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राज्यसभा में संशोधन स्वीकृत, सरकार की किरकिरी

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राज्यसभा में संशोधन स्वीकृत, सरकार की किरकिरी

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नई दिल्ली। लोकसभा में विपक्ष के संशोधन प्रस्तावों को दरकिनार करने वाली सत्ताधारी पार्टी को राज्यसभा में मंगलवार को किरकिरी झेलनी पडी। भ्रष्टाचार और कालेधन के बारे में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर विपक्ष की ओर से पेश किये गये संशोधन को स्वीकार कर लिया गया।   यह संशोधन मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य सीताराम येचुरी और पी राजीव ने पेश किया था और इसे मतदान के जरिये स्वीकार किया गया।
संसदीय कार्य मंत्री एम वैंकेया नायडु पिछली परंपराओं का हवाला दिया लेकिन वे उन्हें संशोधन को वापस लेने के लिए मानाने में विफल हुए। नायडु ने येचुरी से कहा कि काले धन के बारे में जिक्र है। सरकार ने उनकी चिंता को संज्ञान में ले लिया है और इसलिए वे अपने संशोधन को वापस ले लें, लेकिन ऐसा हो नहीं सका। संशोधन में कहा गया कि ‘‘अभिभाषण में उच्च स्तर पर भ्रष्टाचार को रोकने और काले धन को वापस लाने में सरकार के विफल रहने का कोई जिक्र नहीं है।’’
येचुरी ने कहा कि सामान्यतः वे उनके आग्रह को स्वीकार कर लेते हैं, लेकिन वह संशोधन के वास्ते इसलिए दबाव डाल रहे कि 14 घंटे की बहस के बाद भी सरकार ने कोई रास्ता नहीं छोडा है। विपक्ष को प्रधानमंत्री के जवाब पर स्पष्टीकरण के अधिकार से भी वंचित किया गया है।    प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर एक घंटे से अधिक समय तक जवाब दिया था। नायडु ने विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद से भी आग्रह किया था कि वे इस मामले में सरकार का साथ दें, लेकिन आजाद ने भी उनके आग्रह नजरअंदाज किया और कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, बसपा, टीएमसी, द्रमुक, जदयू सहित अन्य विपक्षी दलों ने संशोधन के पक्ष में मतदान किया। संशोधन के पक्ष में 118 और विरोध में 57 मत पडे। राज्यसभा में सत्ता पक्ष का बहुमत नहीं है। उल्लेखनीय है कि राज्यसभा के इतिहास में यह चैथा मौका है जब राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर विपक्ष की ओर से पेश संशोधन को स्वीकार किया गया है। सबसे पहले जनता पार्टी के शासन के दौरान 30 जनवरी 1980 में, उसके बाद 29 दिसंबर 1989 में वी पी सिंह के नेतृत्व में राष्ट्रीय मोर्चा सरकार के समय और तीसरी बार 12 मार्च 2001 को जब अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार सत्ता में थी।

लोकसभा में पेश विधेयकों पर राज्यसभा में हंगामा
लोकसभा में मंगलवार बीमा कानून (संशोधन) विधेयक 2015 और मोटर वाहन कानून (संशोधन) विधेयक 2015 पेश किये जाने को सूचीबद्ध होने पर राज्यसभा में विपक्षी सदस्यों ने आपत्ति जताई और भारी हंगामा किया। राज्यसभा में ऐसे कई विधेयक लंबित पड़े हुए हैं।
सरकार और उपसभापति पी.जे. कुरियन ने कहा कि दूसरे सदन के कामकाज पर इस सदन में चर्चा नहीं की जा सकती। विपक्षी सदस्यों ने इस मुद्दे पर सभापति से एक व्यवस्था देने की मांग की, इसे सुरक्षित रखते हुए कुरियन ने कहा कि इस विषय पर निर्णय के लिए राज्यसभा के नियम पर्याप्त नहीं हैं।  समाजवादी पार्टी के नरेश अग्रवाल ने सवाल किया कि यदि इस सदन में कोई विधेयक लंबित है और जबतक वह पारित या खारिज नहीं हो जाता, क्या उसे लोकसभा में पेश किया जा सकता है? माकपा नेता सीताराम येचुरी ने अग्रवाल का समर्थन करते हुए कहा कि सरकार राज्यसभा को दरकिनार करना चाहती है। येचुरी ने कहा कि क्या इस सदन में चर्चा किये बिना किसी विधेयक को पारित करने की अनुमति है। सरकार बहुमत का गलत फायदा उठाने और सदन को दरकिनार करने की कोशिश कर रही है।
कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा कि देश के संसदीय इतिहास में यह पहली घटना होगी और इसे उदाहरण न बनने दिया जाए। उन्होंने कहा कि सदन ने एक प्रवर समिति बनाई है, जिसने रपट दी है। इसके बाद यदि सरकार को कोई बदलाव करना है तो इसके लिए अतीत की परंपरा में संशोधन करना होगा। केंद्रीय संसदीय कार्य राज्यमंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि राज्यसभा दूसरे सदन के कामकाज पर चर्चा नहीं कर सकती। उन्होंने कहा कि जब विधेयक यहां आता है तो हम गंभीरता से नियमों का पालन करते हैं। विपक्षी सदस्यों ने पीठासीन अधिकारी से व्यवस्था की मांग की। कुरियन ने कहा कि यह कोई सामान्य मुद्दा नहीं है। इस पर अधिक विचार करने की जरूरत है।दूसरे सदन का कामकाज उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं है और दूसरे सदन में कुछ रोकने के संदर्भ में इस सदन के पास कोई नियम भी नहीं है और यदि नियम हैं तो ये उन पर बाध्यकारी नहीं होते।
सभापति ने व्यवस्था सुरक्षित रखते हुए कहा कि प्रश्न यह है कि यदि यह अलग विधेयक है तो व्यवस्था का सवाल ही पैदा नहीं होता। यदि यह समान विधेयक है तो उन्हें इसके लिए संवैधानिक प्रावधानों को देखना पड़ेगा। इसके बाद ही वे कोई व्यवस्था दे सकते हैं। उल्लेखनीय है कि पिछले सप्ताह सरकार ने राज्यसभा से तीन विधेयकों को वापस लेने की कोशिश की थी, जिसके बदले अध्यादेश लाये गये हैं। इनमें बीमा कानून (संशोधन) विधेयक 2008, द मोटर वाहन (संशोधन) विधेयक 2014 और कोयला खनन (विशेष प्रावधान) विधेयक 2014 शामिल हैं।

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