Home India City News खसरा 1218: एसडीएम से ले ली जांच

खसरा 1218: एसडीएम से ले ली जांच

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सबगुरु न्यूज-सिरोही। नगर परिषद क्षेत्र के विवादित खसरा संख्या 1218 की जांच उपखण्ड अधिकारी ओमप्रकाश विश्नोई से वापस ले ली गई है। उपखण्ड अधिकारी के पास यह जांच लम्बे समय से अटकी हुई थी, इसे लेकर प्रशासन पर भी अंगुलियां उठ रही थी।

इसकी शिकायत हाल ही में सर्किट हाउस में प्रभारी सचिव आनन्दकुमार के सामने आई तो उन्होंने वहीं पर उपखण्ड अधिकारी से इसकी जांच में हो रही देरी के संबंध में नाराजगी जताई।  अब जिला कलक्टर वी सरवन कुमार ने इस खसरा संख्या में नगर परिषद की ओर से दिए गए पट्टों की कथित अनियमितता की जांच उपखण्ड अधिकारी से ले ली है, अब इस मामले की जांच एडीएम प्रहलाद सहाय नागा करेंगे।

इधर, पुलिस की ढिलाई भी यथावत है। प्रशासन और पुलिस की ढिलाई के कारण पट्टा मिलने के बाद इन भखण्डों पर फिर से बाउण्ड्रीवाल कर ली है। आदर्श नगर मुख्य मार्ग पर स्थित यह भूखण्ड बेशकीमती है, जिन्हें औने-पौने दामों पर देकर राजकोष को भी नुकसान पहुंचाया गया है। इस खसरा संख्या पर हुए अतिक्रमणों को पूर्व जिला कलक्टर एमएस काला ने हटवा दिया था। यदि इसकी नीलामी की जाती तो सरकार को करोड़ों रुपये का राजस्व प्राप्त होता।

पुलिस भी ढीली, अब न्यायालय का रास्ता
इस मामले में अधिवक्ता फिरोज सिलावट ने सामने आए 12 पट्टों का परिवाद पुलिस अधीक्षक के समक्ष पेश किया था, लेकिन स्थिति यह है कि सिरोही पुलिस कप्तान के मातहत भी उनकी मानने को लेकर गंभीर नहीं हैं। स्थिति यह है कि इस प्रकरण में सिरेाही कोतवाली ने एक महीने से ज्यादा समय बीतने के बाद भी एफआईआर दर्ज नहीं की है।

अब यह मामला इस्तगासे के माध्यम से न्यायालय से दर्ज होने की स्थिति में आ गया है। दरअसल, न्यायालयों में इस्तगासे के माध्यम से रिपोर्ट दर्ज करवाने की बढ़ती प्रवृत्ति पर अंकुश के लिए न्यायालय ने भी यह व्यवस्था रखी है कि पहले किसी भी प्रकरण को पुलिस अधीक्षक के समक्ष परिवाद पेश किया जाएगा।

परिवाद पेश करने के एक सप्ताह में यदि पुलिस अधीक्षक के आदेश पर संबंधित थाना एफआईआर दर्ज नहीं करता है तो फिर इस प्रकरण को न्यायालय के माध्यम से इस्तगासे से दर्ज करवाया जा सकता है। खसरा संख्या-1218 का परिवाद पुलिस अधीक्षक के समक्ष पेश किए हुए एक महीने से ज्यादा हो गए है, लेकिन आज तक इस मामले में एफआईआर दर्ज नहीं की गई है।
पट्टे और भी
फिरोज सिलावट ने खसरा संख्या 1218 में सिर्फ 12 लोगों के खिलाफ ही प्रकरण दर्ज करवाए हैं। जबकि इस खसरे से और भी पट्टे जारी हुए हैं। गंगाबाई, चुन्नीलाल और सीतादेवी के नाम के पट्टों का पंजीयन सिरोही उपपंजीयन कार्यालय से हुआ बताया जा रहा है।

वैसे जांच से हटाए गए उपखण्ड अधिकारी ओमप्रकाश विश्नोई की प्रभारी सचिव आनन्दकुमार के सामने यह दलील थी कि इस मामले के ऑरीजनल दस्तावेज नहीं है, इस पर प्रभारी सचिव ने उन्हें ऐसी स्थिति में उठाए जा सकने वाले कदमों के बारे में भी बताया था, लेकिन न तो उन्होंने नगर परिषद के दस्तावेजों को सीज करने के प्रयास किए और न ही वास्तविक दस्तावेजों कीे प्राप्त करने की कोशिश हुई।

सूत्रों की मानें तो यह दस्तावेज इसलिए नहीं मिल पा रहे हैं कि इनकी वास्तविक फाइलें ही गायब हैं और फाटो प्रतिलिपि पर ही पट्टे जारी कर दिए गए हैं। वैसे यह प्रकरण दर्ज होता है तो इसमें तत्कालीन कार्यवाहक आयुक्त लालसिंह राणावत के साथ वर्तमान सभापति ताराराम माली तक भी इसकी आंच जाएगी। सबगुरु न्यूज ने इस मामले को प्रमुखता उठाया था।
यही स्थिति सार्दुलपुरा योजना की
खसरा संख्या 1218 जैसी ही स्थिति सार्दुलपुरा आवासीय योजना की भी है। खसरा संख्या 1218 के साथ ही सार्दुलपुरा आवासीय योजना से भी तत्कालीन जिला कलक्टर एमएस काला के निर्देश पर बड़ी संख्या में अतिक्रमण हटाया गया था।

सभापति ताराराम माली और आयुक्त लालसिंह राणावत ने इन अतिक्रमियों को भी खसरा संख्या 1218 की तरह से ही पट्टे जारी कर दिए हैं। इनमें एक तो भाजपा की पदाधिकारी की निकटतम रिश्तेदार का है।
इस पहलू को जांचें तो मिल सकता है सुराग
यदि वास्तव में खसरा संख्या 1218 की ऑरीजनल पत्रावलियां गायब हैं तो इसकी जांच के लिए पुलिस और प्रशासन को उन नोटिसों की कड़ी तक पहुंचना होगा, जो कि 31 मार्च 1990 को संदिग्ध हस्ताक्षरों से जारी किए गए थे। इन्हीं को आधार मानकर कब्जेधारी इस बेशकीमती जमीन पर अपना हक जता रहे थे।

इस नोटिस पर हस्ताक्षर करने वाले कार्मिक तक पहुंचे तो पुलिस और प्रशासन इसकी वास्तविक पत्रावली के गायब होने की तह तक भी पहुंच सकती है, परिषद सूत्रों की मानें तो इस फर्जी नोटिस को गायब करने के प्रयास में ही यह पत्रावलियां गायब की गई हैं और नगर परिषद में जमीनों की पत्रावलियों की स्थिति यह है कि बिल्ली को ही दूध की रखवाली के लिए बैठा दिया गया है।
इनका कहना है…
खसरा संख्या 1218 में जांच अधिकारी बदले हैं। अब इसकी जांच उपखण्ड अधिकारी की जगह अतिरिक्त जिला कलक्टर करेंगे।
वी.सरवन कुमार
जिला कलक्टर सिरोही।