Home Headlines जल, जंगल और जमीन झारखंड की पहचान है : रघुवर दास

जल, जंगल और जमीन झारखंड की पहचान है : रघुवर दास

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जल, जंगल और जमीन झारखंड की पहचान है : रघुवर दास
Jharkhand Chief Minister Raghubar Das
Jharkhand Chief Minister Raghubar Das
Jharkhand Chief Minister Raghubar Das

रांची। जल, जंगल और जमीन हमारे लिए नारा नहीं, बल्कि हमारी पहचान है। यह हमारी अस्मिता से जुड़ा है, इसलिए हमने जल प्रबंधन और संवर्द्धन की दिशा में पिछले 15-16 महीनों में उल्लेखनीय काम किया है।

चाहे कृषि विभाग हो या वन विभाग या जल संसाधन विभाग सभी ने जल और वन की महत्ता को समझा और निकल पड़े हैं झारखंड को हरियाली से ढंक देने के लिए। यह बातें मंगलवार को मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहीं। वह प्रोजेक्ट भवन के प्रांगण में हरियाली शपथ समारोह में बोल रहे थे।

मुख्यमंत्री ने प्रोजेक्ट भवन के प्रांगण में अपने सभी वरीय प्रशासनिक अधिकारियों-कर्मचारियों-आदेशपालों को हरियाली की शपथ दिलाई।

मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि इस पेड़ लगाओ अभियान को जनांदोलन बनाना है, सभी पांच पेड़ लगाएं और उसका पोषण करें, क्योंकि बिना जनांदोलन के कोई कार्यक्रम सफल नहीं हो सकता, चाहे सरकार कुछ भी कर लें, जनसहभागिता सर्वाधिक जरूरी है।

सबको झारखंड के लिए दर्द होना चाहिए, वह दर्द होना चाहिए कि यह राज्य हमारा है, हमें इसकी बेहतरी के लिए काम करना है। उन्होंने कहा कि वे राजनीति में चीजों को बदलने के लिए आये है, लोगों को समझा-बुझाकर बेहतर दिशा में ले जाने के लिए।

जल की महत्ता को समझना होगा, क्योंकि आज जो जल सस्ता है, वह बेशकीमती होने जा रहा है, इसका सम्मान करना होगा। यह नहीं कि बेपरवाह और बेदर्दी से जल को हम बर्बाद करते चले जाए।

उन्होंने कहा कि आधुनिकीकरण जरूरी है, पर हमें ध्यान रखना होगा कि हमने जितने पेड़ों को सदुपयोग में लाया, उतनी ही संख्या में उन पेड़ों को लगाने का भी प्रबंध करें, नहीं तो एक दिन ऐसा आयेगा कि हम आनेवाली पीढ़ी को बेहतर झारखंड देने में कामयाब नहीं हो पाएंगे। ये हमारा फर्ज है कि हम आनेवाली पीढ़ी के लिए एक बेहतर झारखंड देकर जाए।

उन्होंने कहा कि जब बड़े-बड़े शहरों में परिवार के प्रत्येक सदस्य के लिए अलग-अलग गाड़ियां हो सकती है तो प्रत्येक परिवार का एक-एक सदस्य पांच-पांच पेड़ों को लगाने और उसके पोषण की जिम्मेवारी क्यों नहीं उठा सकते। सर्वाधिक प्रदूषण एसी गाड़ियों से ही होता है, यह किसी को नहीं भूलना चाहिए, क्योंकि क्लोरोफ्लोरो कार्बन का उत्सर्जन इसी से होता है। शहरों को प्रदूषित करने में भी इनकी भूमिका है।

उन्होंने कहा कि हम झारखण्ड में यानी प्रकृति की गोद में बसे है, इसलिए हमारी ज्यादा जिम्मेवारी है। हम हरियाली प्रदेश में रहते है, यह हमारी जिम्मेवारी है कि इसकी हरियाली को सुरक्षित रखें। मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि भू-माफियाओं ने हमारे वनों को प्रभावित किया है, उस पर हमारी नजर है।

