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मुझे लागी श्याम से प्रीत दुनियां क्या जाने…

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मुझे लागी श्याम से प्रीत दुनियां क्या जाने…

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पाली। गीता सत्संग भवन में ब्रहमलीन श्रीश्री 1008 रामानंदजी महाराज की पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित श्रीमदभगवत कथा में रविवार को पंडित सुरेन्द्र कुमार शास्त्री ने भगवान श्रीेकृष्ण और रुकमणी के विवाह का वर्णन सुनाया।

भगवान श्यमासुन्दर का द्वारिका पहुंचना होता है। राजा भीष्मक की पुत्री रुकमणी के विवाह का समय भी होता है, श्रीकृष्ण सब कुछ जानते हैं। रुकमणी का भाई रकमी शिशुपाल के साथ विवाह तय कर देता है जब भगवान श्यामसुन्दर वहां पहुंच जाते हैं ये सब रुकमणी को पता चलता है तो वह भगवान के पास अपना संदेश भेजती है।

लीलाधारी भगवान सब समझ जाते हैं और संदेश को पढ़कर रुकमणी के यहां जाने को तैयार हो जाते है। दरबार, रथ, महल सभी सजाये जाते हैं उसमें बैठकर भगवान रुकमणी के यहां पहुंच जाते हैं, यह सब पता रुकमणी को पता लगता है।

द्वारकापुरी में तो सभी भगवान श्यामसुन्दर को देखने में लग जाते हैं कि ऐसा सुन्दर कौन आया है। भगवान श्रीकृष्ण रुकमणी को रथ में बिठाकर राजभवन ले आते हैं। यह सब जानकारी जब रुकती को मिलती है तो वह क्रोध में आ जाता है और शिशुपाल को लेकर उनका पीछा करता है।

रास्ते में शिशुपाल व रुकमी को भगवान श्यामसुन्दर पेड़ से बांधकर आगे चल देते हैं और द्वारिकुपुरी में खुशियां छा जाती हैं।

मेरी प्यार सखियां मुझे मेंहदी लगा दो मुझे श्याम सुन्दर की दुल्हन बना दो। इसी प्रकार सत्यकामा, जामवन्ती, सत्या आदि मिलकर सोलह हजार एक सौ आठ रानियों से विवाह के पौराणिक प्रसंग सुनाए।

इस अवसर पर गीता सत्संग भवन के गादीपति स्वामी प्रेमानंद, स्वामी अंकुशपुरी, गागनदास छुगानी, शिव मालवीय, चांदकरण डागा, हरीश खेड़ा, बाबूलाल सोनी, हरिराम नेहरा, जगन्नाथ शर्मा, रामजीवन तापडि़या, भंवरसिंह भाटी, श्याम शर्मा, सहित श्रद्धालु उपस्थित थे।

पूर्णाहुति और महाप्रसादी

गीता सत्संग भवन के संस्थापक ब्रहमलीन श्रीश्री 1008 रामानंदजी महाराज की पुण्यतिथि के अवसर पर पूर्णाहुति दी जाएगी। गादीपति स्वामी प्रेमानंद ने बताया कि सुबह रुद्रपाठ यज्ञ पूजन के बाद रामानंद महाराज को श्रदृधांजलि के बाद महाप्रसादी का आयोजन होगा।

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