Home Business उत्पादन पर सभी सब्सिडी खत्म की जाए : बिबेक देबरॉय

उत्पादन पर सभी सब्सिडी खत्म की जाए : बिबेक देबरॉय

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उत्पादन पर सभी सब्सिडी खत्म की जाए : बिबेक देबरॉय
scrap all production subsidies : NITI aayog's Bibek Debroy
scrap all production subsidies : NITI aayog's Bibek Debroy
scrap all production subsidies : NITI aayog’s Bibek Debroy

नई दिल्ली। नीति आयोग के सदस्य बिबेक देबरॉय ने कहा है कि सभी तरह के उत्पादन पर सब्सिडी को खत्म कर देना चाहिए। देबरॉय ने इसके पहले एक निश्चित आय के बाद सभी कृषि आय पर कर लगाने संबंधित बयान देकर तूफान खड़ा कर दिया था।

देबरॉय ने कहा कि खपत पक्ष पर भी सब्सिडी को केवल निर्विवाद रूप से लक्षित लोगों को ही दिया जाना चाहिए। देबरॉय ने कहा कि मेरी निजी राय है कि उत्पादन पक्ष पर कोई सब्सिडी नहीं दी जानी चाहिए। हमें व्यापार के माहौल में सुधार करना चाहिए, सार्वजिनक बुनियादी सुविधाएं जैसे सड़क बनानी चाहिए। लेकिन छूट नहीं देनी चाहिए।

देबरॉय ने कहा कि क्योंकि जब मैं किसी को कोई छूट देता हूं तो मैं व्यवस्था को कभी साफ नहीं कर पाऊंगा।

इससे पहले उन्होंने कहा था कि केंद्र और राज्य सरकार ने साथ मिलकर जीडीपी का 17 फीसदी कर के रूप में संग्रहित किया है। जबकि कुल सब्सिडी (बजट और ऑफ बजट व खपत और उत्पादन से जुड़ी हुई) जीडीपी का करीब 14 फीसदी है।

अर्थशास्त्री ने कहा कि मुश्किल यह है कि हम यह एहसास नहीं करते कि हर सब्सिडी की राशि हम जो दे रहे हैं, सरकार उसे कही और खर्च कर सकती है। हरेक सब्सिडी का मतलब है कि मैं एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नहीं बना सकता।

उन्होंने कहा कि सभी उत्पादन सब्सिडी- जैसे सस्ती जमीन और कंपनियों को दूसरे लाभ- खत्म की जानी चाहिए, वहीं खपत पक्ष पर सब्सिडी एक लक्षित तरीके से दी जानी चाहिए।

उन्होंने कहा कि सब्सिडी को सिर्फ स्पष्ट रूप से लक्षित व्यक्तिगत संभावनाओं को दिया जाना चाहिए, क्योंकि गरीबी एक व्यक्तिगत घरेलू लक्षण है।

उन्होंने कहा कि मुझे कोई समस्या नहीं है यदि किसी गरीब परिवार के एक छात्र को पढ़ाई के लिए छात्रवृत्ति दी जाती है। लेकिन यह कहना कि मैं एक ऐसे शिक्षक को वेतन दूंगा जो पढ़ाता नहीं है, इससे गरीब बच्चे का कुछ नहीं भला होता है। यह एक ऐसी सब्सिडी है, जो पूरी तरह से अनुचित है।

नीति आयोग के सदस्य ने कहा कि 500 व 1000 रुपए के नोटों को बंद किए जाने का मूल्यांकन संकीर्ण आर्थिक संदर्भ में नहीं किया जाना चाहिए। व्यवस्था को संस्थागत तौर पर साफ करने के लिए नोटबंदी व्यापक प्रयास का हिस्सा थी।

उन्होंने कहा कि हम जानते हैं कि देश का बड़ा हिस्सा असंगठित है और यह वांछनीय है कि यह संगठित हो। यह कुछ जीएसटी को लागू करने से और कुछ रियल एस्टेट (रेग्युलेशन) अधिनियम से होगा।