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सोने का खंजर और लोहे का दिल

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सोने का खंजर और लोहे का दिल

सबगुरु न्यूज। प्रकृति अपनी व्यवस्था में हस्तक्षेप देख कुछ हैरान हुई फिर मुस्करा कर कहने लगी कि हे मानव तूने यह क्या कर डाला। असंख्य लोगों के लिए मैने हर तरह की व्यवस्था कर इस सृष्टिका उचित निर्माण कर उन्हें इस धरती पर उतारा। तूने अपने ही स्वार्थ वश मेरी सभी व्यवस्था को तहस-नहस कर डाला।

पहली बार जब मैंने इस धरती पर जीवों को उतारा तो वे मेरी व्यवस्था में आनंद लेते हुए मुझे बार-बार पुकारते थे और नमन करते थे ओर कहते थे कि वह कौन है जिनसे हमें बनाया और सुन्दर व्यवस्था में आनंद लेने के लिए छोड़ा।

मेरी ही रचना की दुर्दशा देख मैं हैरान हूं। हे मानव व्यवस्था चलाने के लिए कोई भी मुखिया कठोर दिल जो लोहे से बना हो, अगर उसे लेकर चलता है तो निश्चित रूप से वह सोने का खंजर लेकर चलेगा। लोहे जैसी कठोर नीति ओर सोने जैसे भावों से वह सभी को जीते जी ही मार देगा क्योंकि इस क़यामत को देख, काल भी पीछे हट जाएगा।

तेरे लोहे के दिल और सोने के खंजर के सामने व्यक्ति बेबस हो, नहीं चाहते हुए भी तुझे झेलता रहेगा ओर तू इस झूठे अभिमान में रह जाएगा कि मैं एक श्रेष्ठ राजा की तरह इस धरती पर आया हूं। सोने के खंजर को दिखा मैं सबका धन छीन लूंगा और फिर मैं मेरी प्रजा के सामने एक दाता की तरह बन सभी को सुखी और बना दूंगा।

अपनी गोद में बैठे बच्चे को भूखा रखकर तू उस बच्चे का ख्याल रख रहा है जो अभी गर्भ में ही है। जब गोद में खेलता बच्चा ही नहीं रहेगा तो तो उस गर्भ की परवाह कौन करेगा।

पौराणिक काल में एक राजवंश ऐसा ही हुआ था जिसनें अपनी प्रजा का धन छीन लिया ओर उन्हें जान से मार डाला और बाद में वह अंधा हो गया, खूब पछताया तथा बची खुची प्रजा से माफ़ी मांगता रहा।

संत जन कहते हैं कि हे परम मानव, परमात्मा ने तुझे किसी व्यवस्था का मुखिया बनाया तो निर्मल दिल रख और फूलों का खंजर बना ताकि सारा माहौल खुशनुमा बने, नहीं तो तेरा लोहे का दिल और सोने का खंजर सारे माहौल को सडा देगा। इसलिए जन कल्याण कर मन को साफ़ सुथरा बना।

सौजन्य : भंवरलाल