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एक दिन जंगल में शोर मच गया, पढें फिर क्या हुआ

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एक दिन जंगल में शोर मच गया, पढें फिर क्या हुआ

सबगुरु न्यूज। एक दिन जंगल के हिंसक जानवरों मे तनातनी हो गई। शेर, बाघ, चीते, तेंदुए, जंगली सूअर और हाथी आदि जंगल का राजा बनने के लिए अपना बल प्रदर्शन गुर्रा गुर्रा कर कर रहे थे। रात भर मे कोई बात नहीं बनी तथा दूसरे दिन सब अपने-अपने इलाकों में जाकर अपना संगठन मजबूत करनें लग गए।

जंगल में हिंसक जानवर तो कम ही थे लेकिन सामान्य जानवर बहुत थे। वे चारा, पेड़ पौधे के पत्ते खाकर ही जीवन यापन करते थे। हिंसक जानवरों नें अपने अपने इलाकों के सामान्य जानवरों से कह दिया कि अब तुम सब आराम से रहो अब तुम्हे कोई भी नहीं खा सकता क्योंकि मैं ही तुम्हारा राजा हूं।

सामान्य जानवर बोले अगर शेर आ गया तो क्या होगा। हिंसक जानवर बोला हम सब मिलकर उस शेर को मार देंगे। सारे जानवर प्रसन्न हो गए और आराम सें जीने लगे।

सब हिंसक जानवर अपने अपने-अपने इलाकों के स्वतंत्र राजा बन गए लेकिन खाने को उन्हें घास मिलीं और सभी कमजोर हो गए। एक दिन सभी जानवर अपने-अपने राजाओं से बोले कि हमारे इलाके से हम बाहर भी घूमना चाहते हैं क्योंकि लम्बे समय से हम बाहर नहीं निकल पा रहे हैं।

सभी राजाओं ने अनुमति दे दी ओर सभी जानवर आजाद होकर घूमते रहें और प्रकृति का आनंद लेते रहें। काफी लम्बे समय से जानवर जब लौट कर नहीं आए तो तो सारे राजा अपने अपने इलाकों से बाहर निकल उन जानवरों के झुंड के पास पहुंच गए और पहचानने लगे अपनी-अपनी जनता को।

क़ोई भी राजा अपने अपने इलाकों के सामान्य जानवरों को नहीं पहचान सके और चाहे जिस जानवरों को ले जानें लगे। बस इसी बात पर हिंसक जानवरों में आमने-सामने की लड़ाई शुरू हो गई। सब गुर्रा गुर्रा कर आपस में गाली-गलौज दे रहे थे तथा एक दूसरे को चोर कहते कहते आपस में लहुलुहान हो कर सभी मूर्छित हो बेहोश हो गए।

यह हाल देख सभी सामान्य जानवर हंस पडे ओर कहने लगे यह सब अपने-अपने गुणों का बखान कर शरीफ़ बन रहे जबकि ये सभी हिंसक है मौका मिलते ही यह हमको नुकसान पहुंचा देते हैं। सभी जानवर वहां से चले गए और स्वतंत्र रूप से विचरण जंगल में करनें लग गए।

संत जन कहते है कि हे मानव अपना अस्तित्व बनाए रखने के लिए तू डर मत, परिस्थितियों का सामना कर तथा अपने ही विवेक का सहारा ले। लोभ-लालच की दुनिया के हसीन सपने दिखाने वालों के भ्रम जाल में मत फंस। निश्चित तेरी ही विजय होगी।

सौजन्य : भंवरलाल