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सिरोही:भाजपा ने कहा चिह्नित हो अतिक्रमण और तोड़े भी जाए

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सिरोही:भाजपा ने कहा चिह्नित हो अतिक्रमण और तोड़े भी जाए

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सबगुरू न्यूज-सिरोही। शहर में बुलंद हुए अतिक्रमियों के हौंसलों और इन अतिक्रमणों से सत्तारूढ भाजपा की छवि पर पड़ रहे विपरीत प्रभाव का संज्ञान संभवत: भाजपा ने ले लिया है।  गुरुवार को भाजपा का एक प्रतिनिधि मंडल सभापति ताराराम माली के नेतृत्व में सिरोही तहसीलदार विरेन्द्रसिंह भाटी से मुलाकात का भाज्पा पदधिकारि यही कारण बताया। इसमें पूर्व जिला महामंत्री विरेन्द्रसिंह चौहान, पूर्व जिला मंत्री अशोक पुरोहित, सिरोही मंडल अध्यक्ष सुरेश सगरवंशी तथा नारायण देवासी शामिल थे।
मंडल अध्यक्ष सुरेश सगरवंशी ने बताया कि सभापति व वरिष्ठ भाजपाइयों के साथ एक प्रतिनिधि मंडल ने तहसीलदार विरेन्द्रसिंह भाटी से मुलाकात की। प्रतिनिधि मंडल ने तहसीलदार से सिरोही शहर में राजस्व भूमि पर हुए सभी अतिक्रमणों को चिह्नित करके उसे हटाने को कहा। उन्होंने बताया कि प्रतिनिधि मंडल ने उस दौरान राजस्व भूमि पर हुए कई अतिक्रमणों को भी बताया, जिसे हटाने के लिए तहसीलदार ने कार्रवाई का आश्वासन दिया। इसके बाद यह प्रतिनिधि मंडल जिला कलक्टर वी. सरवन कुमार से भी मिला। शहर में बढ़ रहे अतिक्रमणों पर सबगुरु न्यूज ने  एलआर एक्ट के तहत तहसीलदार की ओर से दिए गए निर्णय के बाद जारी की गई प्रतिक्रिया के बाद गुरुवार सवेरे ही ‘तो क्या अतिक्रमण हटाने के लिए प्रयास करेंगे सिरोही सभापति शीर्षक से समाचार प्रकाशित कर यह जानना चाहा था कि सभापति शहर में कुकुरमुत्तों की तरह फैल रहे अतिक्रमणों के लिए क्या करेंगे।

भाजपाइयों ने सभापति के साथ अतिक्रमणों को लेकर अपनी सोच को तहसीलदार को अवगत करवाकर एक पहल तो कर दी। वैसे तहसीलदार भी शहर की राजस्व भूमि पर हुए अतिक्रमणों को चिह्नित करने के लिए दल बनाने का निश्चय भी कर लिया है। यदि ऐसा होता है तो सिरोही तहसीलदार और वर्तमान जिला कलक्टर वी. सरवनकुमार पूर्व कलक्टर एमएस काला की श्रेणी मे आ जाएंगे, जिन्होंने सिरोही, आबूरोड में अतिक्रणों को तोड़कर एक नजीर पेश की थी
भाजपाइयों में कयास जारी
भाजपा के दो प्रमुख पदाधिकारी जिस तरह से एक सप्ताह में विधानसभा सत्र के शुरू होने के ठीक शुरू में ही निशाना बने हैं, उसे देखकर खुद भाजपाई यह कह रहे हैं कि यह अंदरूनी कशमश का परिणाम है। स्थिति यह है कि प्रशासनिक अधिकारी ने भी इसे अंदरूनी लड़ाई का परिणाम होने की बात कही है। दरअसल, भाजपाई इसे 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले एक दूसरे की प्रतिद्वंद्वता का परिणाम मान रहे हैं।

कुछ इसे चुनाव पूर्व टिकिट के लिए शुरू हुई प्रतिद्वंद्वता मान रहे हैं। वैसे भी किसी आश्चर्य है कि एक निश्चित समय पर दो प्रमुख पदाधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठना शंका तो पैदा करती है।  पदाधिकारी व कार्यकर्ता यह कयास नहीं लगा पा रहे हैं कि आखिर यह कृपा आ कहां से रही है, जिस कारण विधानसभा 2018 में भाजपा के प्रबल दावेदार ठीक विधानसभा सत्र के दौरान में निशाना बन रहे हैं।

खुद पदाधिकारी भी इन प्रकरणों में यह भी देखने की कोशिश कर रहे हैं कि इस दौरान भाजपा का कौनसा पदाधिकारी किस व्यक्ति के साथ धु्रवीकृत हो रहा है।

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