Home India City News ग्राम सचिव का गला घोंटा, एक माह बाद आया होश

ग्राम सचिव का गला घोंटा, एक माह बाद आया होश

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चित्तौड़गढ़। राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले के डूंगला क्षेत्र में पदस्थ ग्राम सचिव के साथ गंभीर रूप से मारपीट व रस्सी से गला घोंटने के प्रयास का मामला सामने आया है। लगभग एक माह तक उदयपुर में उपचार करवाने के बाद होश में आए सचिव ने पंचायत समिति प्रधान के भाईयों पर यह आरोप लगाया है।…

इधर, पुलिस ने सरपंच पति की सूचना पर घटना के दिन ही रिपोर्ट दर्ज कर ली लेकिन पीडित के सही बयानों के अभाव व दबाव के चलते आरोपियों पर क ार्रवाई नहीं कर पाई है। जिला सचिव संघ ने मंगलवार को जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी से कार्रवाई की मांग की है। मामला खाली चैक पर दस्तखत करवाने एवं कब्जे की भूमि का पट्टा बनाने के लिए दबाव बनाने का है।

पीडित व पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार डूंगला पंचायत समिति क्षेत्र के ग्राम किशन करेरी के सचिव रमेशचंद्र जोशी निवासी बडवई गत नौ सितंबर को अपने कार्यालय में बैठा था कि प्रधान गणपतसिंह के भाई भगवत सिंह व प्रहलाद सिंह वहां आए और उसे पकड़कर जबरन राजीव गांधी सेवा केन्द्र ले गए व पंचायत के एक खाली चैक पर दस्तखत करने व उनके कब्जे की भूमि का पट्टा बनाने को कहा और इनकार करने पर उसे वहीं पर दोनों ने सरिये व लात घूंसों से मारने के साथ साथ रस्सी से गला घोंटकर मारने का प्रयास किया।

वह बेहोश हो गया तो उसे मरा जानकर दोनों फरार हो गए। सूचना मिलने पर ग्राम सरपंच लक्ष्मीदेवी का पति राजमल पुरोहित वहां पहुंचा और उसे कानोड के अस्पताल लेकर गए जहां से प्रारंभिक उपचार के बाद उसे उदयपुर रैफर कर दिया गया जहां करीब एक पखवाड़े बाद वह होश में आया तो उसने घटना की जानकारी पुलिस को दी।

पीडित मंगलवार को चित्तौड़गढ़ आया और सचिव संघ को साथ लेकर जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जगवीर सिंह से मिला और घटनाक्रम बताया जिस पर उन्होंने जिला कलकटर व पुलिस अधीक्षक से मिलने की सलाह देते हुए उनके स्तर पर मामले की विभागीय जांच करवाने की बात कही। सभी बाद में कलक्टर व पुलिस अधीक्षक से भी मिले।

डूंगला के पुलिस वृत्ताधिकारी नारायण सिंह ने बताया कि सरपंच पति की सूचना पर बाद में अस्पताल जाकर पीडित सचिव से रिपोर्ट लेकर धारा 353, 324 व 342 में प्रकरण दर्ज कर जांच की गई जिसमें घटना की पुष्टि हुई लेकिन सचिव के चेतना शून्य होने के कारण आरोपियों को नामजद नहीं किया गया और हाल ही उसने जब दोनों के नाम बताए तो उनकी भूमिका की जांच की जा रही है।

पीडित सचिव का आरोप है कि पुलिस इस मामले में स्थानीय राजनेताओं के दबाव में है जिसके चलते मेडिकल रिपोर्ट में गला घोटने का उल्लेख होने के बावजूद कमजोर धाराएं लगाई और उसे धमकियां भी दी जा रही है जिसके चलते वह उदयपुर अस्पताल से छुट्टी होने के बाद भी उदयपुर में ही अपने रिश्तेदार के यहां रह रहा है।

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