Home Sirohi Aburoad एक्सक्लूसिव: आबूरोड तलेटी समेत करीब ढाई दर्जन पंचायतों में एक किलोमीटर होगा बफर जोन, जानिये फायदा नुकसान

एक्सक्लूसिव: आबूरोड तलेटी समेत करीब ढाई दर्जन पंचायतों में एक किलोमीटर होगा बफर जोन, जानिये फायदा नुकसान

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एक्सक्लूसिव: आबूरोड तलेटी समेत करीब ढाई दर्जन पंचायतों में एक किलोमीटर होगा बफर जोन, जानिये फायदा नुकसान
praposed buffer zone surrounding mount abu sanctuary is sirohi district
praposed buffer zone surrounding mount abu sanctuary is sirohi district

परीक्षित मिश्रा-सिरोही/आबूरोड/माउण्ट आबू। देशभर में वाइल्ड लाइफ पार्क और सेंचुरी के चारों ओर बफर जोन निर्धारण को लेकर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद गुरुवार को माउण्ट आबू सेंचुरी की परिधि के चारों और भी बफर जोन निर्धारित कर दिया है। इस पर अंतिम मोहर नोटिफिकेशन जारी होने के बाद लगेगी, लेकिन यह तय है कि अब इस निर्धारित सीमा को पूर्व की तरह सुप्रीम कोर्ट की तरफ से अस्वीकृत नहीं किया जा सकेगा।

जिला कलक्टर संदेश नायक की अध्यक्षता वाली समिति ने कुछ स्थानों पर सडकों को सीमा मानते हुए एक किलोमीटर तक बफर जोन निर्धारित किया है। कहीं पर इसे आठ सौ मीटर भी किया है, लेकिन स्थानीय नेताओं की मांगों के अनुसार इसे शून्य नहीं रखा गया है। बफर जोन में माॅनीटरिंग कमेटी की देखरेख में विकास गतिविधियां हो सकेंगी, लेकिन हानिकारक औद्योगिक गतिविधियां नहीं हो सकेंगी।

केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की स्वीकृति और नोटिफिकेशन के बाद यह लागू हो जाएगा। इससे पहले 2013 में माउण्ट आबू सेंचुुरी के चारों ओर बफर जोन को शून्य किलोमीटर कर दिया गया था, सुप्रीम कोर्ट की सख्ती को देखते हुए केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने निरस्त करते हुए फिर से बफर जोन निर्धारित करने को कहा था।
-चार तहसीलों की करीब 37 ग्राम पंचायतों पर असर
माउण्ट आबू सेंचुरी के बफर जोन में सिरोही, आबूरोड, पिण्डवाडा और रेवदर तहसील की करीब 37 ग्राम पंचायतों में बफर जोन होगा। इसमें व्यावसायिक गतिविधियों का केन्द्र बन चुका माउण्ट आबू का बेसकैम्प तलेटी और अमथला के साथ टोकरा, अनादरा, डाक, धवली, मांडवाडा खालसा, नितोडा, फूलाबाई का खेडा, पंचदेवल, तलवारों का नाका, चंडेला आदि ग्राम पंचायतों के माउण्ट आबू सेंचुरी से सटे इलाके शामिल हैं।
-यह भी मांग
माउण्ट आबू की तलेटी पर बढती व्यावसायिक गतिविधियों का केन्द्र बन चुका तलेटी इससे बफर जोन से सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ था। दरअसल, जमीनों की कीमतों के परवान चढने पर आबूरोड से सरूपगंज और आबूरोड से मानपुर होते हुए रेवदर जाने वाले रास्ते पर माउण्ट आबू सेंचुरी की लगती जमीनों के दाम सबसे ज्यादा रहे।

