मेहनत-मजदूरी कर खा लेंगे परंतु अवैध शराब का धंधा कभी नहीं करूंगी।

पुलिस द्वारा गैस सिलेंडर, केतली जैसे सामान मुहैया कराए जाने पर चाय की दुकान चला रही कारी देवी के लिए तो अब पुलिस ही भगवान हैं। उसका कहना है कि पुलिस की इस पहल का प्रभाव अन्य गांवों में भी पड़ेगा।

उल्लेखनीय है कि जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर बरियारपुर थाना के ऋषिकुंड पहाड़ की तराई में बसे उनभीवनवर्षा गांव की पहचान नक्सल प्रभावित गांव के रूप में है। नक्सल प्रभावित होने के कारण सरकार की कई योजनाएं भी यहां असफल ही रही हैं। इस कारण आज भी यह गांव न केवल विकास की बाट जोह रहा है, बल्कि यहां के लोगों के लिए रोजगार के साधन भी नहीं के बराबर हैं।