Home Breaking वायु प्रदूषण से लड़ने में अदरक, तुलसी की चाय मददगार

वायु प्रदूषण से लड़ने में अदरक, तुलसी की चाय मददगार

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वायु प्रदूषण से लड़ने में अदरक, तुलसी की चाय मददगार
Natural Remedies to Fight the Deadly Air Pollution
Natural Remedies to Fight the Deadly Air Pollution
Natural Remedies to Fight the Deadly Air Pollution

नई दिल्ली। दिल्ली व राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु प्रदूषण के उच्च स्तर पर पहुंचने के साथ बुधवार को चिकित्सकों ने स्वास्थ्य परामर्श जारी किए। चिकित्सकों ने अपनी सलाह में लोगों से बाहरी गतिविधियों जैसे जॉगिंग व साइकिलिंग से बचने की हिदायत दी है साथ ही चिकित्सकों ने विटामिन सी, मैग्नीशियम व अदरक व तुलसी की चाय का सेवन करने की सलाह दी है।

चिकित्सकों का कहना है कि प्रदूषण से फेफड़े व दिल के स्थायी रोग हो सकते हैं और इससे गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है।

फोर्टिस हेल्थकेयर द्वारा साझा किए गए सलाह के अनुसार धुंध ने दिल्ली व एनसीआर को बीते दो दिनों से अपने चपेट में लिया हुआ है, धुंध की चादर से एलर्जी की समस्या गंभीर हुई है और इससे फेफड़े की रोग प्रतिरोधकता घटी है।

चिकित्सकों ने चेताया है कि वायु प्रदूषण के उच्चस्तर की वजह से गर्भवती महिलाओं में समय से पहले प्रसव हो सकते हैं।

वायु प्रदूषण के दूसरे हानिकारक प्रभावों में सभी आयु वर्ग में फेफड़े की क्रियाविधि में कमी आना, सांस संबंधी व ह्दय के मरीजों में दिक्कत बढ़ सकती है। इसके साथ ही लोगों में खासी व सांस की समस्याएं सामने आ सकती हैं।

फोर्टिस में वरिष्ठ कंसल्टेंट विकास मौर्य ने कहा कि रोकथाम के उपायों में बाहरी शारीरिक गतिविधियों जैसे साइकिलिंग, जॉगिंग व अन्य बाहरी व्यायाम से बचना चाहिए।

विकास मौर्य ने सुझाव दिया कि वायु को साफ करने वाले पौधे जैसे एलोवेरा, इवी व स्पाइडर प्लांट को घरों व दफ्तरों में रखना चाहिए।

इसके साथ ही विटामिन सी, मैग्नीशियम, ओमेगा वसा अम्ल का इस्तेमाल संक्रमण व एलर्जी से बचने के लिए करना चाहिए। इसमें अदरक व तुलसी की चाय पर्याप्त मात्रा में लेना फायदेमंद होगा।

चिकित्सकों का कहना है कि वायु प्रदूषण बड़ी स्वास्थ्य समस्या बन गया है और यह स्ट्रोक, दिल संबंधी रोग, फेफड़े का कैंसर व सांस संबंधी रोग पैदा कर सकता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, दुनिया की 92 फीसदी आबादी डब्ल्यूएचओ के मानकों के नीचे वाली हवा की गुणवत्ता में सांस ले रही है। करीब 88 फीसदी समय से पहले मौतें कम व मध्यम आय वाले देशों में हो रही हैं, जहां वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर से ऊपर है।