Warning: Undefined variable $td_post_theme_settings in /www/wwwroot/sabguru/sabguru.com/news/wp-content/themes/Newspaper/functions.php on line 54
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार वर्ष 2018 : दुनिया और देशों पर ग्रहों के प्रभाव - Sabguru News
Home Astrology ज्योतिष शास्त्र के अनुसार वर्ष 2018 : दुनिया और देशों पर ग्रहों के प्रभाव

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार वर्ष 2018 : दुनिया और देशों पर ग्रहों के प्रभाव

0
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार वर्ष 2018 : दुनिया और देशों पर ग्रहों के प्रभाव

सबगुरु न्यूज। 31 दिसंबर की रात 12:00 बजे नया ईसवी सन शुरू होता है। इस समय आकाश में ग्रह नक्षत्र की स्थिति के आधार पर भविष्यवाणी की जाने की प्रथा है। मध्यरात्रि 12:00 बजे बाद 1 जनवरी 2018 शुरू हो जाता है और उसी के समय हम आकाश के चांद सितारों की तरफ देखते हैं तो हम पाते हैं कि आकाश के ग्रह क्या बोलते हैं। इन्हीं संकेत के आधार पर विश्व के सभी क्षेत्रों में चाहे धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, वैज्ञानिक क्या प्रभाव पड सकते हैं कि भविष्य वाणी की जाती है।

1 जनवरी 2018 नव ईसवीं सन के दिन पौष मास शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि होगी। इस दिन सोमवार तथा मृगशिरा नक्षत्र पर चंद्रमा स्थित होगा। कन्या लग्न में शुरू होने वाले नई सन 2018 कि रात 12:00 बजे तुला राशि में बृहस्पति और मंगल ग्रह होंगे।

वृश्चिक राशि में बुध ग्रह तथा धनु राशि में सूर्य शनि और शुक्र ग्रह होंगे मकर राशि में केतु , वृष राशि में चंद्रमा तथा कर्क राशि में राहु ग्रह होंगे। आकाश के इन ग्रहों के आधार पर विश्व पर पड़ने वाले आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक, वैज्ञानिक तथा समस्त प्रकार के प्रभाव को हम ग्रहों के संकेत के आधार पर समझ सकते हैं।

नव वर्ष के प्रारंभ में तुला राशि में वृहस्पति व मंगल ग्रह मारकेश व मृत्यु के स्वामी बन तथा कुंडली के दूसरे स्थान बैठे हैं। जो शुभ संकेत नहीं देते हैं। लग्न से देश की जनता की सामान्य स्थिति, राष्ट्र की उन्नति, आतंरिक व्यवस्था व लीडरों की स्थिति देखी जाती हैं। यहां लग्नेश बुध राहू से पीडित है तथा मंगल गुरू सूर्य शुक्र ओर शनि ग्रह से दूसरे ओर बाहरवें योग में बैठकर सामान्य जनता को पीड़ित करेंगे। रोगों से बच्चो मे मृत्यु दर बढ़ेगी। देश के माहौल मे मारपीट, लडाई झगड़े, दंगे, आन्दोलन, बंद और हड़ताल आदि का सामना करना पड़ सकता है।

चौथे स्थान में सूर्य, शनि और शुक्र ग्रह की युति सर्वत्र बैचैनी बढाएगी तथा बेरोजगारी बढ़ेगी। प्रजा, मजदूर, लेखक, सम्पादक और अधिकारी वर्ग के लिए अनिष्ट कारक होंगी। खनिज संपदा के उद्योग विकास करेगे। सूर्य के पीड़ित होने से लोक पक्ष और सत्ता पक्ष के बीच सम्बंध ठीक नहीं रहेगे। सरकार की परेशानियां बढ़ेगी। कई नए कानून बन कर सामने आ सकते हैं।

सूर्य व शनि शुक्र ग्रह की युति शासन व न्याय के लिए चुनौती पूर्ण होगी और काश्तकारों, खदान खनिजों, जमीन के कारोबार करने वालों के लिए लाभ प्रद बन सकती है। कला और संस्कृति का विकास होगा। फिर भी मंगल की दृष्टि इन सब पर भारी पड़ कर सभी को मृत्युतुल्य कष्टों से सामना कराएगी। कई कानून व नीतिया बंद हो सकतीं है।

