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न्यू सिविल अस्पताल में इबोला का मरीज!

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न्यू सिविल अस्पताल में इबोला का मरीज!

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सूरत।  न्यू सिविल अस्पताल में इबोला का एक मरीज की सूचना मिलते ही डॉक्टर, स्टॉफ सहित कई लोगों में हड़कंप मच गया। रविवार को करीब साढ़े तीन बजे बसीर नामक एक मरीज को न्यू सिविल अस्पताल लाया गया। इसके बाद दौड़भाग मच गई।…

इबोला वायरस से लडऩे के लिए आइसोलेटेड कीट पहने डॉक्टरों को देखकर अस्पाल में सब आशंकित हो गए। प्राथमिक जांच के दौरान मरीज ने वहीं लक्षण बताए, जो इबोला वायरस से पीडि़तों में देखे जाते हैं। ट्रोमा सेंटर से तुरंत यह जानकारी मेडिसिन व इमरजेंसी मेडिसिन विभाग के चिकित्सकों को दी गई। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग के मेडिसिन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. महेश शोलु पहुंच गए।

दरअसल, दक्षिण गुजरात के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में यह इबोला वायरस को लेकर जागरुकता और अलर्ट को लेकर राज्य स्वास्थ्य विभाग ने मॉेकड्रील करने की सूचना शनिवार को भेजी थी। जिसके चलते रविवार दोपहर को हजीरा समुद्री तट जेटी से अस्पताल को सूचना आई कि एक जहाज से अफ्रीकी देश से कोई व्यक्ति उतरा है, जिसे बुखार और इबोला के लक्षण हैं।

इस सूचना के बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम एम्बुलेंस से हजीरा पहुंची और मरीज को आइसोलेट कर अस्पताल ले आई। इसके बाद ट्रोमा सेंटर व डॉक्टर सक्रिय हो गए। जांचें हुई। पैरा मेडिकल स्टाफ को इबोला वायरस व उसके मरीज को दिए जाने वाले उपचार संबंधी जानकारी दी। इस पूरी कार्रवाई के दौरान कुछ समय के लिए आने-जाने वालों के लिए आशंका व चर्चा का माहौल बन गया।

भारत में अब तक इबोला के किसी भी मरीज के सामने आने की सूचना नहीं है। फिर भी गुजरात सरकार की ओर से अस्पतालों में मॉकड्रील कर अलर्ट करने की कारवाई की गई। इसके तहत पैरा मेडिकल स्टॉफ को जानकारी दी गई कि इबोला वायरस के सम्पर्क में आने के दो दिन से तीन सप्ताह के अंतराल में वायरस किस तरह अपना असर दिखाता है।

इससे पीडि़त मरीजों में पहले बुखार, सिरदर्द, कफ, मांशपेशियों में दर्द, उल्टी-दस्त जैसे सामान्य लक्षण दिखाई देते हैं। गुजरात में इबोला से पीडि़त मरीज आने पर स्वास्थ्य विभाग को किन-किन बातों का ध्यान रखना है इसके लिए चिकित्सकों व स्टाफ को समझाइश का दौर शुरू हो गया है।

मॉकड्रील के दौरान मुख्य रुप से पीएसएम, मेडिसिन और इमरजेंसी मेडिसिन विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक मौजुद रहे।उन्होंने बताया कि मरीज से संक्रमण चिकित्सकों में न फैले इसके लिए डॉक्टर को कीट पहननी होती है। डॉक्टर या पैरा मेडिकल स्टाफ सीधे मरीज के सम्पर्क में नहीं आने चाहिए। मरीज के शरीर से निकलने वाले तत्वों (पसीना, लघुशंका, शौच, उल्टी) के सम्पर्क में भी आने से भी यह वायरस शरीर को संक्रमित कर सकता है। लैब टेस्ट के लिए मरीज के शरीर से लिए जाने वाले नमूनों के दौरान भी सावधानी बरतनी होती है।