Home Latest news क्या है जल झूलनी एकादशी और पद्मा एकादशी

क्या है जल झूलनी एकादशी और पद्मा एकादशी

0
क्या है जल झूलनी एकादशी और पद्मा एकादशी
what is jal jhulni ekadashi and padma ekadashi celebration 2017
what is jal jhulni ekadashi and padma ekadashi celebration 2017
what is jal jhulni ekadashi and padma ekadashi celebration 2017

आज एकादशी सुबह 7 बजकर 36 मिनट से प्रारम्भ हो गई है तथा शनिवार 2 सितम्बर 2017 को सुबह 9 बजकर 37 मिनट तक रहेगी। सूर्योदय के समय शनिवार को एकादशी होने से जलझूलनी ग्यारस कुछ मत के कारण कल रेवाडी निकाली जाएगी।

भाद्रपद मास की शुक्ल एकादशी को पद्मा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। पहले से ही स्थापित प्रतिमा का उत्सव करके उसे जलाशय के निकट ले जाया जाता है और जल से स्पर्श करा कर उसकी पूजा करनी चाहिए। फिर घर लाकर बायीं करवट से सुला दें। दूसरे दिन प्रातकाल द्वादशी को गन्ध आदि से वामन की पूजा करने के बाद भोजन कराकर दक्षिणा दें।

इस दुनिया के प्रपंच से मुक्त होने की एकादशी है, यदि इस प्रकार पूजा कर ली है तो ऐसी मान्यता नारद पुराण की है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पद्म पुराण के उतर खंड में सूर्य वंश के राजा मान्धाता के राज्य में प्रजा सुखी और समृद्ध थी।

एक बार अकाल पड़ गया तीन साल तक अकाल की दशा रही। मनीषियों की सलाह पर राजा अपने कुछ साथियों के साथ वन में गए वहां उन्हें अंगिरा ऋषि के दर्शन हुए। ऋषि ने पद्मा एकादशी के व्रत के बारे में बताया। व्रत के प्रभाव से वर्षा हुई ओर अकाल खत्म हुआ।

इस दिन जल से भरा कलश वस्त्र से ढककर दही व चावल के साथ मंदिर में अर्पण किए जाने की प्रथा है। छाता और जूते भी दान देने की प्रथा है।

कुल मिला कर इस एकादशी को भगवान का उत्सव मना कर तालाब में भगवान की प्रतिमा को स्नान करा मंगल गान के साथ वापस अपने स्थान में चल प्रतिमाओं को स्थापित करनी चाहिए।