Home Breaking सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, पुराने और प्रतिबंधित नोट जमा कराने में भेदभाव क्यों

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, पुराने और प्रतिबंधित नोट जमा कराने में भेदभाव क्यों

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सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, पुराने और प्रतिबंधित नोट जमा कराने में भेदभाव क्यों
demonetisation : why no window to deposit banned notes after december 31, Supreme Court asks
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नई दिल्ली। पुराने और प्रतिबंधित हो चुके पांच सौ और एक हजार रुपए के नोटों को स्वीकार न करने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक को निर्देश दिया कि वो ये बताएं कि वे अप्रवासी भारतीयों और विदेश जा रहे भारतीयों के लिए पुराने नोट जमा करने का काउंटर 31 मार्च तक कैसे चला रहे हैं जबकि देश के नागरिकों के लिए ये सुविधा नहीं है।

कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार दो सप्ताह में हलफनामा दायर करे। इस मामले पर अगली सुनवाई 11 अप्रेल को होगी। कोर्ट ने केंद्र से ये भी पूछा कि क्या वे उन लोगों के पुराने नोट जमा करने के बारे में दोबारा विचार कर सकते हैं जो वाकई परेशानी की वजह से जमा नहीं कर पाए।

आज सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रधानमंत्री ने 8 नवंबर को अपने भाषण में ये कहा था कि जिन लोगों को वास्तव में परेशानी होगी वे अपना पुराना नोट 31 मार्च तक जमा कर सकते हैं। प्रधानमंत्री के इस भाषण से उन लोगों को आशा बंधी थी जो किसी परेशानी की वजह से पुराने नोट जमा नहीं कर पाए।

याचिकाकर्ता ने कहा कि जब वो एक्सिस बैंक पैसे जमा करने गए तो उनसे केवाईसी देने को कहा गया। उन्होंने 28 दिसंबर को केवाईसी जमा किया। उसके बाद उन्होंने कहा कि हम इसे अपने मुख्यालय भेजेंगे। तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यहां केवाईसी का क्या मतलब है।

सवाल है कि अगर आप पैसा जमा करना चाहते हैं तो कोई बैंक कैसे इनकार कर सकता है। जिसके बाद एक्सिस बैंक के वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता कभी बैंक में कैश जमा करने नहीं आया। उनका खाता सुप्त था| इसलिए केवाईसी मांगा गया था।

केंद्र सरकार ने कहा कि पुराने नोट गैर कानूनी करार दिए गए हैं। अब उनको स्वीकार करने के लिए केंद्र काउंटर नहीं खोल सकती है। आपने इन याचिकाओं को स्वीकार क्यों किया जबकि इस पर संसद को अधिकार है और उन्होंने किया है।

तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपकी बहस मनमाना है। तब केंद्र ने कहा कि ये मनमाना नहीं है क्योंकि ये सबके लिए है। कोई पुराने नोट जमा नहीं कर सकता है। केवल उन लोगों के लिए काउंटर खोला गया है जो विदेश में रहते हैं।

पिछली सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा था कि वो पुराने नोटों को स्वीकार करने के लिए काउंटर नहीं खोलेगी। याचिका में मांग की गई है कि पांच सौ और एक हजार रुपये के पहुंचाने नोटों को 31 मार्च तक जमा करने के लिए सुप्रीम कोर्ट दिशानिर्देश जारी करे।

याचिका में कहा गया है कि रिजर्व बैंक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आश्वासन के बावजूद 31 मार्च तक पुराने नोटों को स्वीकार करने से इनकार कर रहा है।