Home Breaking मंगलागौरी के पूजन से मिलता है मनचाहा वर, सन्तान सुख

मंगलागौरी के पूजन से मिलता है मनचाहा वर, सन्तान सुख

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मंगलागौरी के पूजन से मिलता है मनचाहा वर, सन्तान सुख
Chaitra Navratri : Special importance of worship Mangala gauri
Chaitra Navratri : Special importance of worship Mangala gauri
Chaitra Navratri : Special importance of worship Mangala gauri

वाराणसी। धर्म नगरी वाराणसी में ऐसे तो वर्ष पर्यन्त काशी पुराधिपति दरबार श्री संकट मोचन दरबार भगवती अन्नपूर्णा दरबार कूष्मांडा दरबार सहित विभिन्न देवी मंदिरो में दर्शन पूजन का विधान है। लेकिन वासंतिक चैत्र नवरात्र के आठवें दिन मंगला गौरी के खास दर्शन पूजन का भी अहम स्थान है।

जनमानस में मान्यता है कि मां मंगला गौरी वासंतिक नवरात्र में दर्शन पूजन से प्रसन्न होकर निःसंतान दम्पतियों को संतान सुख देने के साथ अविवाहित कन्याओं को सर्वगुण सम्पन्न वर का भी सौभाग्य देती है। अपने भक्तों के प्रति असीम अनुकम्पा रखने वाली आदि शक्ति के इस गौरी स्वरूप के दर्शन मात्र से सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है।

भगवती के इस गौरी स्वरूप के बारे में पौराणिक मान्यता है कि एक बार भगवान सूर्य पंचगंगा घाट (पंचनंदा तीर्थ) पर शिवलिंग स्थापित करके घोर तपस्या करने लगे। उनके तप से उनकी किरणें आग के समान गर्म होने लगीं। अन्ततः उनके तप के प्रभाव से किरणें इतनी तीक्ष्ण हो गयीं कि मानव सहित सभी प्राणी हाहाकार करने लगे।

अचानक पैदा हुई इस अप्राकृतिक स्थिति को जानने के लिए काशी पुराधिपति बाबा विशेशर (श्री काशी विश्वनाथ) भगवती पार्वती के साथ तपस्या में लीन सूर्यदेव के सामने प्रकट हुए। महादेव और मां पार्वती को अपने सम्मुख पाकर सूर्यदेव भावविह्वल हो गए और उनकी स्तुति करने लगे।

सूर्य देव की इस असीम भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें वरदान स्वरूप दैव शक्तियां प्रदान की। साथ ही कहा कि यहां स्थापित देवी जिन्हें कालांतर में मंगला गौरी के नाम से जाना जाएगा। इनके दर्शन-पूजन करने वाले श्रद्धालु हर प्रकार के दुखों से दूर हो जाएंगे।

अविवाहित कन्याएं यदि मां का दर्शन करेंगी तो उन्हें सर्वगुण सम्पन्न वर और निःसंतान दम्पत्ति को दर्शन करने से बच्चे की प्राप्ति होगी। धीर-धीरे इस मंदिर की ख्याति बढ़ती गई। बाद में मां के इस मंदिर का निर्माण किसी भक्त ने करवाया। इस मंदिर को पंचायतन मंदिर भी कहा जाता है। मंदिर के मध्य में गभस्तीश्वर शिवलिंग स्थापित हैं।

मंदिर में एक कोने में मां की दिव्य प्रतिमा स्थापित है। वहीं, मंदिर में आदि केशव और हनुमान जी की मूर्ति को रामदास जी ने स्थापित किया है। मंदिर में मर्तंड भैरव की भी मूर्ति है। आमतौर पर प्रत्येक मंगलवार को इस मंदिर में काफी संख्या में श्रद्धालु मां के दर्शन-पूजन के लिए पहुंचते हैं।

यह मंदिर पंचगंगा घाट पर स्थित है। कैन्ट स्टेशन से करीब आठ किलोमीटर दूर स्थित इस मंदिर तक पहुंचने के लिए ऑटो द्वारा मैदागिन चौराहे पर पहुंचकर पैदल भैरवनाथ होते हुए संकरी गलियों द्वारा पहुंचा जा सकता है।