खेती, फ़सल, मौसम, यातायात व्यवस्था इन सभी क्षेत्रों में शनि ग्रह की कुदृष्टि लाभप्रद नहीं रहेंगी। पांचवे स्थान पर केतु सिनेमा जगत को प्रभावित कर सकता है तथा बाल मृत्यु दर मे वृद्धि के योग बनते हैं।

नवा स्थान धर्म, विज्ञान, हवाई यात्रा, कोर्ट तथा विदेशी कारोबार की जानकारी देता है और यहां का कारक ग्रह वृहस्पतिदेव स्वयं अच्छे योग में नहीं बैठे हैं लेकिन यहां पर चन्द्रमा की स्थिति धार्मिक ओर वैज्ञानिक उन्नति करेंगी। विदेशी कारोबार की भी उन्नति होगी। बुध की दृष्टि कोर्ट में नुकसान, मान हानि, शिक्षा संस्था व अनाथालय के लिए चुनौती पूर्ण होगी।

बुध तीसरे स्थान पर बैठ कर रेल व डाक विभाग की उन्नति करेगा तथा नवीन ग्रंथों का प्रकाशन करेगा। लोक सभा राज्य सभा के घर में राहू की उपस्थिति कई कानून बदल कर नई व्यवस्था को अंजाम दे सकते हैं। देश में आपतिजनक बातें होंगी, अनुचित कारणों से संपति की हानि हो सकती हैं। उद्योग धंधे सभी प्रभावित होते हुए नुकसान में रह सकते हैं।

नव विक्रम संवत 2075 में भी वर्ष का राजा सूर्य व प्रधान मंत्री शनि ग्रह है। यह विरोधकृत नामक संवत्सर है जो विश्व व देश की शासन सत्ता व जनता मे विरोध कराएगा। विश्व स्तर पर प्राकृतिक घटनाक्रम बढेंगे। दो ज्येष्ठ मास भी इस वर्ष होने से प्रजा मे रोग बढेंगे व राजनीति क्षेत्र में भारी फेर बदल व गतिरोध बनेंगे।

ग्रहों की स्थिति के आधार पर अमरीका, अफ्रीका, एशिया और यूरोप आदि में कई क्षेत्रों में अशांति व विस्फोटक स्थिति बन सकती हैं। भारत, चीन, पाकिस्तान, बांग्लादेश व श्री लंका आदि में मन मुटाव व आन्तरिक गुप्त संधिया परेशान करेंगी। कुल मिलाकर ईसवीं वर्ष शासन व सत्ता के लिए चुनौती पूर्ण होगा।

सूर्य के राजा होने से प्राकृतिक प्रकोप बढ जाएंगे और वर्षा की कमी रहेगी। मैदनीय ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य के राजा होने पर वर्षा कम, मनुष्यों मे पीडा बढे। राजा का नाश होता है और फलों मे कमी होती हैं। धान्य कम निपजे औ दूध की कमी रहे। अग्नि कांड विस्फोट आगजनी बढे। यान अपहरण आदि जैसी घटनाओं में वृद्धि के योग बनते हैं। ओला वृष्टि फसल की हानि तथा आंधी तूफान भूस्खलन भूकंप से धन जन की क्षति के योग बनते हैं।

मैदनीय ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि ग्रह के मंत्री होने से राजा में नम्रता ना रहे। जनता में असंतोष रहे। आपस में भाईचारा खत्म हो आपसी प्रेम व विश्वास की कमी रहे। सत्ता संघर्ष व सता परिवर्तन के योग बने हुए हैं तथा सत्ता धारियों पर विरोधी दल प्रभावशील रहे। पशुधन व कृषि उत्पादन में कमी रहे। नैतिकता मे कमी आए तथा दल बदल की राजनीति का विशेष बोलबाला रहे।

सौंदर्य प्रसाधन के व्यापार में गतिरोध बना रहे। संसद व विधानसभा में माहौल प्रदूषित रहे। आतंकवाद चोरी डकैती हिंसा तथा अपराधों में वृद्धि रहे। प्राकृतिक विपदाओं भूकम्प आदि के कारण वातावरण में भय बना रहेगा। वर्षा का असमान वितरण रहे बाढ़ व सूखे की स्थिति उत्पन्न हो।

सौजन्य : भंवरलाल