Home India City News देव उठनी ग्यारस : शुभ व मांगलिक कार्यों का श्रीगणेश

देव उठनी ग्यारस : शुभ व मांगलिक कार्यों का श्रीगणेश

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देव उठनी ग्यारस : शुभ व मांगलिक कार्यों का श्रीगणेश
Dev uthani Gyaras 2015
Dev uthani Gyaras 2015
Dev uthani Gyaras 2015

भोपाल/ नरसिंहपुर। देव उठनी ग्यारस के दिन बाजार में पूजन सामग्री खरीदने के लिए लोगों की भारी भीड़ रही, वही ग्यारस पर्व पर पूजा के लिए उपयोग में लाई जाने वाली सामग्री भी महंगाई से अछूती नहीं रही।

इसके बावजूद भी बाजार में लोगों की मौजूदगी उनकी धर्म के प्रति आस्था और श्रृद्धा को प्रदर्शित कर रही थी। जिसे देखकर त्यौहार के प्रति लोगों के उत्साह का सहज ही अंदाज लगाया जा सकता है। जिले में ग्यारस का पर्व दीपावली की अपेक्षा अधिक उत्साह के साथ मनाया जाता है जिसमें व्यापारियों की सर्वाधिक रूचि होती है।

जिले के अलावा सिहोरा, जबलपुर से आया सिंघाड़ा
जानकारी के अनुसार बाजार में पूजन सामग्री के रूप में प्रयोग किये जाने वाले ऑवला, बेलपत्री, गेंदा फूल, दूबा, मकोर, फूल माला समेत गन्नें पर महंगाई की छाया रही। पूजन में प्रयुक्त होने वाले सिंघाड़ा का मूल्य 50 रूपये सैकड़ा रहा। स्थानीय सिंघाड़े के अलावा जबलपुर व सिहोरा से आया सिंघाड़ा भी बाजार में बिक रहा है। वहीं गन्ने का विक्रय मूल्य सुबह के समय सर्वाधिक 10 रूपए प्रति गन्ना था। शाम के समय इसके रेट शनै: शनै: कम हो गए थे। देर शाम 5 रू. प्रति गन्ना के बेचे जाने की जानकारी लगी है।

स्टेशन क्षेत्र से लेकर मुशरान पार्क तिराहा, कंदेली, बस स्टेण्ड, नगरपालिका चौक, गांधी चौक एवं गुलाब चौराहा में गन्ने की 25 प्रतिशत व्यवसायिओं ने तो 75 प्रतिशत किसानों ने गन्ना की दुकानों को लगाया था। सुबह से लेकर देर शाम तक दुकानदारों ने हजारों रूपए गन्ने के मार्फत कमा लिये थे। कुल मिलाकर अकेले जिला मुख्यालय में गन्ने विक्रय से किसानों का लाखों का कारोबार हुआ। छीताफल  का मूल्य 5 से 20 रू. प्रति नग रहा, जिससे निम्न आय वर्ग के लोगों के लिए ग्यारस की पूजा थोड़ी मंहगी साबित हुई।

देवताओं को जगाने हुआ पूजन
उल्लेखनीय है कि देव उठनी ग्यारस की रात्रि में घर-घर में गन्नों का मंडप बनाकर हिंदुओं द्वारा भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। बेर, भाजी, आंवला उठो देव सांवला की गूंज के साथ क्षीर सागर में सोये हुए देवताओं को जगाने की कवायद पूजा-अर्चना के माध्यम से श्रद्धालुओं द्वारा गयारस पर्व पर की गयी। ग्यारस में देवताओं के जागने के बाद ही शुभ कार्यों का श्रीगणेश भी हो गया। जल्द ही गृह निर्माण, गृह प्रवेश सहित शादी-विवाह की शहनाईयां भी फिजाओं में गूंजने लगेंगी।