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शिवराज सिंह चौहान के दस साल सचमुच बेमिसाल

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शिवराज सिंह चौहान के दस साल सचमुच बेमिसाल
kailash vijayvargiya praises shivraj singh chauhan for complete 10 years as chief minister office
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kailash vijayvargiya praises shivraj singh chauhan for complete 10 years as chief minister office

दिल से निकला प्रत्येक शब्द सीधा दिल को छूता है और दिलों में स्थाई जगह भी बना लेता है। ‘‘दस साल-बेमिसाल’ मेरे शब्द नहीं हैं यह मध्यप्रदेश भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान ने कहा था।

चूंकि, नंदू भैया ने यह बात दिल से कही थी, इसलिए सबको अच्छी लगी व जुबान पर भी एक नारे की तरह चढ़ गई। आप विश्वास कीजिये हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित भाई शाह भी इन शब्दों का कई बार सार्वजनिक मंचों से प्रयोग कर चुके हैं।

संदर्भ स्पष्ट हैं कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इसी नवम्बर में अपने मुख्य मंत्रित्व के दस वर्ष पूरे करने जा रहे हैं और उनकी दस सालों की सफलाताओं और उपलब्धियों पर राष्ट्रीय अध्यक्ष से लगाकर भाजपा का सामान्य कार्यकर्ता ही नहीं मध्यप्रदेश के 6 करोड़ से अधिक निवासी भी गौरवान्वित हैं।

हम सब भगवान श्रीकृष्ण और भगवान श्रीराम के वंशज हैं। आप याद कीजिये किशोर श्रीकृष्ण ने अपने आत्म विष्वास, बड़ों के आशीर्वाद और गोपों की सहायता से गोवर्धन पर्वत उठा लिया था। शौर्य, धैर्य, सत्य शील और समता के बल पर वानरों को साथ लेकर श्रीराम ने बाहुबली रावण को परास्त किया था। ये हमारे ही पूर्वजों की कथाएं हैं हमें इन्ही से प्रेरणा मिलती हैं। 

शिवराज सिंह चौहान कहते हैं कि सरकार तभी चलती है, जब सबका साथ हो और सबका विष्वास भी उसे मिले। अपनी एकदम स्पष्ट दृष्टि, दृढ़ संकल्प, पारदर्शिता व रचनात्मक नवाचार शिवराज जी के चार सूत्र हैं। इन्हीं के कारण दस वर्षों में वे निरंतर लोकप्रिय, सफल, अनुकरणीय और राजनैतिक स्थिरता के राष्ट्रीय प्रतीक ही नहीं ‘मानक’ बने हैं इसी कारण मध्यप्रदेश ‘बीमारू’ राज्यों की ऋंखला से बाहर आकर एक ‘माडल’ बन चुका है। यह एक मानी हुई बात है कि नेतृत्व की तेजस्विता सामान्य जन से भी आत्म विष्वास जगाती है। सामान्य जन की प्रगति भी तभी संभव है जब तेजस्वी नेतृत्व उसके सामने हो।

मध्यप्रदेश के छ: करोड़ लोगों को 69 वर्षों में अब अपने राज्य पर गर्व होता है। इस राज्य का अपना एक गान है।  शिवराज सिंह चौहान पहले नेता हैं, जिन्होंने ‘राज्य गान’ का विचार किया और उन्ही के कारण हम आज गर्व से उसे गाते हैं – सुख का दाता, सबका साथी, शुभ का यह संदेश हैं, मॉ की गोद, पिता का आश्रय, मेरा मध्यप्रदेश है। अपने राज्य के प्रति विष्वास और गौरव, वह भी एक साथ छ: करोड़ दिलों में, मामूली बात नही है। देश में मध्यप्रदेश अकेला राज्य है जिसका अपना राज्यगान है।

