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गुड फ्राइडे को चर्च में उमड़े मसीही विश्वासी - Sabguru News
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गुड फ्राइडे को चर्च में उमड़े मसीही विश्वासी

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गुड फ्राइडे को चर्च में उमड़े मसीही विश्वासी
ranchi : Good Friday a day to remember compassionate thoughts of Jesus Christ
ranchi : Good Friday a day to remember compassionate thoughts of Jesus Christ
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रांची। त्याग और बलिदान के पर्व गुड फ्राइडे को शहर के चर्च में मसीही विश्वासियों की भीड़ उमड़ पड़ी। शुक्रवार को मसीही विश्वासियों ने प्रभु यीशु मसीह के दुखभोग का स्मरण किया। इस दौरान शहर के कैथोलिक और प्रोटेस्टेंट गिरजाघरों में अराधना की गई।

गुड फ्राइडे का धार्मिक अनुष्ठान महागिरजाघर में शाम चार बजे से शुरु हुआ। शाम सात बजे लोयोला मैदान में क्रूस यात्रा निकाली गई। यहां पुण्य शनिवार के दिन रात साढ़े दस बजे से पास्का जागरण और पवित्र मिस्सा होगा।

इस दिन सुबह छह बजे से महागिरजाघर में प्रातः वंदन और शाम चार बजे से शाम सात बजे तक पाप मोचन कराया जायेगा। 27 मार्च को इस्टर के मौके पर यहां सुबह छह बजे पहला, सात बजे दूसरा और नौ बजे तीसरा मिस्सा होगा।

मानवता के लिए प्रभु यीशु ने किए थे प्राण न्योछावर

गौरतलब है कि गुड फ्राइडे प्रभु यीशु मसीह के निर्वाण दिवस के रुप में मनाया जाता है। यह प्रभु यीशु द्वारा मानवता के लिए प्राण न्योछावर करने का दिन है। धर्मग्रंथों के अनुसार यीशु मसीह का जन्म इजराइल के एक गांव बेतलेहम में हुआ था।

बालक यीशु को बेतलेहम के राजा हेरोदोस ने मरवाने की हर संभव कोशिश की लेकिन वह सफल नहीं हो सका। जब यीशु बड़े हुए तो वह जगह-जगह जाकर लोगों को मानवता और शांति का संदेश देने लगे। उन्होंने धर्म के नाम पर अंधविश्वास फैलानेवाले लोगों को मानवता का शत्रु कहा।

उनके संदेशों से परेशान होकर धर्मगुरुओं ने उन्हें मौत की सजा सुनाई। सजा के दौरान यीशु को कई तरह की यातनाएं दी गई और उनके सिर पर कांटों का ताज रखा गया। इसके बाद यीशु क्रूस को उठाकर गोलगोथा नाम के स्थान पर ले गए। वहां उन्हें क्रूस पर लटका दिया गया।

त्याग के लिए याद किए जाते हैं यीशु

जिस दिन यीशु को सलीब पर लटकाया गया उस दिन शुक्रवार था। सलीब पर लटकाए जाने के तीन घंटे बाद यीशु मसीह ने परम पिता को उंची आवाज में पुकारा और कहा कि हे पिता मैं अपनी आत्मा को तेरे हाथों में सौंपता हूं। इसके बाद उन्होंने प्राण त्याग दिए। मानवता के लिए बलिदान का यह दिन गुड फ्राइडे के रुप में मनाया जाता है।

ईसाई धर्म के अनुयायी उन्हें त्याग के लिए याद करते हैं। इसके बाद उन्हें कब्र में दफना दिया गया। लेकिन ईश्वरीय कृपा से दफनाए जाने के तीसरे दिन यीशु जीवीत हो गए और चालीस दिनों तक शिष्यों और मित्रों के साथ रहे। अंत में वह स्वर्ग को चले गए।