Home Delhi सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई की आदर्श सोसायटी गिराने पर लगाई रोक

सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई की आदर्श सोसायटी गिराने पर लगाई रोक

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सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई की आदर्श सोसायटी गिराने पर लगाई रोक
demolition of adarsh Housing society building in mumbai stayed by supreme court
demolition of adarsh Housing society building in mumbai stayed by supreme court
demolition of adarsh Housing society building in mumbai stayed by supreme court

नई दिल्ली। मुंबई में विवादित आदर्श सोसायटी को गिराने के मुम्बई हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र सरकार से एक सप्ताह के भीतर आदर्श सोसायटी पर कब्जा करने और सुरक्षा देने के निर्देश दिए हैं।

कोर्ट ने साथ ही यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि 31 मंजिल इस इमारत में कोई तोड़फोड़ न होने पाए। मामले की अगली सुनवाई पांच अगस्त को होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को सोसायटी के बाहर सुरक्षा गार्ड्स को हटाने, सोसायटी के अंदर किसी को भी दाखिल न होने देने और आखिरी फैसला होने तक सोसायटी के सभी फ्लैट अपने कब्जे में लेकर सुरक्षित रखने का भी निर्देश दिया है। केंद्र सरकार की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार ने सुप्रीम कोर्ट को आश्वसत किया कि हम इमारत की रक्षा करेंगे और कोई तोड़फोड़ नहीं की जाएगी।

इससे पहले अप्रेल में मुम्बई हाई कोर्ट ने पर्यावरण मंत्रालय से इस इमारत को गिरा कर जमीन अपने कब्जे में लेने के निर्देश दिए थे। साथ ही अदालत ने घोटाले में शामिल अधिकारियों के खिलाफ अपराधिक मुकदमा चलाने के भी निर्देश दिए थे। मुम्बई हाई कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ आदर्श सोसायटी ने देश की सर्वोच्च अदालत का दरवाजा खटखटाया था।

जानकारी हो कि युद्ध में मारे गए सैनिकों की विधवाओं और भारतीय रक्षा मंत्रालय के कर्मचारियों के लिए महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई के कोलाबा में आदर्श हाउसिंग सोसायटी बनाई थी। इस 31 मंजिला पौश इमारत बनने के कुछ सालों बाद एक आरटीआई से यह खुलासा हुआ कि तमाम नियमों को दरकिनार करते हुए अवैध रूप से सोसायटी के फ्लैट नौकरशाहों, राजनेताओं और सेना के अफसरों को बेहद कम दामों में बेचे गए।

इस घोटाले का पर्दाफाश 2010 में हुआ जिसके बाद महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक चव्हान को इस्तीफा देना पड़ा। मामले की जांच के लिए 2011 में महाराष्ट्र सरकार ने दो सदस्यीय न्यायिक कमिशन का गठन किया। इसकी अध्यक्षता हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस जेए पाटिल ने की। 2 साल तक इस समिति ने 182 से ज्यादा गवाहों से पूछताछ की और अप्रैल 2013 में अपनी रिपोर्ट सौंपी।