Home Breaking जाटों का जंतर-मंतर पर शक्ति प्रदर्शन, 20 मार्च को संसद के घेराव का ऐलान

जाटों का जंतर-मंतर पर शक्ति प्रदर्शन, 20 मार्च को संसद के घेराव का ऐलान

0
जाटों का जंतर-मंतर पर शक्ति प्रदर्शन, 20 मार्च को संसद के घेराव का ऐलान
Jat quota stir : agitators threaten to block essential services in Delhi
Jat quota stir : agitators threaten to block essential services in Delhi
Jat quota stir : agitators threaten to block essential services in Delhi

नई दिल्ली। जाट आंदोलन की तपिश गुरुवार को दिल्ली तक पहुंच गई। देश के विभिन्न इलाकों से यहां जंतर मंतर पर बड़ी संख्या में पहुंचे जाट समुदाय के लोगों की उपस्थिति को देखकर गद्गद उनके नेताओं ने 20 मार्च को संसद का घेराव करने का ऐलान कर दिया।

अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष यशपाल मलिक ने यहां आए आंदोलनकारियों से आह्वान किया कि वे अपने इलाकों से ट्रैक्टर, ट्रक और अन्य वाहनों के साथ बड़ी संख्या में 20 मार्च को दिल्ली पहुंचे और कम से कम एक पखवाड़े का राशन साथ लेकर आएं।

यशपाल मालिक ने कहा कि हरियाणा में 33 दिन से 10 लाख से ज़्यादा लोग धरने पर बैठे हैं। जब उससे कोई हल नहीं निकला तो हमें मजबूरन दिल्ली में प्रदर्शन कर घेराव की रणनीति घोषित करनी पड़ी। जाट समुदाय के हजारों लोग आज जंतर-मंतर पर धरना देने के लिए इकट्ठा हुए हैं। इनकी मांग है कि इन्हें सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण दिया जाए।

इस विरोध प्रदर्शन में हरियाणा, दिल्ली, यूपी, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, राजस्थान और मध्यप्रदेश से जाट समुदाय के लोगों ने हिस्सा लिया है। बुधवार को जाट समुदाय ने असहयोग आंदोलन के तहत अपने लोगों से बिजली तथा पानी के बिल का भुगतान न करने तथा राष्ट्रीय राजधानी को दूध तथा सब्जी आदि की आपूर्ति बंद करने को कहा था।

जन्तर-मन्तर पर आयोजित “एक दिवसीय जाट न्याय धरना” में शामिल लोगों को संबोधित करते हुए मलिक ने कहा कि 29 जनवरी, 2017 से हरियाणा के 20 जिलों में शुरू हुए 25 से अधिक अनिश्चितकालीन धरनों का आज 33वां दिन है।

इन धरनों पर लगभग प्रतिदिन 10 लाख से ज्यादा और विषेष अवसरों जैसे “बलिदान दिवस” व “काला दिवस” आदि पर 25 लाख से भी अधिक 36 बिरादरी के लोगों ने धरनों में भाग लिया जो अबतक शान्तिपूर्वक रहे हैं।

आंदोलनकारी हरियाणा सरकार से जो सात मांंगें पूरी करने का आग्रह कर रहे हैं उन पर 22 फरवरी, 2016, 18 मार्च, 2016 व 18 जून, 2016 को समझौते होने के बावजूद प्रदेश सरकार ने लागू नहीं किया है।

सरकार की इस वादाखिलाफी पर उन्होंने कहा कि 29 जनवरी, 2017 से चल रहे अनिश्चितकालीन धरने तब तक जारी रहेंगे जब तक सभी मांगें पूरी नहीं हो जाती हैं। उन्होंने कहा कि पहली मार्च, 2017 से धरनों की संख्या भी बढ़ाई जाएगी। साथ ही पहली मार्च, 2017 से “असहयोग आन्दोलन” के तहत, बिजली, पानी, सरकारी देनदारी को नहीं चुकाया जाएगा।

उन दुकानों/व्यापारिक प्रतिष्ठानों से खरीददारी नहीं करेंगे, जो जाटों को न्याय दिलाने के पक्ष में नहीं है तथा जाट न्याय धरनों का समर्थन नहीं कर रहे हैं।

इस अवसर पर उन्होंने भविष्य की रणनीति का खुलासा करते हुए कहा कि केन्द्र की सरकार 33 दिन से चल रहे धरनों के प्रति असंवेदनशील बनी हुई है। अब केन्द्र सरकार को कुम्भकर्णी नींद से जगाने के लिये बड़ा निर्णय लेना पड़ा है।

इस अवसर पर उन्होंने उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश से आये हुए आन्दोलनकारियों के सम्मुख प्रस्ताव रखते हुए कहा कि आने वाली 20 मार्च को देशभर के जाट “दिल्ली कूच” करेंगे, जिसमें संसद का घेराव व बार्डर पर पड़ाव के कार्यक्रम होंगे। इस मौके पर विभिन्न राज्यों से आए आन्दोलनकारियों ने सर्वसम्मति से चार प्रस्ताव पास किए।

पहला – 20 मार्च 2017 को देशभर के जाट “दिल्ली कूच” करेंगे और सभी लोग अपने संसाधनों जैसे ट्रैक्टर, ट्रॉली, ट्रक और अन्य सभी वाहन लेकर अनिश्चितकाल के लिए दिल्ली कूच करेंगे जिसमें दिल्ली बार्डर पर पड़ाव व संसद का घेराव आदि के कार्यक्रम होंगे।

दूसरा – सभी आन्दोलनकारी अपने वाहनों के साथ लम्बी अवधि के लिए रसद (खाने का सामान) व टेन्ट आदि का प्रबन्ध कर साथ लेकर चलेंगे।

तीसरा – अगर प्रशासन काफिलों को रास्ते में रोकता है तो उस स्थिति में बिना टकराव किए उन्हीं स्थलों (हाईवे/सड़कों) पर अनिश्चितकाल के लिए पड़ाव डाल दिए जाएंगे।

चौथा – दिल्ली के अंदर रहने वाले जाट भाई बार्डरों पर खाने व रहने के प्रबन्ध के साथ-साथ संसद तक पहुंचने के लिए अपने सभी वाहनों के साथ तैयार रखेंगे।