उन्होंने कहा कि हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि वृक्षों में अध्यात्म भी है। हमारे देवी-देवता वृक्षों में निवास करते है। उन्होंने अपने बचपन की घटना का उल्लेख करते हुए कहा कि जब उन्हें चेचक हुआ तो उनकी मां ने नीम के पत्तों का आश्रय लिया था। उन्होंने बताया की नीम के पेड़ में शीतला माता, पीपल में शनि और विष्णु का वास होता है, इस कारण भी हमें वृक्षों की देखभाल करनी चाहिए।

वृक्ष हमें हर प्रकार से जीवन देते है, यह जीवनदायिनी है, इसलिए हम सभी इसका पोषण करें। उन्होंने बताया कि उन्हें इस बात की खुशी है कि सभी लोगों ने इस कार्य को हाथों-हाथ लिया है, एक जनांदोलन के रूप में वृक्षारोपण कार्यक्रम चल रहा है।

उन्होंने बताया कि इसमें मीडिया भी रूचि ले रही है। मीडिया ने जल संकट पर जिस प्रकार से समाज और सरकार का ध्यान आकृष्ट कराया, वह प्रशंसनीय है। जल संकट को देखते हुए ही इस प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किये गये है, खुशी इस बात की है कि अब तक पूरे राज्य में एक लाख 76 हजार डोभा बनकर तैयार हो चुके है, जबकि दो हजार में से एक हजार तालाब का निर्माण भी पूरा हो चुका है।

वृक्षारोपण कार्य में लोग आज से ही जुट जाएं और झारखण्ड को हरियालीयुक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं। हरियाली शपथ समारोह कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य सचिव राजबाला वर्मा ने कहा कि पूरे राज्य में इस वर्ष 6 लाख डोभा बनाने का कार्य लिया गया है, जिसमें बड़ी तीव्र गति से काम किया जा रहा है।

हमने जल संचय और उसके प्रबंधन पर भी जोर दिया है, क्योंकि जो राज्य सरकार का सपना है, उसे पूरा करना हम सब की जिम्मेदारी बन जाती है। इसके लिए बड़े पैमाने पर जहां मनरेगा से डोभा का निर्माण होना है, वहां मनरेगा से और जहां जेसीबी से होना है, वहां जेसीबी का उपयोग कर, जल संचय की ओर हम कदम बढ़ा रहे है।

विकास आयुक्त अमित खरे ने कहा कि पेड़ों और जल की महत्ता को समझना होगा। मुख्यमंत्री ने खेत का पानी खेत में और गांव का पानी गांव में योजना को जमीन पर उतारने का जो संकल्प लिया है, उन्हें खुशी है कि इसका परिणाम भी जल्द दिखाई पड़ने लगा है, गांवों में डोभा बनने शुरू हो गये, तालाब भी बन रहे है।

वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की ओर से रांची के प्रोजेक्ट भवन में स्थित हरियाली शपथ कार्यक्रम के स्वागत भाषण में विभाग के प्रधान सचिव सुखदेव सिंह ने कहा कि यह कार्यक्रम उन पेड़ों को सच्ची श्रद्धाजंलि है, जो 1960 में प्रोजेक्ट भवन के निर्माण के क्रम में काटे गये थे। जिनके बलिदान के बाद प्रोजेक्ट भवन अपने स्वरूप में आया।

उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि जब राज्य में सुखाड़ की स्थिति आयी और पेयजल संकट गहराया तब मुख्यमंत्री रघुवर दास ने स्वयं सुखाड़ से निबटने के लिए एक कार्यक्रम बनायी और हमलोगों ने पेड़ लगाने का वृहत कार्यक्रम बनाने को सोचा। आज इस बात की खुशी है कि हम सभी मिलकर हरियाली शपथ ले रहे है और बेहतर झारखण्ड, हरा-भरा झारखण्ड बनाने के लिए निकल पड़े है।

मुख्यमंत्री रघुवर दास चाहते है कि हम सभी मिलकर गांव-गांव में इस अभियान को लेकर निकल चले और लोगों को बताये कि बिना वृक्ष के जीवन दुर्लभ है। इसलिए इस बार हमने वन महोत्सव रामगढ़ के पतरातू प्रखंड के जयनगर गांव में 1 जुलाई को आयोजित किया है। आशा ही नहीं बल्कि पूर्ण विश्वास है कि इससे राज्य में वनों की स्थिति में सुधार आयेगा और लोगों का जीवन भी बेहतर होगा।