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नजरों में उनके बरकत ना थी

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नजरों में उनके बरकत ना थी

सबगुरु न्यूज। जिनकी हरकते दिलों पर लोभ लालच के नक्शे तैयार करती है, तो भले ही मुंह कुछ भी ना बोले लेकिन उनकी नजरें दिल में बने नक्शों की हकीकत बयां कर देती हैं। ये नजरें ललचाती हुई जब किसी को अपने फरेबी जाल में फंसाने की कोशिश करतीं हैं तो वह एक ऐसे सत्य से टकराती हैं जो नजरों की तासीर का पारखी होता है। जब उस पारखी ने देखा तो उसे समझ में आ गया कि इन नजरों में बरकत की तासीर नहीं है।

कुदरत ने बरकत का खजाना उन्हीं नजरों को दिया जिन नजरों में त्याग, दया, प्रेम और सहयोग की तस्वीर नज़र आती है। दिल में लालच, अपना स्वार्थ साधकर त्याग, दया और प्रेम करने वाला उस बरकत के खज़ाने की राह को भी नहीं देख पाता है और ना ही उनकी नजरों में बरकत होतीं हैं।

हितों को साधने में स्वार्थी रास्तों के नक्शे बना दूसरों के कंधों का सहयोग ले उसे योजनाबद्ध तरीके से तोड़ने वाली नजरों में शैतान का ही निवास होता है, वहां बरकत नहीं रहती। ये नजरें जहां पर भी पड़ती हैं वहां का माहौल प्रदूषित करती है और उस प्रदूषण से एक ऐसे सत्य का भान होता है कि हे मानव इस गुलशन को एक ही उल्लू काफ़ी है बर्बाद करने के लिए। ये नजरें सारी उम्र सबके साथ यही हरकत करतीं हैं और अंत में परमात्मा की नजरों में आते ही बर्बाद हो जातीं है।

आकाश में भ्रमण कर रहे शनि ग्रह कुछ ऐसे ही लोगों की तलाश में रहते हैं और उन लोगों पर नजर डालते ही वे स्वार्थी नजरें जो झूठे प्रेम त्याग का स्वांग रचाते हुए भावुकता से लूट मार करतीं हैं उन को तन मन और धन से हीन कर देती हैं, उन्हें सत्य का भान करा देतीं हैं। स्वार्थ की आग में आखिर खुद को ही जलना पडता है।

साहित्य बताते हैं कि शनिदेव की पत्नी ने उन्हें श्राप दिया कि आप जिसे भी देखेंगे वह बर्बाद हो जाएगा। इस कारण शनिदेव ने दिल में करूणा रख सभी का कल्याण हो यहीं सोच कर अपनी नजरें झुका ली। ताकि लोग उनके दर्शन करे तो उन्हें नुकसान न हो। शनिदेव के इसी त्याग, दया और प्रेम से यह दुनिया चल रही है अन्यथा समूचे विश्व को शनिदेव असली जमीन दिखा देते ओर अहंकार को परास्त कर देते।

संत जन कहते हैं कि हे मानव, ये शनि देव तो दया और प्रेम की मूर्ति है और तेरा कुछ भी नहीं बिगाडेंगे। क्योंकि उन्होंने जन कल्याण हेतु पहले से ही अपनी नजरें नीचे झुका रखी है और तूझे ये संदेश देते हैं कि हे मानव तू अपने झूठे अभिमान में पद, प्रतिष्ठा और राज सुख मिलने पर नजरों को ऊंची मत चढा, नहीं तो शनि देव के पांवों की मिट्टी हवा में उडती हुई तेरी आंखों में गिर जाएंगी और तू सब कुछ भूल जाएगा।

इसलिए हे मानव तू अपने दिल में बने नक्शो में प्रेम, दया और करूणा के भाव रख। केवल अपने स्वार्थ के लिए झूठे प्रेम का स्वांग मत रचा नहीं तो कोई बेरहमी नजरें तेरी नजरों पर पड जाएगी और सदा के लिए तेरी आंखों का ऊजाला छीन लेंगी। तू शनिदेव को अकारण ही बदनाम कर देगा कि मेरे शनि ग्रह की साढ़े साती व अढैया चल रही है।

सौजन्य : भंवरलाल