Home India City News समाज के अंतिम व्यक्ति तक समरसता की अनुभूति हो : भागवत

समाज के अंतिम व्यक्ति तक समरसता की अनुभूति हो : भागवत

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समाज के अंतिम व्यक्ति तक समरसता की अनुभूति हो : भागवत
rss chief mohan bhagwat on 3 day visit himachal
rss chief mohan bhagwat on 3 day visit himachal
rss chief mohan bhagwat on 3 day visit himachal

कुल्लू। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन राव भागवत ने
सामाजिक समरसता पर बल दिया है। उन्होंने कहा है कि समाज यदि एकमत होकर चलेगा तो इससे  सामाजिक एकता को बल मिलेगा।

rss chief mohan bhagwat on 3 day visit himachalउन्होंने कहा कि सबको मन्दिर में प्रवेश, पानी का सामूहिक स्रोत
तथा अंतिम संस्कार के लिए समान श्मशान स्थल की व्यवस्था हो. समाज के अंतिम व्यक्ति तक समरसता की अनुभूति हो इस ओर सबके प्रयास रहने चाहिए।

यदि ऐसा नहीं हुआ तो समाज को तोड़ने वाली ताकतें अधिक प्रभावी होंगी। इसके लिए जाति बिरादरी के प्रमुखों तथा संत समाज को अधिक प्रयत्न करने होंगे. समाज में सद्भाव बढाने के लिए सभी सामाजिक, धार्मिक संगठनों को आपस में संवाद बढ़ाकर मिलकर प्रयास करने चाहिए।

rss chief mohan bhagwat on 3 day visit himachalउन्होंने कहा कि हमारा विचार तो एकात्मता का है लेकिन यह हमारे आचरण में भी आना चाहिए इसी में इसकी सार्थकता है। डॉ. मोहन भागवत कुल्लू के देव सदन में कुल्लू जिला के देव प्रतिनिधियों (कारदार, पुजारी तथा गुरों) की सगोष्ठी को सम्बोधित कर रहे थे।

इस संगोष्ठी का आयोजन सत्संग सभा कुल्लू ने किया था। इस कार्यक्रम में कुल्लू जिला के लगभग 200 देव प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

देव प्रतिनिधियों को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि देव संस्कृति ही हिन्दू संस्कृति है. जब देव संस्कृति प्रभावी थी तब विश्व में कोई युद्ध नहीं थे, पर्यावरण भी शुद्ध था, हमने अपनी संस्कृति को छोड़ा इसीलिए समस्याएं बढी. हमारी संस्कृति तो मानवता की भलाई के लिए काम करती है, इसमें कट्टरता के लिए कोई स्थान नहीं है।

rss chief mohan bhagwat on 3 day visit himachalमतान्तरण के कारण देश में ऐसे राष्ट्र विरोधी तत्व खड़े हो गए जो देश को हानि पहुंचा रहे हैं. उन्होंने आह्वान किया कि सभी मत-पंथ सम्प्रदाय एकजुट होकर चलें तभी भारत सुरक्षित रहेगा।

परिवार व्यवस्था में क्षरण और पारिवारिक मूल्यों में आ रही गिरावट पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि परिवार व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए प्रत्येक परिवार ने सप्ताह में एक बार सामूहिक भोजन व सामूहिक भजन और खुलकर चर्चा करनी चाहिए।

बच्चों को अपनी संस्कृति का ज्ञान और गौरव बताएँगे तो वह कभी भटकेंगे नहीं और देश के अच्छे नागरिक बनेंगे। अपने उत्सवों का उपयोग समाज प्रबोधन के लिए करें। इस अवसर पर देव प्रतिनिधियों ने परिचर्चा में भाग लिया और देव संस्कृति के संरक्षण के लिए अनेक उपयोगी सुझाव भी दिए।

इससे पूर्व कुल्लू पधारने पर सरसंघचालक का स्थानीय परम्परा के अनुसार भव्य स्वागत किया गया। सत्संग सभा के अध्यक्ष राकेश कोहली ने सबका धन्यवाद किया। इस अवसर पर संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख डॉ. मनमोहन वैद्य जी, उत्तर क्षेत्र कार्यवाह सीताराम व्यास, प्रान्त संघचालक कर्नल (सेनि.) रूप चंद, सह प्रान्त संघचालक डॉ. वीरसिंह रांगडा, जिला संघचालक  राजीव करीर भी उपस्थित थे।