Home India City News देवादिदेव महादेव नीलकण्ठ नमोस्तु ते, महाशिवरात्रि आज

देवादिदेव महादेव नीलकण्ठ नमोस्तु ते, महाशिवरात्रि आज

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देवादिदेव महादेव नीलकण्ठ नमोस्तु ते, महाशिवरात्रि आज
Maha Shivaratri
Maha Shivaratri
Maha Shivaratri

भोपाल/रीवा। देशभर में में महाशिवरात्रि का पर्व श्रद्धा और उल्लास के साथ ही बड़ी भक्ति भाव से 7 मार्च को मनाई जाएगी। महाशिवरात्रि के पर्व को मनाने को लिए भक्त जनों ने रविवार के दिन पूरी तैयारी में जुटे रहे।

भापाल समेत अन्य जिलों के शिव मंदिरों के साथ अनेक धार्मिक स्थलों में महाशिवरात्रि पर्व का आयोजन मनाया जाएगा। इस दौरान मंदिरों में भक्त जन भव्य कीर्तन एवं भण्डारा आयोजित किये जायेगे।

शिवपुराण के अनुसार फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी की रात भगवान शिव को अति प्रिय है। शिवरात्रि के महत्व का वर्णन स्वयं भगवान शिव ने माता पार्वती को बताया था। उसके अनुसार भगवान शिव अभिषेक, वस्त्र, धूप तथा पुष्प से इतने प्रसन्न नहीं होते जितने कि शिवरात्रि के दिन व्रत उपवास रखने से होते है। पंडित रामनारायण तिवारी के अनुसार फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी महाशिवरात्रि के रूप में मनाई जाती है।

शिवरात्रि महापर्व शिवलिंग के प्राकट्य का दिन है । इस दिन इच्छित वर की प्राप्ति के लिए भगवान शिव की पूजन का महत्व है। उल्लेखनीय है कि शहर में महाशिवरात्रि का पर्व विशेष तौर पर मनाया जाता है। इसके लिए शहर के शिव मंदिरों में कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

किला स्थित भगवान महामृत्युंजय की एक झलक पाने के लिए भक्तों की लंबी-लंबी कतारे लगती है। वहीं जिले के देवतालाब, गुढ़ के ढणेशवर के साथ ही लूकेश्वर एवं कई ऐसे प्रचलित स्थान है जहां पर भक्तजन पहुंचकर महाशिवरात्रि के पर्व के दिन भगवान का दर्शन कर स्नान कराकर अपने मन को प्रफुल्लित करते है। इसके साथ ही धार्मिक स्थलों पर मेले सजेगे।

शिवपुराण के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन व्रती (व्रत करने वाला) सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद माथे पर भस्म का त्रिपुंड तिलक लगाएं और गले में रुद्राक्ष की माला धारण करें। इसके बाद समीप स्थित किसी शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग का विधिपूर्वक पूजन करें।

व्रती दिनभर शिव मंत्र का जाप करें तथा पूरा दिन निराहार रहें। शिवपुराण में रात्रि के चारों प्रहर में शिवपूजन का विधान है। शाम को स्नान करके किसी शिव मंदिर में जाकर अथवा घर पर ही पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके तिलक एवं रुद्राक्ष धारण करके पूजा का संकल्प करें।