Home Breaking पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन में पदोत्सव : महंत हंसराम उदासी बने महामण्डलेश्वर

पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन में पदोत्सव : महंत हंसराम उदासी बने महामण्डलेश्वर

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पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन में पदोत्सव : महंत हंसराम उदासी बने महामण्डलेश्वर
mahant Hansram udasi become Mahamandaleshwar
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उज्जैन। हरीसेवा धाम उदासीन आश्रम भीलवाड़ा के महंत हंसराम उदासी अब महामण्डलेश्वर बन गए हैं। उज्जैन में चल रहे पूर्ण महाकुम्भ सिंहस्थ 2016 के दौरान अवन्तिका नगरी में मां क्षिप्रा के पावन तट पर श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन में समारोहपूर्वक पट्टाभिषेक पदोत्सव कार्यक्रम आयोजित हुआ।

सुबह पूजन अर्चन के साथ हवन हुआ। कार्यक्रम में श्री सत पंचपरमेश्वर के सान्निध्य एवं तेरह अखाड़ों के प्रतिनिधियो की उपस्थिति में वैदिक मंत्रोच्चार केे बीच महंत हंसराम उदासी को तिलक कर चद्दर ओढाई गई। आशीर्वचन व उद्बोधन कार्यक्रम हुआ।

धर्मध्वजा के समक्ष अरदास के बाद भण्डारा हुआ। इससे पहले सुबह हरिसेवा धाम छावनी बड़नगर रोड से हंसगंगा हरिसेवा भक्त मण्डल एवं श्रद्धालुगण जुलूस के रूप में महामण्डलेश्वर कार्यक्रम में शामिल होने के लिए रवाना हुए। बैण्ड व ढोल पर सभी नाचते व भजन करते हुए कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे।

वक्ताओं ने आचार्य श्रीचन्द्र भगवान एवं उदासीन सम्प्रदाय के प्रचार प्रसारार्थ महंत हंसराम उदासी के कार्यो व सेवा प्रकल्पों को सराहा। इन्होंने अपना जीवन आचार्य श्रीचन्द्र के लिए समर्पित किया है एवं उनके सिद्धान्तों को देश-विदेश में फैलाया तथा गुरू दरबार व साधु समाज को ऊंचा उठाने का कार्य करने के लिए सदैव अग्रसर रहे हैं। महंत राष्ट्र, समाज, धर्म एवं संस्कृति की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहते हैं।

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इस मौके पर राजस्थान धरोहर सरंक्षण प्राधिकरण के अध्यक्ष औंकार सिंह लखावत ने कहा कि बूढ़ा पुष्कर जो कि लुप्त होता रहा था, उसको पुनः तीर्थ स्थली एवं विकसित करने में इनकी महत्ती भूमिका रही है। संतो के आशीर्वाद से भारत निश्चित रूप से फिर विश्व गुरू बनेगा।

गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानन्द महाराज ने कहा कि विभिन्न प्रकार के अमृत रूपी रस संतगण अवन्तिका नगरी में लूटा रहे हैं। महामण्डलेश्वर पद पर अभिशिक्त होकर वे आदर्श प्ररेणा बनेंगे।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष स्वामी नरेन्द्र गिरी ने कहा कि समुद्र मंथन के बाद अमृत प्राप्त हुआ जिसके कारण महाकुम्भ होता है। इसी प्रकार मंथन करके ही महामण्डलेश्वर पद प्रदान किया गया है।

श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के श्रीमहंत रघुमुनि ने अपने आशीर्वचन में कहा कि महंत हंसराम उदासी को महामण्डलेश्वर पद हेतु चयन किया जाना उनकी तप और साधना का ही फल है। संत सेवा एंव संत कृपा से ही यह संभव होता है।

श्रीमहंत महेश्वरदास ने कहा कि सेवा, स्वाध्याय और सुमिरन का कार्य जो इनके आश्रम में होता है, उसे देख कर ही महामण्डलेश्वर पद दिया जाने का निर्णय अखाड़े ने लिया। इस मंथन को स्वीकार किया, जिसके लिए वे बधाई के पात्र है।

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पट्टाभिषेक कार्यक्रम की अध्यक्षता कार्ष्णि पीठाधीश्वर श्री गुरूशरणानन्द महाराज ने करते हुए कहा कि महामण्डलेश्वर वाणी से नहीं, आचरण से शिक्षा दे। कुम्भ महोत्सव के सुअवसर पर अमृत काल का निर्माण कर रहे हैं। अमृतोभवा भी है क्षिप्रा का नाम।

इस मौके पर विशिष्ट महापुरूषों के दर्शन एक ही छत्र एवं एक ही आश्रम में होना बड़े सौभाग्य की बात है। महंत के गुणों से प्रभावित, सेवा प्रकल्प, नम्रता, साधु गुणों, सबको ऊंचा उठाने की भावना को देखते हुए इन्हें महामण्डलेश्वर पद दिया गया है।

इस अवसर पर विवेकानंद महाराज, हरिप्रकाश, जगतार मुनि, महंत दिव्याम्बर मुनि, महंत कपिल मुनि, महामण्डलेश्वर हरिचेतनानन्द, महामण्डलेश्वर शांतानन्द, महंत भगतराम, तपस्वी बाबा कल्याण दास, कोठारी मंहत मोहनदास, शरणानन्द, जगदीश दास, सुयज्ञमुनि, पंचमुखी दरबार के महंत लक्ष्मणदास त्यागी, महंत स्वरूपदास, स्वामी रामदास अजमेर, गणेशदास भीलवाड़ा, महंत आत्मदास उज्जैन, महंत संतोषदास इन्दौर, स्वामी मोहनदास, स्वामी माधवदास, स्वामी अनिल उदासी इन्दौर, नंदलाल फकीर भावनगर, महंत खिम्यादास, महंत ईष्वरदास, मंहत संतोषदास, महंत पुरूषौत्तमदास सतना, अमरलाल राजकोट, हंसदास रीवा, दौलतगिरी लुधियाना, संत मयाराम निवार्ण मण्डल एवं अन्य उपस्थित थे।

राजस्थान सरकार के शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी, महिला बाल विकास मंत्री अनिता भदेल, इन्दौर विकास प्राधिकरण के सुरेश लालवानी, अजमेर उपमहापौर संपत सांखला, सिंधी समाज महासमिति के अध्यक्ष कंवल प्रकाश किशनानी, सिंधी सेंट्रल पंचायत के अध्यक्ष नरेन शाहणी भगत, महासचिव गिरधर तेजवानी, भारतीय सिंधु सभा राजस्थान महासचिव महेन्द्र तीर्थाणी, मोहन तुलसियानी, ईसर भम्भाणी, जोधा टेकचंदानी, मनीष, प्रकाश सहित अनेक गणमान्यजन उपस्थित थे।

हरिसेवा धाम छावनी में नितनेम के अलावा श्री शिव महापुराण कथा युवाचार्य स्वामी ज्ञानानंद तीर्थ (भानपुरा पीठ) ने अपनी मधुरवाणी में प्रस्तुत की। शिव पार्वती प्रसंग में उन्होंने व्याख्या की कि जो शिव निंदा करता है उसके संचित पुण्य नष्ट होकर नर्क में पड़ता है एवं शिव निदा सुनने वाला भी पापो का भागी होता है। सांयकाल में रासलीला का भी सभी धर्मप्रेमी बन्धुओं ने लाभ उठाया।