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मेले में रह जाए जो अकेला

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मेले में रह जाए जो अकेला

सबगुरु न्यूज। कुदरत की बनाईं ये दुनिया बहुत खूबसूरत है, यहां हर कोई कुछ काल के रहता है और उसके बाद उसकी प्राण वायु उसके शरीर से निकल कर ना जानें कहाँ चली जाती किसी को भी कुछ खबर नहीं।

विचारधाराए कोई भी हो पर जमीनी हकीकत यही है कि यह प्राण वायु कहा चलीं जाती है और व्यक्ति क्यों मृत हो जाता है। इसका जबाब वही दे सकता है जिसनें इस दुनिया को बनाया है। जन्म ओर मुत्यु के बीच जितना कोई जीवित रहता है वहीं समय उसे इस दुनिया को देखने के लिए मिलता है।

अपने दुनिया देखने के काल मे कुछ व्यक्ति सदा के लिए अमर हो जाते हैं और कुछ जीते जी मरे हुए बने रहते हैं और कुछ अकेले ही रह जाते है। यह सब एक रहस्य ही बन कर रह जाते हैं। इन तीनों ही स्थितियों के बाद भी शरीर से तो प्राण वायु तो जाएगी ही।

कुछ लोग इस दुनिया का खुल कर लुत्फ़ उठाते हैं और ओर बैहिचक हर तरह के सुखों का भोग करते हैं ओर शान शोकत व ऐश आराम से रहते हैं। क्या धर्म और क्या कर्म,क्या पाप ओर क्या पुण्य।

इन परिभाषाओं से दूर कर ये लोग अपने ही अनुसार कर्म करते है और स्वर्ग जैसे सुखों का आनंद लेते हुए अमर हो जाते हैं। ऐसे व्यक्ति अमीरी-गरीबी से कोई मतलब नहीं रखते हैं केवल वे अपने गुण धर्म के अनुसार ही व्यवहार करते हैं। पूर्व जन्म ओर अगला जन्म जेसी बातों को यह दरकिनार करते हुए केवल वर्तमान जीवन से ही मोह रखते हैं।

कुछ लोग दुनिया से बहुत प्रेम करते हैं सच्ची आस्था ओर श्रद्धा से रह कर सबको अपना बनाते हैं। धर्म कर्म लाभ हानि जीवन मृत्यु व पुनर्जन्म जैसी विचारधाराओं को बलशाली बनाते हैं।

इतना होने के बाद भी यदि इनके साथ धोखा होता है तो ये लोग गहरे सदमे के शिकार बन जाते है और सब कुछ बातें छोड़ वह अंधेरे की दुनिया में रह कर सदा के लिए जीते जी भी अपने आप को मरा हुआ समझ लेते हैं।

इस दुनिया के मेले मे कुछ ऐसे व्यक्ति भी होते हैं जो भीड़ में भी वीरानों की तरह रहते हैं। जीवन के सुखों का भोग करते हुए भी वो विचारों मे खोये रहते हैं और हर बात का कारण ढूंढने में अपना जीवन लगा देते है।

शोध और खोज में ये व्यक्ति चांद सितारों की दुनियां मे पहुंच जाते हैं तथा डटे रहते हैं अपना मिशन पूरा करने मे। यह दुनिया एक मेला है और इस मेले में ऐसे व्यक्ति एक ऐसी धरोहर छोड़ जाते है जो जीव ओर जगत के कल्याण का अप्रतिम मसौदा होते हैं। यही व्यक्ति इस दुनिया में रहते हुए भी नहीं रहते तथा प्रकृति का आनंद ले कर अकेले ही रह जातें हैं।

संत जन कहते है कि हे मानव तू भी इस दुनिया के मेले रम रहा है ओर यह मेला नश्वर है इसलिए जीव व जगत के लिए कल्याणकारी बन। भले ही तूझे अकेला ही इस दुनिया के मेले मे रहना पडे।

सौजन्य : भंवरलाल