नवम्बर 2005 में शिवराज सिंह चौहान प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे। चूंकि उनके लम्बे संघर्ष का मैं भी एक साथी रहा हॅू, इसलिए उनका निकट सहयोगी रहकर उनके रक्त-स्वेद के तर्पण का भी साक्षी रहा। वे प्रदेश के अठाहरवें मुख्यमंत्री जरूर हैं, लेकिन ऐसे पहले मुख्यमंत्री हैं, जिनके दरवाजे प्रदेश के हर व्यक्ति के लिए खुले हैं। अंतिम पंक्ति का अंतिम व्यक्ति भी अपने पांव-पांव भैया से मिल सकता है, राज्य संचालन में अपनी राय दे सकता है व अपनी राय के अनुसार नीतियों में बदलाव महसूस कर सकता है।

एक तरफ बिहार जैसे राज्य में  ‘‘राज्य’’ नामक संस्था महसूस ही नहीं होती जबकि मध्यप्रदेश में एक आदिवासी अंचल में गरीब गिरिजन की बेटियों का कन्यादान मुख्यमंत्री करता है। गांव, कस्बे और नगर के बुजुर्गों को श्रवण कुमार की भूमिका में मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा कराता है।

सार्वजनिक जीवन में कई वर्षों से रहते हुए मेरा परिचय भी विस्तृत है। मध्यप्रदेश की ‘मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना’ से प्रभावित होकर चार अन्य प्रदेशों के मुख्य मंत्रियों ने मुझसे इस योजना का प्रारूप लिया हैं। वाकई, उस समय छाती फूल जाती है, जब अपने मित्र की योजनाए पराए लेते हैं व कार्यान्वित करते हैं।

हम सब, अपने आसपास होने वाले बड़े परिवर्तन को मात्र निकटता के कारण कम आवेग से महसूस करते हैं। थोडा दूर बैठकर लाड़ली लक्ष्मी, जननी सुरक्षा, गांव की बेटी, बेटी बचाओं-बेटी पढ़ाओं, मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार सहयोग योजना या मुख्य मंत्री कन्यादान योजना पर बात कीजिए या होने वाली बातों को सुनिये, आपकी आंखे फटी रह जाएंगी सीना चौड़ा हो जाएगा और आप गर्व से कह उठेंगे कि मैं मध्यप्रदेश का निवासी हॅू, जहां के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान हैं।

कृषक पुत्र शिवराज सिंह चौहान की पहली और बड़ी प्राथमिकता निष्चित रूप से गांव-देहात, खेती-बाडी, नदी-तालाब, रास्ते और गडवाहट ही हैं। इसलिए दस सालों में मध्यप्रदेश देश का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक राज्य बना है। सिंचाई का रकबा 7 लाख हेक्टेयर से 22 लाख हेक्टेयर हुआ है। प्रदेश के गांव देहात में 80,000 किलो मीटर सड़के बनी हैं। इस सबके कारण सकल कृषि उत्पाद 18 प्रतिशत बढ़ा हैं यही कारण है कि संसदीय लोकतंत्र के अष्वमेघ में शिवराज दस वर्षों से अजेय अपराजेय हैं।

अपने सार्वजनिक जीवन का प्रारंभ सबसे निचली पायदान से करते हुए पूरे परिश्रम से सर्वोच्च स्तर पर आए शिवराज जी जिस मैत्री भाव से किसान, मजदूर कोटवार, कर्मकार या चर्मकार पंचायत में बैठते हैं, सबकी राय लेते हैं या घरों में बर्तन-पोंछा-कपड़ा धोने वाली बहनों की पंचायतों में रक्षक बडे भाई की भूमिका निभाते हैं, उसी तेजस्विता से वे विदेशी निवेशकों से बात करते हैं। देशी विदेशी निवेशकों के सामने राज्य का अधिकृत विद्वान मुख्यमंत्री और हम आपके सामने अपना सरल भैया। सचमुच कमाल लगता है। यह सब सचमुच ईष्वरीय आशीर्वाद ही हैं।

मित्रों, मजदूरों और मजदूरों के मामले में दिलदारी को देखते हुए हमारे एक अराजनैतिक मित्र कहते हैं कि ‘‘ शिवराज जी में सिर से पांव तक शायद भगवान ने सिर्फ दिली ही दिल दिया है।’’

कैलाश विजयवर्गीय

(लेखक भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव हैं)