अब इनमें से कई जमीनें बफर जोन में रहेंगी और यहां पर बडी व्यावसायिक काॅम्पलेक्स या अन्य व्यावसायिक गतिविधियां जोनल मास्टर प्लान के अनुरूप ही हो पाएंगी। आवासीय और कृषि गतिविधियों पर पाबंदी नहीं रहेंगी, लेकिन यह माॅनीटरिंग कमेटी से नियंत्रित रहेंगी। इसमें सबसे ज्यादा ब्रह्माकुमारी संस्थान और काॅलोनाइजर्स के लिए समस्या आएगी।
-तीन सौ मीटर तक व्यावसायिक गतिविधियों पर पाबंदी
बफर जोन का जो प्रस्ताव राज्य सरकार के माध्यम से केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को भेजा गया है उसमें बफर जोन में तीन सौ मीटर की दूरी तक व्यावसायिक गतिविधियां प्रतिबंधित रहेंगी। जिला कलक्टर ने बताया कि इसके बाद की सीमा में भी माॅनीटरिंग कमेटी की मंजूरी के बाद ही व्यावसायिक गतिविधि होगी। उन्होंने बताया कि तीन सौ मीटर में खाली जमीनों पर टेंट लगाए जा सकते हैं, लेकिन पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली व्यावसायिक गतिविधि के लिए स्थायी निर्माण नहीं होगा।
-एक किलोमीटर नहीं करते तो दस किलोमीटर रहता दायरा
जिला कलक्टर की अध्यक्षता में बनी समिति यदि बफर जोन का दायरा एक किलोमीटर से कम रखती तो सुप्रीम कोर्ट में फिर से इसे स्वीकृति नहीं मिलती। इससे सुप्रीम कोर्ट के ही आदेशानुसार बफर जोन का सेंचुरी के चारों ओर दायरा दस किलोमीटर तक रहता, जिससे यहां किसी तरह की विकास की गतिविधि नहीं हो पाती।

पूर्व में जिला कलक्टर बन्नालाल की अध्यक्षता में जनप्रतिनिधियों की बैठक में बफर जोन को जीरो किलोमीटर करने के निर्णय को इसी आधार पर अस्वीकृत किया जा चुका है। 17 सितम्बर, 2017 को ही सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के संजय गांधी नेशनल पार्क और गुजरात के दमन दीव के निकट सेंचुरी क्षेत्र के बफर जोन को जीरो से चार किलोमीटर रखे जाने की रिपोर्ट को खारिज करते हुए सरकारों को लताड पिलाई थी। इन मामलों में बडे-बडे बिल्डर भी सुप्रीम कोर्ट को डिगा नहीं पाए।
-क्या है बफर जोन
बफर जोन वाइल्ड लाइफ पार्कों और सेंचुरियों की परिधि में बनाया जाने वाला नो-मेन जोन है, जहां पर वन्यजीवों के आवागमन और वनस्पतियों के संरक्षण के लिए मानवीय गतिविधियों और निर्माणों को नियंत्रित किया जाना मूल मकसद है। नेशनल वाइल्ड लाइफ एक्शन प्लान 2002 में इसकी आवश्यकता रखी गई थी और इसे स्वीकृति दी गई थी।

इसके तहत भारत के वाइल्ड लाइफ पार्को और सेंचुरीज की परिधि के चारों ओर दस किलोमीटर तक बफर जोन रखे जाने का प्रस्ताव था। राज्यों को इसके प्रस्ताव भेजने को कहा था, लेकिन राज्यों ने ऐसा नहीं किया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में लगी जनहित याचिका में 2006 में यह आदेश दिया गया कि जब तक राज्य वाइल्ड लाइफ सेंचुरी और वाइल्ड लाइफ पार्कों की परिधि के दस किलोमीटर तक बफर जोन माना जाएगा।

इस कारण माउण्ट आबू सेंचुरी के चारों ओर सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार दस किलोमीटर का क्षेत्र इस बफर जोन का नोटिफिकेशन निकलने तक बफर जोन रहेगा। वहां पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली व्यावसायिक गतिविधि सुप्रीम कोर्ट में चैलेंजेबल होगी।
-इनका कहना है…
माउण्ट आबू सेंचुरी के चारों ओर एक किलोमीटर तक के क्षेत्र तक बफर जोन रखा गया है। जहां सडकें आ रही हैं वहां सडक को सीमा मानते हुए आठ सौ मीटर तक भी रखा है। तीन सौ मीटर तक व्यावसायिक गतिविधियां प्रतिबंधित होंगी। इसके बाद नियंत्रित रहेंगी।
संदेश नायक
जिला कलक्टर, सिरोही।