Home Breaking हिन्दुत्व संप्रदाय नहीं भारत की जीवन पद्धति : मोहन भागवत

हिन्दुत्व संप्रदाय नहीं भारत की जीवन पद्धति : मोहन भागवत

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हिन्दुत्व संप्रदाय नहीं भारत की जीवन पद्धति : मोहन भागवत
RSS is not opposed to anybody, we are working to make hindu community united : Mohan Bhagwat
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कोलकाता। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने हिन्दू समाज को संगठित कर शक्तिशाली बनाने का आह्वान किया है।

कोलकाता के ब्रिगेड परेड मैदान में शनिवार को संघ के स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए मोहन भागवत ने कहा कि हिन्दू समाज स्वभाविक स्थिति में नहीं है। भव्य परंपरा एवं शौर्य भरा इतिहास होने के बावजूद अपने ही देश में उसके मानकों को प्रतिष्ठा नहीं मिल रही है।

हालत यह है कि हिन्दू समाज के लोगों को अपनी मान्यताओं के अनुसार देवी-देवताओं की पूजा करने में भी बाधाओं का सामना करना पड रहा है। उन्होंने कहा कि यदि अपने ही देश में हिन्दू समाज की यह स्थिति है तो फिर अन्य देशों में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार पर हमे आश्चर्य क्यों होता है?

यह स्थिति हमारी दुर्बलता के चलते उत्पन्न हुई है। इस स्थिति को तभी बदला जा सकता है जब हम संगठित होकर खुद को शक्ति संपन्न बनाएं।

उन्होंने कहा कि इस दुनिया में जिसके पास ताकत नहीं होती उसे कोई नहीं पूछता। संगठन से बडी कोई ताकत नहीं होती। हमे एक होकर, जीवन में प्रमाणिकता व देशभक्ति का भाव लेकर भारत राष्ट्र को दुनिया का सिरमौर बनाना है।

उन्होंने कहा कि हिन्दू समाज को संगठित व शक्तिशाली बनाने का हमारा ध्येय किसी तात्कालिक परिस्थिति के प्रतिक्रिया स्वरूप नहीं है। हमे किसी के विरोध में खडा नहीं होना है बल्कि भारत की आत्मा में बसने वाले हिन्दुत्व की भावना को पुष्ट करना है।

अपने संबोधन में हिन्दुत्व को लेकर सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणी का उल्लेख करते हुए सरसंघचालक ने कहा कि धीरे-धीरे सभी इस बात को स्वीकार करने लगे हैं कि हिन्दुत्व कोई संप्रदाय नहीं बल्कि भारत की जीवन पद्धति है।

संघ कार्य में आने वाली बाधाओं को पार कर लक्ष्य तक पहुंचने का मंत्र देते हुए संघ प्रमुख ने कहा कि तपस्वियों की तपस्या में सदैव बाधा आती है लेकिन उन बाधाओं की वजह से कभी तपस्या नहीं रुकती।

स्वामी विवेकानंद व गुरू गोविन्द सिंह जैसे मनीषियों का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि शुभ प्रेरणा से किया गया कार्य अपने अंजाम तक अवश्य पहुंचता है।

गंगासागर मेले के ऐतिहासिक संदर्भों का उल्लेख करते हुए सरसंघचालक ने कहा कि जिस तरह भागीरथ मुनि तमाम बाधाओं को पार करते हुए गंगा को सागर तक ले कर आये उसी तरह हमे भी बाधाओँ और रुकावटों को झेलते हुए आगे बढना है।

हमारे सामने योग्य हिन्दू समाज व परम वैभवशाली भारत बनाने का लक्ष्य है। इसी ध्येय को लेकर आगे बढते रहना है। उन्होंने कहा कि हम पिछले 90 सालों से इसी संकल्प के साथ कार्य करते रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे। हमे कोई रोक नहीं सकता।

हिन्दू समाज को जात-पात से उपर उठ कर देश के लिए हर भला काम करना होगा। उन्होंने कहा कि इस ध्येय को प्रोत्साहन देने अथवा ऐसे विचारों से सहमत होने भर से काम नहीं चलेगा बल्कि सभी को इस कार्य का अंग बन कर सक्रिय होना पडेगा तभी हम अपना ध्येय हासिल करने में सफल हो सकेंगे। हिन्दू समाज को शक्ति संपन्न व सर्व कल्याणकारी समाज बनाने के लक्ष्य तक हर हाल में पहुंचना होगा।

समारोह में संघ के सह सर कार्यवाह बी. भागैया, पूर्व क्षेत्र संघ चालक अजय नंदी, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष, राष्ट्रीय सचिव राहुल सिन्हा सहित महानगर के कई गणमान्य लोग शामिल थे।

कलकत्ता उच्च न्यायालय के निर्देशों की वजह से संघ के इस वार्षिक आयोजन में चार हजार स्वयंसेवक ही शामिल हो सके। गौरतलब है कि कोलकाता पुलिस ने संघ को सभा करने की अनुमति देने से इनकार करने के बाद संघ ने हाई कोर्ट में आवेदन किया था।

हाई कोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ समारोह की अनुमति दी थी। इस पूरे कार्यक्रम का कुछ स्थानीय टीवी चैनलों पर लाईव प्रसारण किया गया। संघ की ओर से विभिन्न स्थानों पर बडे स्क्रीन लगा कर सरसंघचालक के संबोधन को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने का प्रबंध किया गया था।