Home India City News भाजपाई हो तो शर्मिंदा होइये, पश्चाताप कीजिए और माफी मांगिये

भाजपाई हो तो शर्मिंदा होइये, पश्चाताप कीजिए और माफी मांगिये

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भाजपाई हो तो शर्मिंदा होइये, पश्चाताप कीजिए और माफी मांगिये
congres counsler of sirohi mucipality at collecter office to present memorandum against sirohi sabhpati tararam mali.
congres counsler of sirohi mucipality at collecter office to present memorandum against sirohi sabhpati tararam mali.
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सबगुरु न्यूज-सिरोही। अगर आप भाजपाई हो और आपने किसी न किसी रूप से भाजपा को सत्ता में लाने के लिए प्रयास किया है तो बुधवार को सिरोही के समाचार पत्रों में प्रकाशित सिरोही भाजपा सभापति के बयान को पढने के बाद आपको शर्मिंदा होना चाहिए, पश्चाताप करना चाहिए और जनता से माफी भी मांगनी चाहिए। क्योंकि ऐसा करके आप भ्रष्टाचार से आकंठ डूबी कांग्रेस की बेशर्मी को भी पार करने वाली पार्टी को जनता का धन लूटने के लिए बैठा दिया है।

प्रकाशित बयां के अनुसार सिरोही सभापति ताराराम माली ने यह स्वीकार किया कि जिन अतिक्रमियों को सजा हुई है उनमे से उनके रिश्तेदारो के 40 साल पुराने कब्जे हैं। और वह इस निर्णय के खिलाफ अपील करेंगे। बुधवार को उनका ये बयान ही शहर और भाजपाइयों के बीच चर्चा का विषय बना रहा। अब सोचिये जिस व्यक्ति को आपने यह सोचकर जनता के धन की सुरक्षा की जवाबदेही सौंपी है कि वह जनधन को संरक्षा करेगा वहीं सीना ठोककर कह रहा है कि वह जनता के धन की पंजीरी अपने रिश्तेदारों को बांटने के लिए खुद ही अपील करेगा तो आपने किस व्यक्ति को इस पद पर काबिज कर दिया है।

सभापति जनता के प्रतिनिधि के रूप में सिरोही नगर परिषद में जनता के धन के ट्रस्टी हैं, लेकिन जनता के धन को अपना माल समझकर यह उसे रिश्तेदारों में बांटने की बात तक कहना यह दर्शा रहा है कि इनके हाथ में तो सिरोही नगर परिषद की संपत्तियां और धन सुरक्षित नहीं है। इनके पदच्युत होने में ही सिरोही और भाजपा की भलाई है। इस बयान के बाद उन अधिकारियों और नेताओं का भी बेनकाब होना बनता है जो इन्हें पोषित, संरक्षित और सुरक्षित कर रहे हैं।
अब वाकई जरूरत भाजपा के शुद्धिकरण की
अतिक्रमण और अनियिमतता कांग्रेस की पूर्व सभापति जयश्री राठौड के कार्यकाल में भी ुहुई थी, लेकिन यह बात तय है कि जब भी उनके सामने इन अनितयमितताओं को रखा तो उन्होंने डंके की चोट पर उस काम को तो नहीं किया। आरोप चाहें जो लगे लेकिन खसरा संख्या 1218 के पट्टे साथ रिद्धी-सिद्धी व अर्जुन नगर जैसी खाली काॅलोनियों में सडक बनाने के कामों को रोकना एक तरह से उसके उदाहरण है। इन कामों को ताराराम माली ने अपने काबिज होते ही कर दिया।

इसके विपरीत भाजपा के प्रभारी मंत्री ओटाराम देवासी और जिलाध्यक्ष लुम्बाराम चैधरी भाजपा के सभापति बनने के बाद जो विजयी मुस्कान बिखेर रहे थे वह सिरोहीवासियों की भलमनसाहत और विश्वास से होने वाले भावी घात पर व्यंग्य की लगने लगी है। सोचिये कि भाजपा के इन प्रमुख नेताओं ने सिरेाही को किस नारकीय स्थिति में लाकर रख छोडा है।
ऐसे लोग विधायकी के भी दावेदार!
सभापति के पद पर आने के बाद हर सभापति का सपना सिरोही विधानसभा में विधायकी की दौड में शामिल होना होता है। पूर्व सभापति जयश्री राठौड भी 2013 के विधानसभा चुनावों में विधायक पद की दावेदारी पेश की थी तो अब वर्तमान सभापति ताराराम माली भी भाजपा से सिरोही विधानसभा क्षेत्र में विधायकी की दावेदारी के लिए अपनी जाति के प्रमुुख दावेदार माने जा रहे हैं। सभापति के ये बयान पढने के बाद यदि यह सिरोही विधानसभा में भाजपा से किसी भी पद के लिए टिकिट के भी दावेदार होते हैं तो यह मान लेना होगा कि भाजपा कांग्रेस से भी ज्यादा नैतिक पतन हो चुका है।

क्योंकि कांग्रेस ने अपनी भूल भ्रष्टाचार के आरोप से घिरे अपने जनप्रतिनिधि को हर टिकिट से वंचित करके सुधार ली, तो अब दीनदयाल उपाध्याय के सिद्धांतों पर बनी भाजपा के लिए यह अग्नि परीक्षा की घडी है कि ऐसे लोग जीतना तो दूर टिकिट से भी वंचित रख पाते हैं या नहीं। यदि ऐसा नहीं होता है तो भाजपाई नोटा का बटन दबाकर गंगा स्नान का पुण्य कमा सकते हैं, क्योंकि पार्टी भक्ति के  नाम पर ऐसे लोगों को जानबूझ कर जनप्रतिनिधि बनाना किसी रूप में जेएनयू के कन्हैया कुमार और उमर खालिद से कम मातृद्रोह तो नहीं है।
कांग्रेस की भी परीक्षा
सिरोही सभापति ताराराम माली के प्रकाशित बयान में इस स्वीकृति के बाद कि जमीनों पर अतिक्रमण करने वालों में उनके करीबी रिश्तेदार शामिल हैं और वह खुद तहसीलदार न्यायालय में अतिक्रमियों को बेदखल करने के निर्णय के लिए अपील करेंगे, कांग्रेस भी चेत गई है। कांग्रेस पार्षद जितेन्द्र सिंघी, ईश्वरसिंह डाबी, मारूफ हुसैन, पिंकी रावलए नैनाराम माली, गोपीलाल ने बुधवार को ज्ञापन देकर सिरोही सभापति को निलंबित करने की संस्तुति राज्य सरकार से करने की मांग की है।

इतना ही नहीं उन्होंने सिरोही नगर परिषद में भाजपा सभापति ताराराम माली के काबिज होने के बाद जितने भी पट्टे जारी किए गए हैं उनकी जांच के लिए राज्य सरकार से विशेष जांच समिति बनाने की संस्तुति करने की भी मांग की है। अब कांग्रेस की भी अग्नि परीक्षा है कि वह कितना अपनी मांगों पर टिकी रहती है और किस हद तक जाती है।

वैसे जनहित याचिका लगाकर सिरोही नगर परिषद में भाजपा राज में हुई अनियमितताओं के दोषियों की जांच भी करवा सकती है और जैसा कि संयम लोढा ने कहा था वैसे ही माली समाज छात्रावास के पास स्थित जेल में भी भिजवा सकती है। क्योंकि इस बयान के बाद वह यह नहीं कर पाए तो उनकी मंशा भी संदेह से बाहर नहीं होगी।

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