Home India City News सियासत पड़ी भारी, टूटा 25 साल पुराना रिश्ता

सियासत पड़ी भारी, टूटा 25 साल पुराना रिश्ता

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bjp shiv sena
bjp announces end of 25 years old alliance with shiv sena in maharashtra

नई दिल्ली। महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी और शिव सेना के बीच गठबंधन 1989 में पहली बार प्रमोद महाजन और बाल ठाकरे की कोशिशों से अस्तित्व में आया था। अगले 25 साल में इस महायुति ने कई उतार चढ़ाव देखे और आखिरकार गुरूवार को दोनों दलों के रास्ते जुदा हो गए। ….

शिवसेना और भाजपा के बीच पिछले ढाई दशक में कई बार तीखे मतभेद उभरे लेकिन गठबंधन हमेशा बरकरार रहा। साल 1989 में पहली बार गठबंधन बनने के दो साल बाद ही 1991 में दोनों दलों के बीच मतभेद खुलकर सामने आ गए थे और लगने लगा था कि गठबंधन टूट जाएगा। तब शिवसेना के दिग्गज नेता छगन भुजबल ने पार्टी छोड़कर कांग्रेस का हाथ थाम लिया था और विधानसभा चुनावों में शिवसेना के सदस्यों की संख्या भाजपा से कम हो गई थी।

भाजपा नेता गोपीनाथ मुंडे ने विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता के पद पर दावा ठोक दिया था जो शिवसेना को नागवार गुजरा था। साल 1995 में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा और शिवसेना गठबंधन पहली बार सत्ता में आया लेकिन उसके बाद यह गठबंधन कभी महाराष्ट्र की सत्ता में नहीं लौटा। हालांकि बृहन्नमुंबई नगर निगम में लंबे समय से यह गठबंधन काबिज है।

साल 2005 में शिवसेना ने रामदास कदम को जब विपक्ष के नेता के रूप में मनोनीत किया था तो भाजपा ने इस पर नाराजगी जताई। पार्टी का कहना था कि उसके सदस्यों की संख्या अधिक होने के कारण यह पद उसे मिलना चाहिए था। साल 2009 के चुनावों के दौरान भाजपा के राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना से पींगें बढ़ाने पर शिवसेना नाराज हो गई थी।

इस वर्ष हुए लोकसभा चुनावों में भी यही हाल रहा। चुनावों से ऎन पहले नितिन गडकरी ने जब मनसे को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में शामिल कराने की कोशिश की थी। भाजपा की इस पहल के बाद शिवसेना ने गठबंधन छोड़ने की धमकी दे दी थी। लोकसभा चुनावों के परिणाम आने के बाद शिवेसना ने कम से कम छह मंत्री पद मांगे थे लेकिन अपने दम पर बहुमत में आए नरेंद्र मोदी ने शिवसेना को केवल एक मंत्री पद दिया। शिवसेना इससे नाराज हो गई और मंत्री बनाए गए अनंत गीते ने दो दिनों तक अपना पद नहीं संभाला।

मोदी के प्रधानमंत्री और अमित शाह के भाजपा अध्यक्ष बनने के बाद से ही यह अनुमान लगाया जा रहा था कि महाराष्ट्र में महायुति की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। यह गठबंधन औपचारिक तौर पर टूट गया है लेकिन दोनों दलों ने चुनाव बाद गठबंधन की गुंजाइश को बनाए रखने के विकल्प को खत्म नहीं किया है। लेकिन यह भाजपा और शिवसेना द्वारा जीती गई सीटों की संख्या ही तय करेगा। अगर दोनों दल चुनाव बाद मिलकर सरकार बनाने की स्थिति में आते हैं तो वे कांग्रेस मुक्त महाराष्ट्र के लिए फिर एक साथ आने से परहेज नहीं करेंगे।